नई दिल्ली. भारती एयरटेल को जुलाई-सितंबर तिमाही में 23,045 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। यह कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा नुकसान है। एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) मामले में सरकार को बकाया देनदारी के 28,450 अलग रखने की वजह से इतना घाटा हुआ। पिछले साल सितंबर तिमाही में 119 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। हालांकि, कंपनी ने कहा कि अकाउंटिंग के तरीकों में बदलाव की वजह से पिछले साल की तिमाही से तुलना नहीं की जा सकती। रेवेन्यू 4.7% बढ़कर 21,199 करोड़ रुपए रहा।
एजीआर मामले में कंपनी ने सरकार से कुछ राहत मिलने की उम्मीद जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने नॉन-टेलीकॉम रेवेन्यू को भी एजीआर का हिस्सा मानने के दूरसंचार विभाग के दावे को बरकरार रखते हुए टेलीकॉम कंपनियों को बकाया भुगतान करने का आदेश 24 अक्टूबर को दिया था। टेलीकॉम कंपनियों पर कुल 1.33 लाख करोड़ रुपए बकाया होने का अनुमान है।
एजीआर मामलाक्या है?
टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर का 3% स्पेक्ट्रम फीस और 8% लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले कंपनियां एजीआर की गणना टेलीकॉम ट्रिब्यूनल के 2015 के फैसले के आधार पर करती थीं। ट्रिब्यूनल ने उस वक्त कहा था कि किराए, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ, डिविडेंड और ब्याज जैसे नॉन कोर स्त्रोतों से प्राप्त रेवेन्यू को छोड़ बाकी प्राप्तियां एजीआर में शामिल होंगी। विदेशी मुद्रा विनिमय (फॉरेक्स) एडजस्टमेंट को भी एजीआर में माना गया। हालांकि फंसे हुए कर्ज, विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव और कबाड़ की बिक्री को एजीआर की गणना से अलग रखा गया। दूरसंचार विभाग किराए, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ और कबाड़ की बिक्री से प्राप्त रकम को भी एजीआर में मानता है। इसी आधार पर वह टेलीकॉम कंपनियों से बकाया फीस की मांग कर रहा था।
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