
अहमदाबाद (विजय चौहाण). देश में महिला पुलिस थाने शुरू होने के बाद से महिलाओं के एफआईआर दर्ज करवाने की संख्या में 22% की वृद्धि दर्ज की गई है। साथ ही महिलाओं के खिलाफ अपराध भी बढ़े हैं। 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के दर्ज कुल मामलों में सबसे ज्यादा 33.2% मामले पति या उसके परिवार द्वारा हिंसा से संबंधित हैं। देश में एफआईआर की संख्या ही नहीं, बल्कि उसकी साइज भी बड़ी हुई है। यानी वे अपने बातें विस्तृत रूप से दर्ज करवा रही हैं।
यह बात जर्मनी की शोधकर्ता डॉ. सोफिया एमरल ने आईआईएम-अहमदाबाद में किए गए अपने शोध को पेश करते हुए कही। वे बुधवार को अपने शोध 'जेंडर क्राइम एंड पनिशमेंट: एविडेंस फ्रॉम वूमन पुलिस स्टेशन इन इंडिया' पर छात्रों से संवाद कर रही थीं।
महिलाएं थानों में खुलकर बात करती हैं
शोधकार्य ने डेटा साझा करते हुए कहा- 'महिलाएं पहले खुद के साथ हुई घटनाओं के बारे में पुलिस के सामने खुल कर बात नहीं कर पाती थीं, लेकिन महिला पुलिस थाना शुरू होने के कारण अब महिलाओं के साथ जो होता है, जैसे होता है, वह सहजता से बता रही हैं।' उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा के बारे में बताया कि भारत में महिलाओं पर अत्याचार होते हैं, लेकिन अन्य देशों की तुलना में भारत में महिलाएं अधिक सुरक्षित हैं।
तीन राज्यों में गईं, 12 साल का डेटा एनालिसिस किया
शोधकार्य के दौरान मुझे यह भी जानने को भी मिला कि यहां महिलाएं खुलकर अपनी आवाज उठा सकती हैं। शोध के दौरान डॉ. सोफिया राजस्थान, झारखंड और कर्नाटक भी गईं। 2005 से 2017 तक के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का अवलोकन किया ।
पहला महिला पुलिस थाना केरल में, सबसे ज्यादा तमिलनाडु में
डॉ. सोफिया ने 60 मिनट के संवाद के दौरान 30 सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बताया कि भारत में सबसे पहला महिला पुलिस थाना 27 अक्टूबर 1973 में केरल के कोझीकोड़ में खुला था। देश में सबसे ज्यादा महिला पुलिस थाने तमिलनाडु में हैं। हालांकि पूर्वोतर में कई राज्यों में एक भी महिला पुलिस थाना नहीं है। भारत में महिलाओं से संबंधित अपराधों पर नियंत्रण और महिलाओं को संरक्षण में मिल रही सफलता बढ़ती एफआईआर की दर्ज संख्या से देखी जा सकती है।

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