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कोरोनावायरस के निमोनिया जैसे लक्षण, फिलहाल कोई इलाज नहीं; जानवरों से इंसान में आने की आशंका

इंटरनेशनल डेस्क. कोरोनावायरस से चीन में मौतों का आंकड़ा 150से ऊपर पहुंच गया है। देश में 7000 से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं। सेंट्रल चीन के वुहान में शुरू हुआ कोरोनावायरस इन्फेक्शन फिलहाल चीन सरकार की पकड़ से बाहर है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तो कोरोनावायरस को राक्षस करार दे चुके हैं। कोरोनावायरस के इस टाइप की खोज 2019 में हुई थी। यह इस वायरस का सबसे नया प्रकार है, इसलिए इसका नाम नोवेल-कोरोनावायरस (एन-कोरोनावायरस) रखा गया है। आमतौर पर कोरोनावायरस का कुछ नाम होता है, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने अभी इसका नामकरण नहीं किया है। 9 पॉइंट्स में समझें...

क्या हैं लक्षण?
सूखा कफ, सांस लेने में दिक्कत, थकान, बुखार इस वायरस से प्रभावित होने के लक्षण हैं। एडवांस्ड स्टेज में यह लोगों में निमोनिया जैसी परेशानियां पैदा करता है, जिससे लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है।

कहां पाया गया?
अभी इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है। हालांकि, माना जा रहा है कि इसकी उत्पत्ति जानवरों से हुई। इसकी पैदाइश वुहान के ही एक सीफूड मार्केट को माना जा रहा है। जहां जंगली जानवर भी बेचे जाते हैं।

क्या बीमारी से डरना चाहिए?
चीन में अब तक ज्यादातर बुजुर्गों को अस्पताल में भर्ती किया गया है। इनकी उम्र 40+ थी। जिन लोगों की मौत हुई है, उन्हें पहले से कोई न कोई बीमारी थी, इसलिए उनका प्रतिरक्षी तंत्र काफी कमजोर था। जिनका इम्यून सिस्टम मजबूत है, उन पर वायरस का ज्यादा असर नहीं है।

वायरस कैसे फैल रहा?
पहले माना जा रहा था कि यह वायरस जानवरों से इंसानों में फैल सकता है, लेकिन अब यह इंसानों से इंसानों में फैल रहा है। इसलिए सभी लोगों के लिए मास्क काफी जरूरी हैं। अभी भी कोरोनावायरस का कोई ट्रीटमेंट नहीं है। अभी एंटी वायरल ही इस्तेमाल हो रहे हैं।

क्यों बार-बार चीन से उभर रहीं बड़ी बीमारियां?
हाल के सालों में कुछ बड़े वायरस चीन से ही उभरे हैं। इनमें सार्स, बर्ड फ्लू जैसे जानलेवा वायरस शामिल हैं। अब लिस्ट में नया नाम कोरोनावायरस है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसकी एक बड़ी वजह यह है कि यहां फूड मार्केट में खाने का ज्यादातर सामान एक साथ बेचा जाता है। जैसे फल, सब्जियों के साथ ही सांप, चूहे और कछुए। कोरोनावायरस जानवरों से ट्रांसमिट है, ऐसे में माना जा रहा है कि यह किसी फूड मार्केट से ही इंसानों में फैला। इसके अलावा चीन की घनी आबादी भी एक इंसान से दूसरे इंसान में वायरस फैलने की वजह है।

कहां खतरा सबसे ज्यादा?
जहां भी इंसानों और जानवरों का करीबी और अनियंत्रित मेलजोल होगा, वहां बीमारियों के फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होगा। मसलन जिन जगहों पर जानवरों-इंसानों का खून आपस मिलेगा, वहां वायरस के एक से दूसरे में जाने का खतरा ज्यादा रहता है। चीन के फूड मार्केट में यही स्थिति रहती है। वहां खराब तरीके से जानवरों के खून और अंगों का रखरखाव हो रहा है। इसके चलते ही जानवरों में पाया जाने वाला वायरस इंसानों में पहुंचने लगा है।

यह स्थिति सिर्फ चीन की नहीं हैं। दुनियाभर में जहां भी इंसानों और जानवरों के मेलजोल पर नियंत्रण नहीं हैं, वहां ऐसे केस ज्यादा देखे गए। अफ्रीका में इबोला के मामले में भी यही देखा गया। अफ्रीका के चिम्पांजियों में सबसे पहले इबोला वायरस पाया गया। वहां इंसानों के चिम्पांजियों को मारकर खाने के बाद ही इबोला जानवरों से ट्रांसमिट हुआ। फूड मार्केट किसी भी वायरस के फैलने का सबसे बड़ा कारण हैं, क्योंकि यहां पैथोजंस (रोगाणु) का ट्रांसमिशन सबसे आसान है।

चीन से क्यों फैल रहे खतरनाक वायरस?
चीन में इस वक्त दुनिया की करीब 20% आबादी (7 अरब में 1.4 अरब) रह रही है। इसके अलावा इस देश में दुनिया का 50% लाइवस्टॉक (पशुधन) है। इसके चलते चीन लगातार नई बीमारियों के फैलने का कारण बनता जा रहा है। अमेरिकी एजेंसी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, दुनियाभर में चीन के प्रवासियों की संख्या काफी ज्यादा (करीब 1.1 करोड़) है। ऐसे में इन वायरसों के दूसरे देशों में फैलने का खतरा भी ज्यादा है।

चीन में सार्स की वजह से महामारी फैलने का सिलसिला 2002 में गुआंगदोंग प्रांत से शुरू हुआ और धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में फैल गया। इसी तरह बर्ड फ्लू भी चीन से शुरू हुआ और फिर 2013 में दुनियाभर में फैलता चला गया। इस वायरस का रूप भी तेजी से बदलता है। 2018 में ही एक पेशेंट में बर्ड फ्लू के दूसरे रूप एच7एन4 पाया गया था। 2019 में शिनजियांग के होर्गोस में बर्ड फ्लू वायरस एच5एन6 फैला था।

खान-पान की विविधता कितनी जिम्मेदार?
चीन में कई तरह का मांस, सी-फूड भोजन का हिस्सा है। खान-पान की विविधता भी कई बार वायरस के जानवर से इंसानों में फैलने में सहायक होती है। जैसे ही कोई वायरस इंसानों में पहुंच जाता है, यह अपना रूप बदलकर खुद को इंसानों पर जीवित रहने लायक तैयार करता है। वायरस संक्रमण कई अन्य देशों में भी होता है, लेकिन चीन में अलग-अलग जानवरों का मांस खाने की वजह से वायरस के इंसानों में फैलने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है।

कोरोनावायरस रोकने के लिए कौन क्या कर रहा?
नॉर्वे की कोएलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशन (सीईपीआई) संस्था ने तीन कंपनियों को वायरस का इंजेक्शन बनाने के लिए 12.5 मिलियन डॉलर (करीब 90 करोड़ रुपए) दिए हैं। सीईपीआई एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 2016 में हुई थी। यह संगठन मौजूदा दौर की खतरनाक बीमारियों के लिए तेजी से वैक्सीन तैयार करता है। अमेरिका का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शस डिजीज (एनआईएआईडी) भी कोरोनावायरस के लिए वैक्सीन बना रहा है। अमेरिका की ही इनोवायो कंपनी भी सीपीईआई की मदद से इंजेक्शन तैयार करने में जुटी है।



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चीन के एयरपोर्ट्स पर कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर गहन जांच जारी है।


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