
लाइफस्टाइल डेस्क.समाज और परिवार में पुरुषों को अक्सर बेसब्र, गुस्सैल और हिंसक दिखाया जाता है। फिल्में हों या किताबें, इतिहास में भी उनकी परिभाषा इसी तरह से लिखी गई है। इस सोच को बदलने के लिए वेस्टइंडीज के हिस्ट्री लेक्चरर डॉ. जीरोम तिलक सिंह ने 19 नवंबर1999 को इंटरनेशनल मेन्स डे की शुरुआत की। भारत में इसकी शुरुआत 2007 में हुई, जिसका श्रेय हैदराबाद की लेखिका उमा चल्ला को जाता है। उमा के मुताबिक, जब हमारी संस्कृति में शिव और शक्ति दोनों बराबर हैं तो पुरुषों के लिए भी सेलिब्रेशन का इन दिन क्यों नहीं होना चाहिए। उमा से जानिए,इस इंटरनेशनल मेन्स डे की कहानी...
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