
खेल डेस्क. भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने लगातार तीसरी बार ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर लिया है। यह 21वां मौका होगा, जब देश कीहॉकी टीम ओलिंपिक में खेलने उतरेगी। सिर्फ 2008 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ओलिंपिक में नहीं खेली थी। टीम इंडिया ने अब तक 8 स्वर्ण, 1 रजत और 2 कांस्य पदक अपने नाम किए हैं। भारत, ओलिंपिक में हॉकी इतिहास का सबसे सफल देश है। हालांकि, भारतको ओलिंपिक में अपना आखिरी पदक1980 में मॉस्को में मिला था। तब टीम ने सोना जीता था।उसके बाद टीम कभी भी टॉप-4 में नहीं आई। पिछली बार रियो ओलिंपिक (2016) टीम 8वें स्थान पर रही थी।
रियो के बाद टीम ने एशिया कप (2017) में स्वर्ण पदक, एशियन चैम्पियंस ट्रॉफी (2018) में स्वर्ण पदक, चैम्पियंस ट्रॉफी (2018) में रजत पदक और एशियन गेम्स (2018) में कांस्य पदक अपने नाम किया था। रियो ओलिंपिक के बाद से टीम के प्रदर्शन में लगातार सुधार हो रहा है और उससे दुनिया के सबसे बड़े खेल इवेंट में पदक की उम्मीदें हैं। ओलिंपिक की तैयारियों को जानने के लिए दैनिक भास्कर ने कप्तान मनप्रीत सिंह से बातचीत की।
1. ओलिंपिक में पिछली बार भारतीय टीम 8वें स्थान पर रही थी, इस बार टीम की कैसी तैयारी है?
‘इस बार हमारी तैयारी काफी बेहतर है। पिछले दो साल में टीम ने हर क्षेत्र में काफी सुधार किया है। हमारा प्रदर्शन लगातार बेहतर रहा है। टीम का लक्ष्य इस बार ओलिंपिक में टाॅप-4 में आना है।’
2. इस बार ग्रुप में ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना ऊंची रैंक की टीम है, उनके खिलाफ क्या रणनीति होगी?
‘हम ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना को ही केवल नहीं देख रहे हैं। हमारी नजर में ओलिंपिक में आने वाली हर टीम मजबूत है। किसी भी टीम को हल्के में लेने की भूल नहीं कर सकते हैं। हमारी कोशिश होगी कि हर टीम के साथ बेहतर खेले और दूसरी टीम के खेल को देखते हुएमैच दर मैच अपनी रणनीति बनाए। कोशिश होगी कि हम अपने पूल में टॉप में रहें।’
3. टीम किस क्षेत्र में अभी सबसे ज्यादा मजबूत है, किसमें काम करने की जरूरत है?
‘हमारा अटैक बेहतर है, लेकिन अभी डिफेंस में काम करने की जरूरत है। हालांकि, पिछले कुछ सालों से हमारा डिफेंस मजबूत हुआ है। हमारी टीम के खिलाफ विपक्षी को गोल करने के कम मौके मिल रहे हैं। टीम डिफेंस को मजबूत करने के लिए पिछले कुछ सालों से लगातार काम कर रही है। हम इस पर फोकस कर रहे हैं कि विपक्षी टीम को हमारेसर्किल में आने पर गोल करने के कम मौके मिले, साथ ही कम से कम पेनल्टी मिले। इसके अलावा हम अटैक को भी और ज्यादा मजबूत करने पर ध्यान दे रहे हैं। टीम इस पर भी काम कर रही है कि जब हम गेंद लेकर विपक्षी टीम के सर्किल में जाएं तो गोल करें या कम से कम पेनल्टी जरूर बनाएं।’
4. फिटनेस के लिए टीम क्या कर रही है? क्या अलग से कोई डाइटप्लान भी है?
