गुमला. प्रथम चरण के चुनाव पर नक्सली हिंसा का पहला दाग 22 नवंबर को लगा था, जब लातेहार के चंदवा में पुलिस टीम पर हमला हुआ था। एएसआई सुकरा उरांव और तीन होमगार्ड जवान जमुना प्रसाद, शंभू प्रसाद और सिकंदर सिंह शहीद हो गए। शनिवार को सिर्फ लातेहार ही नहीं, गुमला में भी मतदान होना है जहां शहीद सुकरा उरांव का परिवार रहता है। नक्सलियों ने शुक्रवार को भी कई जगहों पर वोट बहिष्कार के पर्चे फेंके। इस माहौल में हमने शहीद सुकरा उरांव की पत्नी नीलमणि देवी से जानना चाहा कि मतदान पर उनकी मंशा क्या है। बोलीं-वोट दूंगी और सबसे कहूंगी कि वोट दो। ताकि मेरे पति की शहाद व्यर्थ न जाए।
मैं टूट गई थी, धीरे-धीरे उबर रही हूं
घाघरा के जगबगीचा में अपने परिवार के साथ रह रहीं नीलमणि बोलीं कि पति की शहाद से तो मैं टूट ही गई थी। धीरे-धीरे उबर रही हूं। मगर याद था कि शनिवार को मतदान का दिन है। ठान लिया, कुछ भी हो मतदान तो जरूर करूंगी। वे शनिवार को अपनी चार बेटियों और परिजनों के साथ पैतृक गांव चुमनु जाकर मतदान करेंगी। वे बोलीं कि मैं दूसरे लोगों से भी अपील करूंगी कि वोट जरूर दें। शहीद सुकरा उरांव की 70 वर्षीय मां गंदूरी उरांव ने भी लोगों से मतदान की अपील की। नीलमणि देवी ने भटके हुए लोगों से भी मुख्यधारा में लौटने की अपील की। उन्होंने कहा कि नक्सली जिन्हें मारते हैं वे भी तो आदिवासी हैं, इसी जमीन के बेटे हैं। फिर ये किसके हक की लड़ाई लड़ी जा रही है।
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