
नई दिल्ली.राज्यसभा के 250वें सत्र के मौके पर मार्शलों की नई ड्रेस को लेकर सेना के पूर्व प्रमुखों और कई राजनेताओं ने आपत्ति जताई। सैन्य अफसरों कहना है कि यह ड्रेस आर्मी की ब्रिगेडियर रैंक और उससे ऊपर की वर्दी से मिलती-जुलती है। इस डार्क ब्लू कलर की ड्रेस में राज्यसभा के मार्शल कैप लगाए नजर आएंगे। जबकि पुरानी ड्रेस का कलर क्रीम था और मार्शल पारंपरिक पगड़ी पहनते थे।
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने ट्वीट किया, ‘‘मिलिट्री यूनिफॉर्म की नकल करना और किसी गैर-सैन्यकर्मी के द्वारा उसे पहनना अवैध है। यह सुरक्षा व्यवस्था को खतरा है। उम्मीद है कि उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राज्यसभा सचिवालय जल्द कोई उचित फैसला लेंगे।’’इसके अलावा केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने भी मार्शलों की ड्रेस को आर्मी जैसी करने को गलत करार दिया।
मार्शलों की ड्रेस पर सदस्यों को भी आपत्ति
- मार्शलों की नई ड्रेस राजनेताओं को भी रास नहीं आई। कई राज्यसभा सदस्यों ने भी इस पर आपत्ति जताई। कांग्रेस नेता जयराम रमेश उपराष्ट्रपति से कहते सुने गए- क्या राज्यसभा में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया है? इस पर सभापति नायडू ने कहा कि कामकाज के कीमती वक्त में अर्थहीन सवाल नहीं पूछना चाहिए।
- लोकसभा की अपेक्षा राज्यसभा में मार्शलों का काम ज्यादातर शिष्टाचार से भरपूर होता है। वे सदन की कार्यवाही शुरू करने में सभापति या उपसभापति की मदद करते हैं। इसके साथ ही दस्तावेजों के लेन-देन और उन्हें व्यवस्थित करने का काम करते हैं।
मोदी ने 250वें सत्र को संबोधित किया था
प्रधानमंत्री मोदी ने 250वें सत्र के मौके पर राज्यसभा को संबोधित किया था। उन्होंने कहा कि लोकसभा हमें जमीन से जुड़े रहने की सीख देती है तो उच्च सदन (राज्यसभा) दूर तक देखने की शक्ति देता है। मोदी ने कहा कि सदन में सदस्यों का व्यवहार कैसा हो, यह राकांपा और बीजद से सीखना चाहिए। इससे पहले सभापति नायडू ने कहा कि सभी सदस्यों को आत्ममंथन करना चाहिए क्योंकि हमेशा वेल में आना सही नहीं होता। हमें कार्यवाही के दौरान जनता की आशाओं को ध्यान में रखना होगा।
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