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5 साल बाद शनिवार को बीएसई पर ट्रेडिंग होगी, बजट की वजह से बाजार खुलेगा

मुंबई. बजट की वजह से आज शेयर बाजार में शनिवार होने के बावजूद ट्रेडिंग होगी। बताया जा रहा है कि बाजार से जुड़े लोगों की अपील पर यह फैसला लिया गया। क्योंकि, बजट की घोषणाओं से बाजार में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं। 2015 में भी बजट के दिन शनिवार होने के बावजूद बीएसई पर ट्रेडिंग हुई थी। सामान्य तौर पर शनिवार-रविवार को शेयर बाजार बंद रहता है।

शेयर बाजार से जुड़े ऐलान संभव
सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में राहत दे सकती है। शेयर खरीदने के एक साल बाद बेचने पर अगर एक लाख रुपए से ज्यादा मुनाफा होता है उस पर अभी 10% टैक्स लगता है। ऐसी अटकलें हैं कि इस टैक्स को खत्म किया जा सकता है या फिर इसका समय बढ़ाकर 2 साल किया जा सकता है। डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स के नियमों में भी बदलाव किए जा सकते हैं।

पिछले साल सरकार ने सुपर रिच पर सरचार्ज बढ़ाया, बाद में फैसला वापस लिया
बजट के दिन सेक्टर विशेष के लिए जो घोषणाएं होती हैं उनका सेक्टर विशेष की कंपनियों के शेयरों पर असर पड़ता है। मोदी सरकार के पिछले 6 पूर्ण बजटों की बात करें तो बजट के दिन 4 बार शेयर बाजार नुकसान में रहा। पिछले साल 5 जुलाई को बजट पेश किया गया था। उस दिन सेंसेक्स 1% और निफ्टी 1.14% नुकसान में रहा था। पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सुपर रिच पर सरचार्ज बढ़ाने का ऐलान किया था। विदेशी निवेशकों को भी इसके दायरे में माना गया। इससे बाजार में गिरावट बढ़ गई थी। हालांकि, सरकार ने कुछ दिनों बाद सरचार्ज बढ़ोतरी का फैसला वापस ले लिया था।



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BSE Sensex Today Budget 2020 | Stock Market Nirmala Sitharaman Budget 2020 Announcement News Updates On Share Stock Market Trade BSE, Nifty, Sensex Live News Updates


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पहला आयकर कानून 160 साल पहले बना था; तब 200 रुपए से ज्यादा की कमाई पर टैक्स लगता था, सेना-पुलिस अफसरों को छूट थी

नई दिल्ली.देश में इनकम टैक्स का पहला कानून 160 साल पहले आया था। 1860 में अंग्रेज अफसर जेम्स विल्सन ने पहला बजट पेश किया था। इसी में इनकम टैक्स कानून को जोड़ा गया था। देश के पहले बजट में 200 रुपए तक की सालाना कमाई वालों को इनकम टैक्स में छूट दी गई थी।अभी देश में 1961 का आयकर कानून लागू है। इसमें समय-समय पर संशोधन होते रहते हैं।


1860 में 200 रुपए से ज्यादा की कमाई पर 4% तक टैक्स लगता था
देश के पहले बजट में 200 रुपए से 500 रुपए तक की सालाना आय वालों पर 2% और 500 रुपए से ज्यादा कमाई पर 4% टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया था। इनकम टैक्स कानून में सेना, नौसेना और पुलिस कर्मचारियों को छूट दी गई थी। हालांकि, उस समय ज्यादातर कर्मचारी अंग्रेज ही थे। सेना के कैप्टन का वेतन 4,980 रुपए और नौसेना के लेफ्टिनेंट का 2,100 रुपए था। हालांकि, इनकम टैक्स का कानून का उस समय कड़ा विरोध हुआ था। उस समय के मद्रास प्रांत के गवर्नर सर चार्ल्स टेवेलियन ने भी विरोध किया था। विल्सन का ये कानून ब्रिटेन के इनकम टैक्स कानून की तरह ही था। ब्रिटेन में 1798 में तत्कालीन प्रधानमंत्री विलियम पिट ने भी सेना का खर्च निकालने के लिए इनकम टैक्स कानून बनाया था।


