वॉशिंगटन. भारत और अमेरिका के बीच जल्द व्यापार समझौता होने की संभावना है। ट्रम्प प्रशासन अगले हफ्ते अफसरों के एक डेलिगेशन को भारत भेजेगा। यह डेलिगेशन दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप देगा। बताया गया है कि भारत-अमेरिका के बीच अब तक व्यापार को लेकर जिन बातों पर सहमति नहीं बनी थी, उन्हें भी सुलझा लिया गया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इसी सिलसिले में 12 से 14 नवंबर को अमेरिका दौरे पर गए थे। यहां उन्होंने अपने समकक्ष रॉबर्ट लाइटहाइजर से मिलकर डील के कई मुद्दे सुलझा लिए।
न्यूज एजेंसी एएनआई ने सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया कि अब तक दोनों देशों ने ट्रेड डील को लेकर जितने पहलुओं पर चिंता जताई थी, उन सभी से बात की गई है। समझौताअब अपने अंतिम रूप में है। पीयूष गोयल ने लाइटहाइजर से टेलीफोन पर भी बात की है। इसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे को बराबरी से बाजार मुहैया कराने की बात कही है।
सीतारमण भी अमेरिका दौरा कर चुकी हैं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पिछले महीने ही अमेरिका दौरे पर थीं। यहां उन्होंने कहा था कि वे चीन से निकलकर, भारत में निवेश का इरादा रखने वाली कंपनियों के लिए नीति बनाएंगी। इस दौरान उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता जल्द होने की बात कही थी। सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की बैठक में अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन न्यूकिन से मुलाकात की थी। इसके बाद उन्होंने कहा था कि दोनों देश की सरकारें व्यापार समझौते पर तेज गति से काम कर रही हैं और जल्द ही मुद्दे पर कुछ सहमति बन सकती है।
भारत को जीएसपी से हटा चुका है अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसी साल जून में भारत को अपने जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (जीएसपी) कार्यक्रम से बाहर किया था। इस कार्यक्रम में शामिल देशों को व्यापार मेंतरजीह दी जाती है। अमेरिका जीएसपी में शामिल देशों से एक तय राशि तक आयात शुल्क नहीं लेता।
ट्रम्प का कहना था कि उन्हें भारत से यह भरोसा नहीं मिल पाया है कि वह अपने बाजार में अमेरिकी उत्पादों को बराबर की छूट देगा। अमेरिका का कहना है कि भारत में पाबंदियों की वजह से उसे व्यापारिक नुकसान हो रहा है। वह जीएसपी के मापदंड पूरे करने में नाकाम रहा है। अमेरिका ने पिछले साल अप्रैल में जीएसपी के लिए तय शर्तों की समीक्षा शुरू की थी।
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