गुड़गांव (राम खटाना).हरियाणा में गुड़गांव की रहने वाली 7 साल की दिव्यांशी सिंघल छुट्टियाें में नानी के घर लखनऊ गई थी। वहां उसके घर में पेड़ काट दिए गए थे। यह देख वह बहुत रोई। उसे स्कूल में पढ़ाया गया था कि पेड़ों से मिलने वाली ऑक्सीजन उनके कटने से ही कम हो रही है। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण स्कूल जाते समय रोज उसका दम घुटता है।
मां ने उसका रोना बंद कराया और ड्रॉइंग शीट दी। कहा- पेड़ों के कटने से उसके दिमाग में जो कुछ भी ख्याल आ रहा है, उसे इस पर चित्र बनाकर दिखाओ। दिव्यांशी ने तस्वीर बनाई। इसमें उसने पेड़ों को जूते पहनाए, उस पर पंख लगाए ताकि वे चल सकें और उन्हें कटने से बचाया जा सके।
मां दीप्ति ने इस पेंटिंग को गूगल द्वारा आयोजित स्पर्धा ‘द वॉकिंग ट्री’ में यह सोचकर भेज दिया कि दिव्यांशी को प्रोत्साहन मिले। लेकिन जब नतीजा आया तो पता चला कि दिव्यांशी की यह पेंटिंग 1.1 लाख प्रतिस्पर्धियों में पहले नंबर पर आई है। गूगल ने गुरुवार को चिल्ड्रन डे के मौके पर दिव्यांशी द्वारा बनाई पेंटिंग को डूडल में स्थान दिया।
इसे देश में दिनभर देखा गया। दिव्यांशी को राष्ट्रीय विजेता बनने पर गूगल 5 लाख रुपए की कॉलेज और 2 लाख रु. की स्कूल स्कॉलरशिप देगा। दिव्यांशी अपने माता-पिता के साथ गुड़गांव के सेक्टर-51 में रहती है। उसके पिता नितिन सिंघल एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर हैं।
डेवलपमेंट के नाम पर पेड़ोंकी कटाई की जा रही
दिव्यांशी की मां दीप्ति सिंघल फ्रीलांसर आर्टिस्ट हैं। वह दीप्ति को आर्ट से जुड़ी बारीकियां सिखाती रहती हैं। विजेता बनने पर दिव्यांशी ने कहा- ‘मैंने पेड़ों को बचाने की थीम को इस तरह लिया कि काश पेड़ चल सकते तो उन्हें काटने से बचाया जा सकता था। लेकिन डेवलपमेंट के नाम पर पेड़ों को काटना पड़ता है, जिससे प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।’
1.1 लाख आर्ट में से 20 को फाइनल के लिए चुना गया
प्रतियोगिता में देश के लगभग सभी शहरों के प्रतियोगियों ने हिस्सा लिया। निर्णायक जूरी ने 1.1 लाख आर्ट में से 20 को फाइनल किया। सभी आर्ट की रैंकिंग कलात्मक योग्यता, रचनात्मकता और थीम मापदंडों के आधार पर की गई। 20 फाइनलिस्ट डूडल की ऑनलाइन वोटिंग की गई। इसमें राष्ट्रीय विजेता के अलावा 5 समूह विजेताओं को भी चुना गया।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar /national/news/tree-wore-shoes-painting-trees-have-wings-so-that-they-could-avoid-being-cut-down-goog-01687241.html
0 Comments:
Post a Comment