1858 में भारत में ब्रिटिश सरकार का राज शुरू हो गया
1857 में भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का राज था। भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी। इससे देशभर में आंदोलन छिड़ गया। इससे निपटने के लिए अंग्रेजों ने अपनी सेना के खर्च में बेहिसाब बढ़ोतरी कर दी। 1856-57 में अंग्रेजों ने सेना पर 1 करोड़ 14 लाख पाउंड खर्च किए थे। यह खर्च 1857-58 में बढ़ाकर 2 करोड़ 10 लाख पाउंड तक कर दिया गया। उस जमाने में 1 पाउंड 10 रुपए के बराबर हुआ करता था। एक नवंबर 1858 में ब्रिटेन की तत्कालीन महारानी विक्टोरिया ने घोषणा की थी कि अब भारत में ब्रिटिश सरकार की ही हुकूमत होगी। इसी दौरान 'द गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858' आया। इस कानून के प्रावधानों के मुताबिक भारत के सभी आर्थिक मामलों का नियंत्रण भारत के पहले मंत्री (सेक्रेटरी ऑफ स्टेट) चार्ल्स वुड के हाथों में आ गया।


1857 की क्रांति में अंग्रेजों को नुकसान हुआ, तो इनकम टैक्स लगाया
1857 की क्रांति की वजह से 1859 में इंग्लैंड का कर्ज 8 करोड़ 10 लाख पाउंड पहुंच गया। इस समस्या से निपटने के लिए ब्रिटेन ने नवंबर 1859 में जेम्स विल्सन को भारत भेजा। विल्सन ब्रिटेन के चार्टर्ड स्टैंडर्ड बैंक के संस्थापक और अर्थशास्त्री थे। उन्हें भारत में वायसराय लॉर्ड कैनिंग की काउंसिल में फाइनेंस मेंबर (वित्त मंत्री) बना दिया गया। विल्सन ने 18 फरवरी 1860 को भारत का पहला बजट पेश किया। पहले ही बजट में पहली बार तीन टैक्स का प्रस्ताव दिया गया। पहला- इनकम टैक्स, दूसरा- लाइसेंस टैक्स और तीसरा- तंबाकू टैक्स। इन तीनों टैक्सों की घोषणा करते समय विल्सन ने मनुस्मृति का उदाहरण देते हुए कहा कि उनका ये कदम 'इंडियन' नहीं बल्कि 'भारतीय' ही है।

ब्रिटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन। इन्होंने ब्रिटेन में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की स्थापना की थी। वे द इकोनॉमिस्ट मैगजीन के भी फाउंडर थे।


प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है इनकम टैक्स का जिक्र

  • मनुस्मृतिमें आयकर के बारे में लिखा है कि शास्त्रों के अनुसार राजा कर लगा सकता है। करों का संबंध प्रजा की आय और व्यय से होना चाहिए। राजा को हद से ज्यादा कर लगाने से बचना चाहिए। करों की वसूली की ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि प्रजा अदायगी करते समय कठिनाई महसूस न करें।
  • मनुस्मृति के अलावा 2300 साल पहले लिखे गए 'कौटिल्य अर्थशास्त्र' में भी आयकर का उल्लेख मिलता है। कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में लिखा था- सरकार (राजा) की सत्ता, उसके राजकोष की मजबूती पर निर्भर करती है। राजस्व और कर सरकार के लिए आय है, जो उसे अपनी जनता (प्रजा) की सेवा, सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मिलती है।

द इकोनॉमिस्ट मैग्जीन के फाउंडर थे जेम्स विल्सन
जेम्स विल्सन का जन्म 3 जून 1805 को स्कॉटलैंड में रॉकशायर परगने के होइक गांव में हुआ था। अपने माता-पिता की 15 संतानों में जेम्स चौथे थे। विल्सन का जन्म गरीबी में बीता। इसके बाद जेम्स और उसके छोटे भाई विलियम ने हैट बनाने का बिजनेस शुरू किया जो शुरुआत में सफल रहा। बाद में दोनों भाइयों ने लंदन में काम शुरू किया, लेकिन ज्यादा समय तक नहीं चल सका और कंपनी बंद करनी पड़ी। इसके बाद जेम्स ने 'द इकोनॉमिस्ट' मैग्जीन शुरू की और इसके संपादक-लेखक बन गए। 1844 में जेम्स ने अपनी सारी कमाई द इकोनॉमिस्ट में लगा दी। 'द इकोनॉमिस्ट' आज भी दुनिया की सबसे पॉपुलर मैग्जीन में गिनी जाती है। भारत आने के आठ महीने बाद यानी जुलाई 1860 में जेम्स बीमार हो गए। बीमारी की वजह से 11 अगस्त 1860 को उनका निधन हो गया।


