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8 साल में चार महिलाओं समेत 44 दोषियों की 32 दया याचिका खारिज हुईं, लेकिन फांसी सिर्फ 3 को ही मिली

नई दिल्ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने निर्भया के चार दोषियों में से एक मुकेश सिंह की दया याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। उन्होंने अपने कार्यकाल में ये दूसरी दया याचिका खारिज की है। इससे पहले उन्होंने मई 2018 में एक ही परिवार के 6 लोगों की हत्या के मामले में दोषी पाए गए जगत राय की दया याचिका ठुकराई थी। अगर किसी दोषी की दया याचिका खारिज हो जाती है, तो उसकी फांसी तय हो जाती है क्योंकि फांसी की सजा के मामले में दया याचिका आखिरी विकल्प होता है। हालांकि, राष्ट्रपति सचिवालय की वेबसाइट के मुताबिक, जुलाई 2012 से लेकर अभी तक 44 दोषियों की 32 दया याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। इनमें से सिर्फ तीन दोषियों को ही फांसी मिली। सात दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला जा चुका है।


तीन दोषी, जिन्हें पिछले 8 साल में फांसी हुई
1) अजमल कसाब : मुंबई हमले में फांसी की सजा मिली

मुंबई हमले में शामिल आतंकी अजमल कसाब ने 15 नवंबर 2012 को दया याचिका लगाई थी, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसे खारिज कर दिया था। 26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी। कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी पर लटका दिया गया था।


2) अफजल गुरु : संसद हमले का मास्टरमाइंड
13 दिसंबर 2001 को 5 आतंकियों ने संसद में घुसकर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थीं। इस हमले में 9 लोगों की मौत हुई थी। पांचों आतंकी भी मारे गए थे। इस हमले का मास्टरमाइंड अफजल गुरु था। उसने 2011 में दया याचिका लगाई, जो 3 फरवरी 2013 को खारिज हो गई। इसके बाद 9 फरवरी 2013 को अफजल गुरु को फांसी दे दी गई।


3) याकूब मेमन : मुंबई हमले का साजिशकर्ता
12 मार्च 1993 को मुंबई में 12 सीरियल ब्लास्ट हुए थे। इसमें 257 लोग मारे गए थे। हमले की साजिश याकूब मेमन ने रची थी। मेमन ने 14 मार्च 2014 को दया याचिका दायर की। इसे 11 अप्रैल 2014 को खारिज कर दिया गया। इसके बाद भी फांसी से एक दिन पहले 29 जुलाई 2015 को भी उसने दया याचिका लगाई, लेकिन वह भी खारिज हो गई। याकूब के वकील फांसी रुकवाने के लिए रात में ही सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे और रात 3 बजे इस पर सुनवाई भी हुई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी। याकूब को उसके जन्मदिन पर ही 30 जुलाई 2015 को फांसी दी गई।


राष्ट्रपति कोविंद ने दो दोषियों की दया याचिका खारिज की
1) जगत राय : 5 बच्चों समेत 6 लोगों की हत्या का दोषी

31 दिसंबर 2005 को बिहार के वैशाली नगर में विजेंद्र महतो के घर में बाहर से ताला लगाकर आग लगा दी गई थी। जगत राय पर महतो ने भैंस चुराने का आरोप लगाया था और पुलिस में उसकी शिकायत भी की थी। इसी से जगत नाराज था। ताला बाहर से लगा होने की वजह से विजेंद्र की पत्नी और उसके 5 बच्चे जलकर मर गए थे। विजेंद्र भी बुरी तरह जल गया था और बाद में उसकी मौत हो गई थी।


2) मुकेश सिंह : निर्भया का दोषी
16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में चलती बस में निर्भया से 6 लोगों ने गैंगरेप किया था। इसके बाद 13 दिनों में निर्भया की मौत हो गई थी। मुकेश मुख्य दोषी राम सिंह का भाई था। राम सिंह ने मार्च 2013 में तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।

वो महिलाएं, जिनकी दया याचिका खारिज हुई

  • पिछले आठ साल में चार महिलाओं की दया याचिका खारिज हुई। इन चार महिलाओं में दो बहनें थीं। इन दोनों बहनों के नाम रेणुका शिंदे और सीमा गोवित है। इन्होंने अपनी मां अंजना गोवित के साथ मिलकर 1990 से 1996 के बीच पुणे में 42 बच्चों की हत्या की थी। 1998 में अंजना की बीमारी से मौत हो गई थी। बाद में इन दोनों बहनों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। इन्होंने अक्टूबर 2013 में दया याचिका लगाई थी, जिसे राष्ट्रपति ने 7 जुलाई 2014 को खारिज कर दिया था।
  • इन दोनों के अलावा सोनिया की भी दया याचिका खारिज हो चुकी है। सोनिया बरवाला से निर्दलीय विधायक रहे रेलू राम पूनिया की बेटी थी। उसने अपने पति संजीव के साथ मिलकर संपत्ति विवाद में पिता रेलू राम समेत परिवार के 8 लोगों की हत्या कर दी थी। 29 जून 2013 को इन दोनों की दया याचिका भी खारिज हो चुकी है, लेकिन अभी तक फांसी नहीं दी गई।
  • एक और महिला जिसकी दया याचिका खारिज हुई, उसका नाम शबनम है। शबनम ने अप्रैल 2008 में अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी थी, क्योंकि शबनम के परिवार वाले सलीम से शादी के खिलाफ थे। शबनम और सलीम को फांसी की सजा सुनाई गई। शबनम की दया याचिका 7 अगस्त 2016 को खारिज हो चुकी है।

19 साल में सिर्फ चार दोषियों को फांसी
एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकड़ों के मुताबिक, 2000 से 2018 तक 2 हजार 328 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। 2018 में 186 अपराधियों को फांसी की सजा दी गई थी, जिसमें से 65 की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। पिछले 19 साल में अब तक सिर्फ 4 अपराधियों को फांसी की सजा दी गई, जिसमें से 3 आतंकी थे। 2012 में अजमल कसाब, 2013 में अफजल गुरु और 2015 में याकूब मेमन को फांसी दी गई।

उन मामलों के अलग-अलग कारण हो सकते हैं...
'रेप लॉज एंड डेथ पेनाल्टी' के लेखक और सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता दया याचिका खारिज होने के बाद भी दोषियों को फांसी में देरी के दो कारण बताते हैं-
1. राष्ट्रपति की तरफ से दया याचिका खारिज होने के बाद मामला फिर अदालती दायरे में आ गया हो, जिसकी वजह से दोषी के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी नहीं हो सका हो।
2. कुछ दोषियों को सुनाई गई फांसी की सजा को मौत होने तक उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया हो। 1993 के दिल्ली ब्लास्ट मामले में दोषी देवेंदर पाल सिंह भुल्लर की दया याचिका खारिज हो गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा को उम्र कैद में इस आधार पर बदल दिया क्योंकि उसकी दया याचिका खारिज होने में 8 साल का वक्त लग गया था। भुल्लर ने 2003 में दया याचिका लगाई थी, लेकिन राष्ट्रपति ने उसे 2011 में खारिज किया था। इसके बाद 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।



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Nirbhaya Rape Case Convict Mercy Petition | Bhaskar Research On Mercy Petition; Know How Many Mercy Petition Rejected During President Ram Nath Kovind, Pranab Mukherjee Tenure


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