पेरिस.ईशनिंदा के आरोप में 8 साल पाकिस्तान की जेल में बिताने वाली ईसाई महिला आसिया बीबी ने पहली बार चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने फ्रांस की पत्रकार एन्ने-इसाबेले टोलेट के साथ एक किताब लिखी है- एनफिन लिबरे, यानी आखिरकार आजादी। आसिया को 2010 में मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन 2018 में नाटकीय तरीके से रिहा कर दिया गया। अब वो कनाडा में अज्ञात स्थान पर रहती हैं।
मैं कट्टरता की कैदी हो गई थी: आसिया
टोलेट अकेली पत्रकार हैं जो कनाडा में आसिया से मिली हैं। कभी भी वतन न लौटने की शर्त से बंधी आसिया लिखती हैं- आप मीडिया के जरिए मेरी कहानी जानते हैं। लेकिन जेल, नई जिंदगी के बारे में कुछ नहीं जानते। मैं कट्टरता की कैदी हो गई थी। आंसू ही एकमात्र सहारा थे। गर्दन में लोहे की पट्टी बंधी रहती थी, जिसे गार्ड नट से कस सकता था। यह लोहे की जंजीर से जुड़ी थी, जिसका दूसरा छोर मेरी कलाइयों को जकड़ता था। गंदे फर्श पर पड़ी रहती थी। जानवरों की तरह खींचते थे।
आसपास था तो सिर्फ मौत का अहसास
आसिया लिखती हैं - आसपास था तो सिर्फ अंंधेरा और मौत का अहसास। यह डर कभी साथ नहीं छोड़ेगा। अब एक नए गंतव्य या नई जिंदगी के लिए तैयार हूं। लेकिन किस कीमत पर? मैं उस वक्त बुरी तरह टूट गई जब पिता, परिवार से मिले बिना यहां के लिए रवाना हो गई। पाकिस्तान मेरा देश है। मुझे अपने देश से प्यार है, लेकिन मैं हमेशा के लिए निर्वासन में हूं। मेरी रिहाई के बावजूद वहां ईसाईयों के लिए माहौल नहीं बदला है। वे अपने सिर पर तलवार लेकर चल रहे हैं।
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