वॉशिंगटन. अमेरिका में नागरिकता को लेकर ट्रम्प प्रशासन के कड़े नियमों के बावजूद मैक्सिको, भारत और चीन के लोगों में ग्रीन कार्ड पाने की होड़ है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, परिवार द्वारा प्रायोजित (फैमिली स्पॉन्सर्ड) ग्रीन कार्ड की वेटिंग लिस्ट 40 लाख पार हो गई है। ग्रीन कार्ड की वेटिंग में सबसे ज्यादा मैक्सिको के 15 लाख नागरिक हैं।दूसरा नंबर भारत का है। देश के 2 लाख 27 हजार नागरिक परिवार प्रायोजित ग्रीन कार्ड के इंतजार में हैं। तीसरा नंबर चीन का है, जहां के 1 लाख 80 हजार लोगों ग्रीन कार्ड के लिए कतार में हैं।
क्या होता है ग्रीन कार्ड का फायदा?
ग्रीन कार्ड धारकों को अमेरिका के वैध स्थायी निवासी का दर्जा मिल जाता है। इसके जरिए कोई भी व्यक्ति वैध तौर पर अमेरिका में रह और काम कर सकता है। ये नागरिकता पाने का पहला कदम है। अमेरिका हर साल 2 लाख 26 हजार परिवार प्रायोजित ग्रीन कार्ड जारी करता है। यह ग्रीन कार्ड उन्हें दिए किए जाते हैं, जिनके परिवारों को अमेरिका की नागरिकता मिल चुकी है। नियमों के तहत अमेरिकी नागरिक दूसरे देश में रह रहे अपने करीबी को ग्रीन कार्ड के लिए नामित कर सकते हैं।
ट्रम्पपरिवार प्रायोजित ग्रीन कार्ड के खिलाफ रहे हैं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प परिवार प्रायोजित ग्रीन कार्ड के खिलाफ रहे हैं। ट्रम्प ने कई मौकों पर कहा है कि अमेरिका की नागरिकता पाने के बाद लोग अपने संबंधियों को भी यहां बुला लेते हैं। उन्होंने इसे चेन इमिग्रेशन (आव्रजन) कहा है। हालांकि, विपक्षी डेमोक्रेट पार्टी इस सिस्टम को जरूरी मानती है। डेमोक्रेट नेताओं का कहना है कि इससे अमेरिका के निवासियों को बेरोकटोक अपने परिवारों के साथ रहने का मौका मिलता है।
योग्यता के आधार पर ग्रीन कार्ड और वीजा देने के पक्ष में ट्रम्प
अमेरिका हर साल करीब 11 लाख विदेशियों को ग्रीन कार्ड देता है। ग्रीन कार्ड पाने वालों को अमेरिका में स्थायी रूप से काम करने और रहने की अनुमति होती है। मौजूदा समय में 66% ग्रीन कार्ड परिवार से संबंध के आधार पर दिया जाता है। सिर्फ 12% लोगों को ही योग्यता के आधार पर यह कार्ड देने की अनुमति रही थी। ट्रम्प प्रशासन इसमें बदलाव करना चाहता है। अमेरिकी सरकार योग्यता के आधार पर दिए जाने वाले वीजा कोटा को 12% से बढ़ाकर 57% करने के पक्ष में है।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2L3GukG
0 Comments:
Post a Comment