‘फिटनेस लेवल में पिछले कुछ सालों में सुधार है। हम रनिंग पर भी फोकस कर रहे हैं। फिटनेस को लेकर ट्रेनर खिलाड़ियों के लिए शेड्यूल तैयार कर रहे हैं। खिलाड़ियों के फिटनेस लेवल के अनुसार शेड्यूल बनाया जाता है। उसके मुताबिक खिलाड़ी काम भी कर रहे हैं। हर दिन और हर खिलाड़ीके लिए अलग-अलग डाइट चार्ट तैयार किया गया है। इसका पालन कैंप में शामिल सभी खिलाड़ी करते हैं।’
5. पिछले कई सालों से आखिरी मिनटों में भारत के खिलाफ गोल हो जाता है, इसे सुधारने के लिए क्या प्रयास हो रहे हैं?
‘मुझे नहीं लगता है कि अब हम अंतिम मिनटों में गोल खा रहे हैं। कुछ साल पहले तक भारतीय टीम के लिए यह समस्या थीकि अंतिम क्षणों में विपक्षी टीम गोल करने में सफल हो रहीथी। लेकिन,अब यह समस्या काफी हद तक खत्म हो चुकी है। एशियन चैंपियनशिप में ऐसा हुआ था कि अंतिम क्षणों में विपक्षी टीम गोल करने में सफल हुई थी। लेकिन,उसके बाद ऐसा नहीं हुआ है। हम भी अंतिम समय में विपक्षी टीम के खिलाफ गोल कर रहे हैं। यह कहना गलत होगा कि भारतीय टीम के खिलाफ ही विपक्षी टीम अंतिम समय में गोल करने में सफल होती है। ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, बेल्जियम आदि टीमों के खिलाफ भी विपक्षी टीम अंतिम समय में गोल करने में सफल हो जाती है। ऑस्ट्रेलिया ने अंतिम समय में नीदरलैंड के खिलाफ गोल किया था।’
6. आप 10 साल से भारतीय टीम के साथ हैं, इस दौरान टीम में आपने क्या बदलाव देखा?
‘मैं टीम में दस साल से हूं। इस दौरान टीम ने काफी सुधार किया है। पहले हम वर्ल्ड नंबर-11 थे, अब हम पांचवें स्थान पर हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में वर्ल्ड रैंकिंग में टॉप-3 में शामिल होंगे।’
7. पिछली बार ओलिंपिक में खेलने वाले सरदार सिंह और वीआर रघुनाथ टीम के साथ नहीं होंगे, क्या इस बार उनके जैसे अनुभवी खिलाड़ियों की कमी खलेगी?
‘टीम में शामिल सभी खिलाड़ी अपना बेस्ट दे रहे हैं। यह कहना संभव नहीं है कि ओलिंपिक में कौन खिलाड़ी होगा, कौन नहीं होगा। किसी भी खिलाड़ी का स्थान पक्का नहीं है। अगर मैं भी बेहतर नहीं खेलूंगा तो ओलिंपिक टीम में शामिल नहीं रहूंगा। जिस खिलाड़ी का प्रदर्शन बेहतर होगा, वही ओलिंपिक टीम में शामिल होगा। आने वाले टूर्नामेंट में बेहतर खेलने वाले खिलाड़ी को ही टोक्यो का टिकट मिलेगा।’
8. प्रो-हॉकी लीग के शुरुआती मुकाबलों में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड और बेल्जियम से खेलेगी, इसके लिए क्या तैयारियां हैं?
‘प्रो- हॉकी लीग में युवा खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अच्छा मौका है। हमें बेल्जियम,ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड जैसे टीमों के सााथ खेलने का मौका मिलेगा। ऐसे में ओलिंपिक से पहले टीम के पास अपनी तैयारियों को जांचने और प्रयोग करने का अच्छा मौका है। लीग में टीम कई प्रयोग कर सकती है,जिससे हमें पता चल सकेगा, ओलिंपिक के लिए बचे हुए कुछ महीनों में हमें किन क्षेत्रों में ज्यादा फोकस करने की जरूरत है।’
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