1922 में नया इनकम टैक्स कानून आया, इसके बाद ही आयकर विभाग बना

  • असहयोग आंदोलन के समय 1922 में भारत में नया इनकम टैक्स कानून आया। इसी समय आयकर विभाग के विकास की कहानी भी शुरू हुई। नए कानून में आयकर अधिकारियों को अलग-अलग नाम दिए गए। 1946 में पहली बार परीक्षा के जरिए आयकर अधिकारियों की सीधी भर्ती हुई। इसी परीक्षा को ही 1953 में 'इंडियन रेवेन्यू सर्विस' यानी 'आईआरएस' नाम दिया गया।
  • 1963 तक आय कर विभाग के पास संपत्ति कर, सामान्य कर, प्रवर्तन निदेशालय जैसे प्रशासनिक काम थे। इसलिए 1963 में राजस्व अधिनियम केंद्रीय बोर्ड कानून आया, जिसके तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) का गठन किया गया।
  • 1970 तक टैक्स की बकाया राशि वसूल करने का अधिकार विभाग के राज्य प्राधिकारियों के पास था। लेकिन 1972 में टैक्स वसूली के लिए नई विंग बनाई गई और कमिश्नर नियुक्त किए गए। इनकम टैक्स कानून में समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं।

(सोर्स : https://ift.tt/1cBhzMi, मिलिंद संगोराम की लिखी किताब 'भारतीय इनकम टैक्स की कहानी')



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Income Tax | Income Tax Year History Timeline [Hindi Updated]; Income tax, law came into force 160 years ago


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सीएए के खिलाफ जामिया के सामने 47 दिन से प्रदर्शन जारी, छात्रों के अलावा अल्पसंख्यक समुदाय की भी भागीदारी

नई दिल्ली. शाहीन बाग की तरह दिल्ली की जामिया मिल्लियाइस्लामिया यूनिवर्सिटी के सामने भी सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। 47 दिन से जामिया के मौजूदा और पूर्व छात्र आंदोलन कर रहे हैं। अब इसमें जामिया नगर का मुस्लिम समुदाय भी शामिल है। शुरुआत में प्रोटेस्ट चंद घंटे होता था। करीब 10 दिन से यह चौबीस घंटे होने लगा। संचालन के लिए 90 लोगों की कोऑर्डिनेशन कमेटी है। दिल्ली में 8 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान भी होना है। दैनिक भास्कर टीम ने जामिया के विरोध प्रदर्शन स्थल पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। वहां से ये ग्राउंड रिपोर्ट।

विरोध के विभिन्न तरीके
कोऑर्डिनेशन कमेटी हर दिन का शेड्यूल बनाती है। वो ही यह भी तय करती है कि कब किसको भाषण के लिए बुलाना है। हालांकि, विरोध का तरीका सिर्फ भाषण नहीं हैं। पेंटिंग, शायरी और चरखा चलाकर भी असहमति व्यक्त की जाती है। कुछ बच्चों को प्रशिक्षण दिया गया है। वो अलग-अलग हावभाव से सीएए-एनआरसी का विरोध करते हैं।

महिलाओं की भूमिका अहम
जामिया मिलिया में करीब 17 हजार छात्र हैं, जिसमें35 फीसदी छात्राएं हैं। पास ही जामिया नगर बस्ती है। यहां की मुस्लिम महिलाएं भी प्रदर्शन में शामिल हैं। वे शिफ्ट में आती हैं। दोपहर 12 से 1.30 और शाम 4 से 7 बजे के बीच प्रदर्शनकारियों की तादाद सबसे ज्यादा होती है। हालांकि, रात होते-होते चंद लोग ही रह जाते हैं। कुछ टेंट हैं। रात में यहां कोऑर्डिनेशन कमेटी के लोग सोते हैं।

