
नई दिल्ली.आम आदमी पार्टी के संगरूर (पंजाब) से सांसद भगवंत मान को भरोसा है कि दिल्ली में फिर उनकी पार्टी सरकार बनाएगी। दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में मान ने कहा- दिल्ली विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को हार का डर है। इसलिए, उन्होंने अपने फोटो हटवा लिए। अब पोस्टर-बैनर पर अमित शाह ज्यादा नजर आ रहे हैं। भगवंत के मुताबिक- दिल्ली में भाजपा के पास कोई चेहरा नहीं है। जबकि ‘आप’ के पास उसके काम की ताकत और अरविंद केजरीवाल का चेहरा है। यहां कॉमेडियन से सियासतदान बने भगवंत से बातचीत के प्रमुख अंश।
लोकसभा चुनाव में जीत के बाद दिल्ली में भी मोदी ही भाजपा का चेहरा हैं। आप कैसे देखते हैं?
दिल्ली चुनाव में भाजपा के पास कोई चेहरा ही नहीं है। वे नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ रहे हैं। इस बार तो मोदी के फोटो कम और अमित शाह के ज्यादा नजर आ रहे हैं। दरअसल, मोदी को पता चला गया है कि दिल्ली हाथ से गई। इसलिए वे अपनी फोटो निकलवा रहे हैं, ताकि यह हार भी उनके नाम दर्ज न हो जाए।
क्या एनआरसी-सीएए जैसे मुद्दे दिल्ली चुनाव के नतीजों पर असर डालेंगे?
हम अपनी सरकार और केजरीवाल के काम पर वोट मांग रहे हैं। भाजपा मोदी-शाह के नाम पर। स्कूलों का प्रबंधन बेहतर हुआ। मोहल्ला क्लीनिक देखने दुनिया आ रही है। पानी-बिजली का मसला हल हो गया। सीसीटीवी कैमरे लग गए। मुफ्त शिक्षा मिल रही है। ऐसे कई काम हैं, जो हमसे ज्यादा दिल्ली वाले जानते हैं। संसद में वोटिंग के दौरान मैंने सीएए का विरोध किया था। एक शेर भी पढ़ा था, “कौम को कबीलों में मत बांटिए, लंबे सफर को मीलों में मत बांटिए। एक बहता दरिया है मेरा भारत देश, इसको नदियों और झीलों में मत बांटिए।”
'आप' ने 15 मौजूदा विधायकों के टिकट क्यों काटे। इससे कार्यकर्ता नाराज हैं?
चुनाव में ये सब चलता रहता है। हमने जानबूझकर किसी व्यक्ति विशेष का टिकट नहीं काटा। परफॉर्मेंस या कोई और कमी रही होगी। इसलिए टिकट काटे गए होंगे।
दिल्ली में कितनी सीटें जीतने का अनुमान है?
हमने तो पिछली बार भी 67 सीटें जीतने का अनुमान नहीं लगाया था। ये तो जनता बताएगी। मैंने दो सभाएं की हैं। उम्मीद है कि पिछले चुनाव से भी ज्यादा बेहतर नतीजे मिलेंगे।
आरोप हैं कि वोट बैंक के लालच में 'आप' ने चुनाव से 6 महीने पहले कई फ्री स्कीम्स शुरू कर दीं?
स्कूल, इलाज और पानी की सुविधा दिए कई साल हो चुके हैं। ये तो 6 महीने पहले नहीं किया। विरोधियों के पास कोई मुद्दा नहीं है। वे धर्म की राजनीति करते हैं।
क्या अन्ना हजारे अब केजरीवाल का समर्थन करने आएंगे?
इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता। इसलिए कोई टिप्पणी भी नहीं करूंगा।
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