
प्रधानमंत्री की सलाह पर लोकसभा के स्पीकर और राज्यसभा के उपसभापति सभी 22 भारतीय भाषाओं के अनुवादकों की तलाश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री यह अनुवाद प्रणाली संयुक्त राष्ट्र की तर्ज पर बनाना चाहते हैं। यह कार्य आसान नहीं है। संथाल भाषा का एक अच्छा अनुवादक खोजने में एक वर्ष का समय लगा। हाल ही में जुड़ने वाली संथाल अनुवादक- प्रीतिप्रिया मरांडी- जेएनयू से पीएचडी कर रही हैं। उड़ीसा की सांसद सरोजिनी हेम्ब्रम ने संसद में अलचिकी लिपि के जनक रघुनाथ मुर्मू को भारत रत्न देने की मांग की थी। प्रीतिप्रिया ने उनके भाषण का त्वरित अनुवाद किया था।
घुसपैठियों की घर वापसी
सीएबी के बाद से वापस बांग्लादेश जाने वालों की भीड़ टूट पड़ी है। पश्चिम बंगाल सीमा से चोरी-छिपे सीमापार कर लेना बहुत कठिन नहीं है। घुसपैठिए बोनगाओं, बसीरहाट और कई सब डिवीजनों के रास्ते आते रहे हैं। जो दलाल उन्हें यहां लाते रहे हैं, वही अब उन्हें वापस भिजवा रहे हैं, और सुरक्षित वापसी के लिए प्रति व्यक्ति पांच हजार रुपए वसूल रहे हैं। गृह मंत्रालय ने इस बारे में असम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारों को सतर्क कर दिया है।
और हनीमून रह गया
पूर्व स्पीकर पूर्णो संगमा की बेटी और मेघालय के तुरा से लोकसभा सदस्य अगाथा संगमा का हाल ही में विवाह हुआ था। नया जोड़ा हनीमून के लिए रवाना हो चुका था कि नागरिकता संशोधन बिल आ गया। फिर क्या था। हनीमून छोड़कर अगाथा तुरंत लौट आईं। मेघालय में उनकी पार्टी बीजेपी की सहयोगी है और उनके बड़े भाई राज्य के मुख्यमंत्री हैं। सुना जा रहा है कि अगाथा को मोदी सरकार में शामिल किया जा सकता है।
चल रहा है विचार
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सुधार करने के लिए सदन में प्रक्रियात्मक बदलाव सुझाने के लिए एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है। श्रीमती स्नेहलता श्रीवास्तव इसकी अध्यक्ष हैं जबकि तीन अन्य सदस्य- जी. सी. मल्होत्रा, श्री श्रीधरन, एस. बालाशेखर लोकसभा के पूर्व महासचिव हैं।
नया यूटी बनाम पुराना यूटी
जम्मू-कश्मीर को नया केन्द्र शासित प्रदेश बनाने से दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के आईपीएस अधिकारियों के बीच पदोन्नति में थोड़ी उलटफेर की स्थिति बन गई है। 1995 के बैच के जम्मू और कश्मीर के आईपीएस अधिकारी अतिरिक्त महानिदेशक की रैंक पर पहुंच चुके हैं, जबकि दिल्ली में 1994 के बैच के भी कुछ अधिकारी अभी बचे हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में 1990 के बैच के आईपीएस अधिकारी डीजी रैंक के अधिकारी बन गए हैं, जबकि दिल्ली में डीजी रैंक 1988 बैच वालों को मिली है।
मथाई मंथन की मलाई!
जवाहरलाल नेहरू के विशेष सहायक रहे एम ओ मथाई द्वारा जवाहरलाल नेहरू पर लिखी गई पुस्तक लगातार प्रतिबंधित रही है। अब ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह प्रतिबंध जल्द ही हटा लिया जाएगा। भारी भरकम विवाद पैदा हो सकने की सुगबुगाहट अभी से शुरू हो गई है।
सुननी पड़ गई
कुछ केंद्रीय मंत्रियों को प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने हाल ही में सख्त सलाह दी है कि वे पांच सितारा होटलों में मिलने-जुलने से बचें और अपनी टिप्पणियों को व्यक्त करने में सावधानी बरतें।
इनमें सीएम कौन है ?
अगर दरवाजे पर लगने वाली लोगों और अफसरों की भीड़ को ताकत का पैमाना माना जाए, तो हरियाणा में शक्ति के तीन केन्द्र हैं- दुष्यंत चौटाला, अनिल विज और रणधीर सिंह।
नीतीश इश्टाइल
कोई चर्चा में रहना पसंद करता है, तो कोई कयासों में। इस दूसरी कैटेगरी वालों में नंबर वन हैं नीतीश कुमार। नीतीश कुमार ने नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन किया था। लेकिन जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कैब पर तीखी प्रतिक्रिया दी और नीतीश से विपरीत लाइन ली। पूर्व राजनयिक और नीतीश के निकट माने जाने वाले पवन वर्मा ने भी कैब का विरोध किया। यह है नीतीश की विशिष्ट इश्टाइल।
फिर लौटे अच्छे दिन
बीजेपी के तीन मुख्यमंत्री थे। तीनों के अपने सचिव भी थे। एक-दूसरे से एक-दो साल जूनियर-सीनियर। सोमवार को तीनों की किस्मत का छींका एक साथ टूटा। तीनों को केन्द्र सरकार में जगह मिल गई है। वसुंधरा सरकार में मुख्यमंत्री के सचिव रहे तन्मय कुमार को ऊर्जा मंत्रालय में ले आया गया है। रमन सिंह के सचिव रहे 1997 बैच के सुबोध कुमार सिंह को खाद्य एवं वितरण मंत्रालय में और शिवराज सिंह के प्रधान सचिव रहे हरिरंजन राव को दूरसंचार विभाग में पदस्थापना मिली है।
तो शर्माजी पक्के हैं
जोरदार चर्चा यह है कि एक बार 1988 के बैच के सचिव पद को इम्पैनल किया गया, तो 1988 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी ए. के. शर्मा को मौका मिलने की पूरी संभावना है। वह तब से मोदी के साथ हैं, जब मोदी मुख्यमंत्री होते थे। हालांकि प्रधानमंत्री कार्यालय में कई अतिरिक्त सचिव पदोन्नति के बाद पीएमओ से बाहर सेवा कर चुके हैं।
नया वाला एनजीओ?
खुफिया सूत्रों का मानना है कि भारत के मौजूदा वामपंथी आंदोलन के पीछे चल रही चतुर सुजान रणनीति मेड इन हंगरी है।
जाति और मौका
राजस्थान में सतीश पूनिया को बीजेपी का प्रदेशाध्यक्ष बनाने के बाद अब किसी न किसी राजपूत नेता को अहम पद देने का विचार चल रहा है। यह जातिगत संतुलन के लिए जरूरी है। हो सकता है कि राजेंद्र सिंह राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष का दायित्व मिल जाए। मौजूदा नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया हैं, जो वैश्य हैं और 75 पार हो चुके हैं।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar /opinion/columnist/news/power-gallery-by-dr-bharat-agarwal-126568397.html
0 Comments:
Post a Comment