रोज करीब दो हजार लोग जुटते हैं
कोऑर्डिनेशन कमेटी के एक सदस्य बताते हैं- जामिया के सामने चल रहे प्रदर्शन में प्रतिदिन करीब 2 हजार लोग शामिल होते हैं। नामी हस्तियां जैसे जोया हसन, अरुंधति रॉय, मेधा पाटकर और संदीप पांडे यहां आंदोलनकारियों को संबोधित कर चुके हैं। प्रदर्शन स्थल पर मौजूद कुछ छात्रों के मुताबिक, वेपढ़ाई के साथ आंदोलन भी कर रहे हैं। सीएए-एनआरसी के विरोध में करीब एक हजार पोस्टकार्ड राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस को भेजे जा चुके हैं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पुलिस उन्हें शांतिपूर्ण रैली की मंजूरी नहीं देती। वे यह भी कहते हैं कि जब तक सीएए कानून वापस नहीं होता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

30 जनवरी को अफरा-तफरी मची
जामिया के सामने चल रहा यह प्रदर्शन 30 जनवरी को अचानक सुर्खियों में आ गया। दोपहर करीब एक बजे प्रदर्शनकारी राजघाट तक मार्च निकाल रहे थे। मार्च गेट नंबर 1 के सामने पहुंचा। इसी दौरान एक युवक ने फायर कर दिया। एक छात्र घायल हुआ। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। मार्च भी रोक दिया गया। कुछ लोगों ने बैरिकेड्स पार करने की कोशिश की। इन्हें हिरासत में लिया गया। बाद में ये रिहा कर दिए गए। देर रात तक पुलिस और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी होती रही।

पुलिस के लाइब्रेरी में घुसने के बाद शुरू हुआ प्रदर्शन
आरोप है कि 15 दिसंबर को जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में पुलिस गई। तब परीक्षाएं भी चल रहीं थीं। छात्र इससे नाराज हो गए। बवाल बढ़ा तो परीक्षाओं की तारीख बढ़ाकर सर्दी की छुट्टियोंका ऐलान कर दिया गया। 6 जनवरी को यूनिवर्सिटी खुली। 9 से परीक्षाएं भी शुरू हो गईं। दो दिन बाद वीसी ऑफिस का घेराव हुआ। हालात बिगड़े तो परीक्षाएं फिर आगे बढ़ा दी गईं। 27 जनवरी को ये फिर शुरू हुईं।



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Jamia Protest Today | Jamia CAA Protest Bhaskar Ground Report [Updates]; Jamia Millia Islamia Students, Muslims Community Demonstrate Against Citizenship Amendment Act


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वुहान से 324 भारतीयों को लेकर एयर इंडिया का विमान दिल्ली पहुंचा, मानेसर के शिविर ले जाया जाएगा

बीजिंग/नई दिल्ली. कोरोनावायरस के डर के बीच चीन के वुहान में फंसे भारतीयोंको लेकर एयर इंडिया का डबल डेकर जंबो 747 विमान शनिवार सुबहदिल्ली पहुंच गया। बोइंगने शुक्रवार देर रातवुहान से उड़ान भरी थी।सभी भारतीय छात्रों की एयरपोर्ट पर आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज (एएफएमएस) और एयरपोर्ट हेल्थ अथॉरिटी की संयुक्त टीम द्वारा स्क्रीनिंग की जाएगी। इसके बाद उन्हें मानेसर के शिविर ले जाया जाएगा। कोरोनावायरस से संक्रमित होने पर मरीज को दिल्ली कैंट के बेस अस्पताल में भर्ती किया जाएगा। भारतीयों को निकालने के लिए चीन के प्रयास की भारत ने सराहना की है।

उधर, चीन में कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या 259 हो गई है वहीं 11,791 लोग इस संक्रमण की चपेट में हैं। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने शनिवार को यह जानकारी दी। आयोग ने कहा, “31 जनवरी की मध्यरात्रि तक स्वास्थ्य आयोग को 31 प्रांतों से 11,791 लोगों में कोरोनावायरस का संक्रमण पाए जाने की सूचना मिली है जिसमें से 1,795 लोगों की हालत गंभीर है। 17,988 से अधिक लोगों में कोरोनावायरस का संदेह पाया गया है। पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोनावायरस के 2,100 के नये मामले सामने आए हैं।”

गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए सफदरजंग में 50 बेड की व्यवस्था

