खेल डेस्क. सचिन तेंदुलकर का कहना है कि टेस्ट क्रिकेट में दर्शकों को बल्लेबाजों और गेंदबाजों के बीच जिस मुकाबले का इंतजार रहता था, वह अब देखने को नहीं मिलता है। सचिन ने गुरुवार को न्यूज एजेंसी से कहा कि टेस्ट के इस आकर्षण के खत्म होने की वजह है कि अब अच्छे गेंदबाज बेहद कम बचे हैं।
30 साल पहले क्रिकेट में डेब्यू करने वाले सचिन ने इस दौरान इस खेल में आए बदलावों पर बात की। सचिन ने 15 नवंबर 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था।
"टेस्ट का स्तर नीचे गिरा, यह अच्छी खबर नहीं'
सचिन ने सुनील गावस्कर-एंडी रॉबर्ट्स, डेनिस लिली-इमरान खान, अपने और वसीम अकरम व ग्लेन मैकग्रा के बीच होने वाली प्रतिद्वंद्विता के संदर्भ में यह बयान दिया। सचिन ने कहा- मैदान पर दिखाई देने वाला यह मुकाबला अब खत्म हो गया है। तेज गेंदबाजी की क्वालिटी निश्चित रूप से और ज्यादा बेहतर हो सकती है। टेस्ट का स्तर काफी नीचे चला गया है, जो कि अच्छी खबर नहीं है। इसे ऊपर ले जाने की जरूरत है और इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा।
"गेंदबाजों और बल्लेबाजों के बीच संतुलन पिचों पर निर्भर'
सचिन ने कहा- जहां तक स्तर की बात है, वह पिचों पर भी निर्भर करता है। हम किस तरह की पिच खेलने के लिए दे रहे हैं। अगर हम ऐसी माकूल पिच दे रहे हैं, जहां तेज गेंदबाजों के साथ-साथ स्पिनर्स को भी मदद मिल रही है, तो गेंदबाजों और बल्लेबाजों के बीच संतुलन वापस लौट आएगा। इस साल ऐशेज में कुछ बेहतरीन टेस्ट पिच देखने को मिलीं। हेडिंग्ले, लॉर्ड्स और ओवल में हुए टेस्ट मैच रोमांचक थे।
"आईपीएल से प्रतिभाएं उभर रहीं"
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि अगर किसी ने आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन किया है, तो वह टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए फिट है। लेकिन, आईपीएल के प्रदर्शन के आधार पर टेस्ट और वनडे में चुनाव किए जाने पर सवाल जरूर उठाया जाना चाहिए। जब तक खिलाड़ी में असाधारण प्रतिभा न हो, मैं उसका समर्थन नहीं करूंगा। जसप्रीत बुमराह इसका एक उदाहरण हैं।'
"1998 में वॉर्न के खिलाफ होमवर्क किया था"
1998 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान शेन वार्न के साथ अपनी प्रतिद्वंद्विता को याद करते हुए सचिन ने कहा- उस सीरीज को तेंदुलकर बनाम वार्न लड़ाई के रूप में प्रचारित किया गया था। मुझे किसी तरह पहले ही पता चल गया था कि वार्न उस श्रृंखला में विकेट के पीछे से गेंदबाजी करेंगे। जिसके बाद मैंने अपना होमवर्क मुंबई टीम के मेरे साथियों साईराज बहुतुले (लेग स्पिनर) और नीलेश कुलकर्णी (लेफ्ट आर्म स्पिनर) के साथ नेट्स पर शुरू कर दिया था।'
"1992 में पर्थ में शतक के बाद लगा तैयार हूं"
अपने पसंदीदा शतक के बारे में सचिन ने 1992 में पर्थ में लगाए शतक का जिक्र िकया। उन्होंने कहा- मुझे तुलना करना कभी पसंद नहीं रहा, लेकिन अगर आप मुझसे पूछें उछाल भरे ट्रैक पर जो शतक मैंने लगाया था, उसने मुझे अहसास दिलाया कि मैं किसी भी जमीन पर और किसी भी आक्रमण का सामना करने को तैयार हूं। ये बिल्कुल ऐसा था जैसे मैंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने आने की घोषणा की हो।
"चेन्नई (1999) में पाकिस्तान के खिलाफ पीठ दर्द से जूझते हुए लगाया शतक हो या सिडनी (2004) में कवर ड्राइव नहीं मार पाने के बाद भी लगाया दोहरा शतक हो। 2011 में केपटाउन में डेल स्टेन के कुछ स्पेल्स रहे हों.. हर एक की अपनी खूबसूरती और चुनौतियां रही हैं।"
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