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67 करोड़ से ज्यादा लोग खुले में शौच को मजबूर; बीमारियों से सालाना 6 लाख मौतें, इनमें 60% भारत में

नई दिल्ली. आज दुनियाभर में वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाया जा रहा है। शौचालय के महत्व को बताने के लिए इस दिन की शुरुआत सिंगापुर के निवासी जैक सिम ने की थी। उनकीकोशिशों के बाद संयुक्त राष्ट्र ने 2013 में 19 नवंबर को वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाने की मान्यता दी थी। जैक सिम की संस्था वर्ल्ड टॉयलेट ऑर्गनाइजेशन 2001 से ही इसे मना रही थी। जैक ने भास्कर प्लस ऐप से कहा कि खुले में शौच की वजह से होने वाली बीमारियों से हर साल 6 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इनमें से 60% मौतें अकेले भारत में होती हैं।पिछले 5 साल में शौचालय को लेकर भारत में काफी काम हुआ है और सरकारी आंकड़ों की मानें तो अब 100% लोगों के पास शौचालय की सुविधा है।


सेनिटेशन और टॉयलेट पर कोई बात नहीं करता, इसलिए यह दिन शुरू किया- जैक

  • जैक सिम बताते हैं,'जो चीज सबसे ज्यादा जरूरी है, उसे उतना ही नजरअंदाज किया जाता है। टॉयलेट और सेनिटेशन (स्वच्छता) सबसे जरूरी चीज है, लेकिन हम इसे इतना घृणित मानते हैं कि चर्चा भी नहीं करते। अगर हम चर्चा नहीं करेंगे तो हम सुधार भी नहीं ला सकते।मैंने महसूस किया कि मैं ऐसे गंभीर मुद्दों को तथ्यों के साथ लोगों के सामने पेश करूंगा, तो लोग इस पर ध्यान देंगे और ऐसा हुआ भी।'
  • जैक कहते हैं- मैं जब 40 साल का था, तब मैं पैसा कमाना चाहता था। लेकिन, फिर मैंने महसूस किया कि लोग करीब 80 साल तक ही जी पाते हैं। इस हिसाब से मेरे पास सिर्फ 14,600 दिन बचे हैं और इतने कम दिनों में पैसा कमाना घाटे का सौदा है,क्योंकि पैसे ज्यादा मूल्यवान समय है। इसलिए मैंने अपने समय को मानवता की सेवा करने में इस्तेमाल किया और सबसे अच्छी सेवा क्या है? जिसे सबसे ज्यादा उपेक्षित किया गया यानी टॉयलेट, सेनिटेशन और हाईजीन।"


दुनिया की स्थिति : 2 अरब लोगों के पास अभी भी टॉयलेट नहीं

  • वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, दुनिया की 74% आबादी (5.5 अरब लोग) बेसिक सेनिटेशन सर्विस का इस्तेमाल कर पाती है। 2 अरब लोगों के पास टॉयलेट की सुविधा नहीं है। उन्हें सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल करना पड़ता है। 67.3 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो आज भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
  • जैक कहते हैं, "सेनिटेशन की समस्या लोग हल नहीं कर सकते, क्योंकि वे इसके बारे में सोचते ही नहीं हैं। वे इन चीजों को वर्जित विषयमानते हैं। जैसे ही लोग अपने स्वास्थ्य, सुरक्षा और गरिमा को लेकर जागरूक होंगे, वे अपने लिए टॉयलेट बनवाएंगे। आज सेलफोन का ट्रेंड चल रहा है, वैसे ही भविष्य में टॉयलेट का ट्रेंड भी आएगा। खुले में शौच करने से बलात्कार की घटनाएं बढ़ती हैं। डायरिया जैसीखतरनाक बीमारियां होती हैं और इससे लोगों की आय में कमी आती है। नदियां प्रदूषित होती हैं।"

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भारत की स्थिति : 5 साल में देश खुले में शौच से मुक्त हुआ

  • स्वच्छ भारत मिशन की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, 2 अक्टूबर 2014 को देश की 38.7% आबादी ही शौचालय का इस्तेमाल करती थी। 2 अक्टूबर 2019 तक देश की 100% आबादी शौचालय का इस्तेमाल करने लगी। इस आधार पर महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 100% ओडीएफ घोषित कियायानीऐसा देश जहां हर घर में शौचालय है और लोग खुले में शौच नहीं कर रहे। वेबसाइट के मुताबिक, पिछले 5 साल में ग्रामीण इलाकों में 10.13 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाए गए।
  • स्वच्छ भारत मिशन के बारे में जैक कहते हैं- प्रधानमंत्री मोदी ने जिस स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी, वह इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा शौचालय प्रोजेक्ट है। इसके तहत 10 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाए गए, जिसपर 10 अरब डॉलर से ज्यादा का खर्चा आया। पूरी तरह से चीजें बदलने में 10 साल का वक्त लग सकता है। स्वच्छ भारत मिशन को अब डिमांड ड्रिवेन प्रोजेक्ट बनाने की जरूरत हैताकिलोग खुद शौचालय की मांग करें। खुले में शौच करने की आदत सदियों से चली आ रही है और इसे बदलने में समय लगेगा।


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Swachh Bharat World Toilet Day 2019 Special: Toilet Man Jack Sim; 67 Crore Population Defecate in the Open


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