स्वास्थ्य मंत्रालय में विशेष सचिव संजीव कुमार ने बताया कि चीन से सभी भारतीय छात्रशनिवार को भारत पहुंचेंगे। उन्हें एहतियातन 14 दिनों तक दिल्ली के छावला में स्थित आईटीबीपी सेंटर में रखा जाएगा। वहीं, सफदरजंग अस्पताल में भी गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए अलग से 50 बेड का इंतजाम किया गया है। हरियाणा के मानेसर में भी चीन से लौटने वाले भारतीयों के लिए सेना ने एक शिविर बनाया है, जिसमें करीब 300 लोगों को रखा जा सकता है। सभी लोग डॉक्टरों की टीम और स्टाफ की निगरानी में रहेंगे।

डब्ल्यूएचओने शुक्रवार को ग्लोबल इमरजेंसी की घोषणा कीथी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को ग्लोबल इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी। हालांकि, चीन की यात्रा और किसी भी प्रकार के व्यापार पर रोक नहीं लगाई गई थी। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, भारत समेत 21 देशों में कोरोनावायरस संक्रमण के 100 मामले सामने आए हैं। इनमें चीन, हॉन्गकॉन्ग, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, भारत, श्रीलंका, नेपाल, थाइलैंड, मलेशिया, कंबोडिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, ताइवान, मकाऊ, वियतनाम, यूएई, रूस और ब्रिटेन शामिल हैं।



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सभी भारतीय छात्र शुक्रवार देर रात भारत के लिए रवाना हुए थे जो शनिवार सुबह पहुंच गए।
मानेसर स्थित कैंप में ले जाने से पहले उनकी एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग की जाएगी।


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सीएए के खिलाफ जामिया के सामने 47 दिन से प्रदर्शन जारी, छात्रों के अलावा अल्पसंख्यक समुदाय की भी भागीदारी

नई दिल्ली. शाहीन बाग की तरह दिल्ली की जामिया मिल्लियाइस्लामिया यूनिवर्सिटी के सामने भी सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। 47 दिन से जामिया के मौजूदा और पूर्व छात्र आंदोलन कर रहे हैं। अब इसमें जामिया नगर का मुस्लिम समुदाय भी शामिल है। शुरुआत में प्रोटेस्ट चंद घंटे होता था। करीब 10 दिन से यह चौबीस घंटे होने लगा। संचालन के लिए 90 लोगों की कोऑर्डिनेशन कमेटी है। दिल्ली में 8 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान भी होना है। दैनिक भास्कर टीम ने जामिया के विरोध प्रदर्शन स्थल पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। वहां से ये ग्राउंड रिपोर्ट।

विरोध के विभिन्न तरीके
कोऑर्डिनेशन कमेटी हर दिन का शेड्यूल बनाती है। वो ही यह भी तय करती है कि कब किसको भाषण के लिए बुलाना है। हालांकि, विरोध का तरीका सिर्फ भाषण नहीं हैं। पेंटिंग, शायरी और चरखा चलाकर भी असहमति व्यक्त की जाती है। कुछ बच्चों को प्रशिक्षण दिया गया है। वो अलग-अलग हावभाव से सीएए-एनआरसी का विरोध करते हैं।

महिलाओं की भूमिका अहम
जामिया मिलिया में करीब 17 हजार छात्र हैं, जिसमें35 फीसदी छात्राएं हैं। पास ही जामिया नगर बस्ती है। यहां की मुस्लिम महिलाएं भी प्रदर्शन में शामिल हैं। वे शिफ्ट में आती हैं। दोपहर 12 से 1.30 और शाम 4 से 7 बजे के बीच प्रदर्शनकारियों की तादाद सबसे ज्यादा होती है। हालांकि, रात होते-होते चंद लोग ही रह जाते हैं। कुछ टेंट हैं। रात में यहां कोऑर्डिनेशन कमेटी के लोग सोते हैं।

रोज करीब दो हजार लोग जुटते हैं
कोऑर्डिनेशन कमेटी के एक सदस्य बताते हैं- जामिया के सामने चल रहे प्रदर्शन में प्रतिदिन करीब 2 हजार लोग शामिल होते हैं। नामी हस्तियां जैसे जोया हसन, अरुंधति रॉय, मेधा पाटकर और संदीप पांडे यहां आंदोलनकारियों को संबोधित कर चुके हैं। प्रदर्शन स्थल पर मौजूद कुछ छात्रों के मुताबिक, वेपढ़ाई के साथ आंदोलन भी कर रहे हैं। सीएए-एनआरसी के विरोध में करीब एक हजार पोस्टकार्ड राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस को भेजे जा चुके हैं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पुलिस उन्हें शांतिपूर्ण रैली की मंजूरी नहीं देती। वे यह भी कहते हैं कि जब तक सीएए कानून वापस नहीं होता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

30 जनवरी को अफरा-तफरी मची
जामिया के सामने चल रहा यह प्रदर्शन 30 जनवरी को अचानक सुर्खियों में आ गया। दोपहर करीब एक बजे प्रदर्शनकारी राजघाट तक मार्च निकाल रहे थे। मार्च गेट नंबर 1 के सामने पहुंचा। इसी दौरान एक युवक ने फायर कर दिया। एक छात्र घायल हुआ। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। मार्च भी रोक दिया गया। कुछ लोगों ने बैरिकेड्स पार करने की कोशिश की। इन्हें हिरासत में लिया गया। बाद में ये रिहा कर दिए गए। देर रात तक पुलिस और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी होती रही।

पुलिस के लाइब्रेरी में घुसने के बाद शुरू हुआ प्रदर्शन
आरोप है कि 15 दिसंबर को जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में पुलिस गई। तब परीक्षाएं भी चल रहीं थीं। छात्र इससे नाराज हो गए। बवाल बढ़ा तो परीक्षाओं की तारीख बढ़ाकर सर्दी की छुट्टियोंका ऐलान कर दिया गया। 6 जनवरी को यूनिवर्सिटी खुली। 9 से परीक्षाएं भी शुरू हो गईं। दो दिन बाद वीसी ऑफिस का घेराव हुआ। हालात बिगड़े तो परीक्षाएं फिर आगे बढ़ा दी गईं। 27 जनवरी को ये फिर शुरू हुईं।



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8 सालों में 4 पार्टियों की जीत के सूत्रधार, कभी यूएन में पब्लिक हेल्थ का काम देखते थे ‘पीके’

दिल्ली. 43 साल के प्रशांत किशोर पांडेय उर्फ पीके देश के सबसे बड़े चुनावी-राजनीतिज्ञ (पॉलिटिकल स्ट्रेटजिस्ट) हैं। बीते आठ सालों में देश में हुए लोकसभा और विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले उनके बारे में चर्चा होती है कि वह किसके साथ हैं। लेकिन हालिया सुर्खियों की वजह कुछ और है। बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) के उपाध्यक्ष पीके को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

16 सितंबर 2018 को ही उन्होंने जेडीयू का दामन थामा था। इससे पहले वह सलाहकार की भूमिका में थे। पार्टी जॉइन करने के साथ ही वह पार्टी में नंबर दो हो गए थे। सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर वह पार्टी के पक्ष से इतर बयान दे रहे थे।

यहां तक कि उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार को मूर्ख तक कह दिया था। फिलहाल पीके की चुनावी रणनीतिज्ञ कंपनी आई-पेक (इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी) दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार प्रबंधन का जिम्मा संभाल रही है।


बिहार के बक्सर से ताल्लुक रखने वाले प्रशांत की प्राथमिक शिक्षा बिहार के सरकारी स्कूल में हुई। उन्होंने बारहवीं के बाद तीन साल के लिए पढ़ाई छोड़ दी थी। पटना साइंस कॉलेज में प्रवेश लेने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में ग्रैजुएशन (स्टैटिसटिक्स) में प्रवेश लिया, लेकिन बीमारी के कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी।

बाद में लखनऊ से ग्रैजुएशन और फिर पोस्ट ग्रैजुएशन पूरी की। ग्रैजुएशन के बाद दो साल खाली रहे। पीके ने पीजी के बाद यूएन के हैदराबाद ऑफिस में नौकरी शुरू की। यूएन के पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के लिए वह बिहार गए, यहां दो साल रहे। उनके काम को देखते हुए दिल्ली स्थित यूएन के इंडिया कंट्री ऑफिस में प्रमोशन मिला, फिर जिनेवा ट्रासंफर हो गया।

प्रशांत ने जिनेवा में रहते हुए फील्ड पोस्टिंग के लिए आग्रह किया और मध्य अफ्रीकी देश चाड में डिवीज़न हैड के तौर पर चार साल रहे। इस दौरान उन्होंने फ्रेंच भी सीखी। प्रशांत को कुछ समय पहले फोर्ब्स इंडिया ने देश के टॉप 20 प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया है। प्रशांत के परिवार में पिता डॉ. श्रीकांत पांडे, पत्नी और दो बच्चे हैं। परिवार दिल्ली में रहता है।

नरेंद्र मोदी के साथ जींस-टीशर्ट में दिख रहे प्रशांत की यह तस्वीर 2013 की है। अब वह अक्सर नेताओं वाली पोशाक सफेद कुर्ते पायजामे में नज़र आते हैं। रंगों के मनोविज्ञान को भी पीके बखूबी समझते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार बिहार चुनावों में नीतीश के लिए उन्होंने सुर्ख लाल रंग कैंपेन में इस्तेमाल किया। इसका कारण वामपंथ वाली छवि बनाने से ग्रामीण वोटर्स को लुभाना था। पंजाब चुनावों में अमरिंदर सिंह के लिए गहरा नीला रंग इस्तेमाल किया। इसके पीछे आस्थावान सिख वोटर्स को लुभाना और अकाली दल को चुनौती देना था।

कब-कब किसकेसाथ जुड़े पीके

2014 लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की जीत की रणनीति बनाई।
2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी के लिए काम किया। महागठबंधन को जिताने में अहम भूमिका निभाई।
2017 में पंजाब विस चुनावों में कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह की जीत के सूत्रधार बने।
2017 उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए रणनीति बनाई। हालांकि यहां कांग्रेस कुछ खास नहीं कर पाई।
2019 में आंध्रप्रदेश विधानसभा चुनावों में वाईएसआर कांग्रेस के जगनमोहन रेड्डी की जीत के पीछे रहे।
2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए इनकी कंपनी आई-पैक काम कर रही।

2011 में पहली बार मोदी के संपर्क में आए
प्रशांत के राजनीतिक रणनीतिज्ञ बनने के सफ़र की शुरुआत 2011 में हुई थी। चाड के बाद जिनेवा शिफ्ट होने से पहले उन्होंने कुपोषण पर एक रिसर्च पेपर लिखा था। इसमें देश के 4 विकसित राज्यों की तुलना थी। इसमें गुजरात में कुपोषण की समस्या के बारे में जि़क्र था। उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। नरेंद्र मोदी ने प्रशांत किशोर को बुलाकर उनसे बात की और भारत वापस आकर यहां काम करने का प्रस्ताव दिया। एक साल बाद प्रशांत भारत आए और नरेंद्र मोदी के साथ सलाहकार की भूमिका में काम शुरू किया। वह पहले उनके भाषण लिखने का काम करते थे। इसके बाद 2014 लोकसभा चुनावों में काम किया।

चाय पर चर्चा जैसे नारे गढ़े
प्रशांत किशोर ने सिटिजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (सीएजी) के माध्यम से 2014 लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की ब्रांडिंग और चुनाव प्रबंधन किया। हालांकि यह नॉन प्रॉफिट संस्था थी। पीके ने चाय पर चर्चा जैसे नारे गढ़े। मोदी के 3डी होलोग्राम के साथ-साथ फेसबुक पर मोदी को सक्रिय होने के लिए कहा। 2019 में पीके ने कहा था कि वह अब किसी पार्टी के लिए चुनाव प्रबंधन या रणनीति बनाने का काम नहीं करेंगे। हालांकि उनकी कंपनी आई-पैक अभी भी यह काम कर रही है। प्रशांत आई-पैक के मेंटर हैं। वह अभी युवाओं को राजनीति से जोड़ने के लिए यूथ इन पॉलिटिक्स जैसे कार्यक्रम चला रहे हैं।



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पीएम नरेंद्र मोदी के साथ प्रशांत किशोर।


from Dainik Bhaskar /national/news/the-pioneers-of-the-victory-of-4-parties-in-8-years-once-saw-the-work-of-public-health-in-the-un-pk-126646496.html
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कश्मीर आने वाले पर्यटक साल भर में 68% घटे, दिसंबर में आने वाले तो 5 साल में 12 गुना घट गए, 9191 करोड़ का नुकसान भी

गुलमर्ग (इशफाक-उल-हसन).दुनिया की सबसे खूबसूरत पर्वत श्रृंखला, बर्फ से ढंके पहाड़ और सस्ती सुविधाएं दुनिया भर के पर्यटकों को जम्मू-कश्मीर की तरफ आकर्षित करती हैं। हर साल लाखों लोग कश्मीर की वादियों में घूमने आते हैं और कभी न भूलने वाला अनुभव लेकर जाते हैं। लेकिन अब कश्मीर को ये पर्यटक नसीब नहीं हो पा रहे हैं। राजनीतिक उथल-पुथल इसकी बड़ी वजह है।


हालात ये हैं कि कश्मीर आने वाले पर्यटकों की संख्या 10 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। वही दिसंबर में आने वाले पर्यटकों की संख्या एक साल में 5 गुना तक घट गई है। जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग के आंकड़ों की मानें, तो कश्मीर आने वाले देश-दुनिया के पर्यटकों की संख्या 10 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। इस दौरान पहली बार इनकी संख्या 5 लाख से नीचे रही है। इसकी वजह यहां लगातार बदलते राजनीतिक हालात हैं। इसका नुकसान पर्यटन क्षेत्र और स्थानीय कारोबारियों को भुगतना पड़ा है। कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स के मुताबिक इससे राज्य को कुल 17,800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इनमें 9,191 करोड़ रुपए का नुकसान तो अकेले पर्यटन क्षेत्र को हुआ है।


2012 में 13 लाख पर्यटक पहुंचे थे: कश्मीर पहुंचने वाले पर्यटकों का आंकड़ा एक साल में पिछले 10 साल में सबसे ज्यादा 13 लाख पर्यटक 2012 में घाटी में पहुंचे थे। 2011 में 7.36 लाख, जबकि 2010 में करीब 10 लाख टूरिस्ट यहां पहुंचे थे। 2013 और 2014 में लगातार दो साल 11 लाख से ज्यादा पर्यटक जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे।


ट्रैवल एजेंट्स के मुताबिक कश्मीर में अनिश्चितता और अगस्त से इंटरनेट सेवाओं के बंद होने से भी नुकसान हुआ है। कश्मीर टूरिज्म अलायंस के प्रेसिडेंट मंजूर अहमद पख्तून बताते हैं कि इंटरनेट सेवाओं की कमी की वजह से व्यापारिक गतिविधियां कम हो गई हैं। सर्दी और बर्फ चरम पर होने के बावजूद एडवेंचर स्पोर्ट्स भी नहीं हो पा रहे हैं।

दिसंबर में पर्यटकों की संख्या 5 साल में पहली बार 32,000 से कम
दिसंबर महीने में बर्फबारी, एडवेंचर और कश्मीर की खूबसूरती निहारने सबसे ज्यादा टूरिस्ट आते हैं, लेकिन 2019 में यह भारी निराशाजनक रहा। इतना ही नहीं, 5 साल में दिसंबर में पर्यटकों की संख्या 7 हजार से कम रही है। इससे पहले कभी भी दिसंबर में 32 हजार से कम पर्यटक नहीं आते थे।



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प्रतीकात्मक फोटो।


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5 साल बाद शनिवार को बीएसई पर ट्रेडिंग होगी, बजट की वजह से बाजार खुलेगा

मुंबई. बजट की वजह से आज शेयर बाजार में शनिवार होने के बावजूद ट्रेडिंग होगी। बताया जा रहा है कि बाजार से जुड़े लोगों की अपील पर यह फैसला लिया गया। क्योंकि, बजट की घोषणाओं से बाजार में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं। 2015 में भी बजट के दिन शनिवार होने के बावजूद बीएसई पर ट्रेडिंग हुई थी। सामान्य तौर पर शनिवार-रविवार को शेयर बाजार बंद रहता है।

शेयर बाजार से जुड़े ऐलान संभव
सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में राहत दे सकती है। शेयर खरीदने के एक साल बाद बेचने पर अगर एक लाख रुपए से ज्यादा मुनाफा होता है उस पर अभी 10% टैक्स लगता है। ऐसी अटकलें हैं कि इस टैक्स को खत्म किया जा सकता है या फिर इसका समय बढ़ाकर 2 साल किया जा सकता है। डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स के नियमों में भी बदलाव किए जा सकते हैं।

पिछले साल सरकार ने सुपर रिच पर सरचार्ज बढ़ाया, बाद में फैसला वापस लिया
बजट के दिन सेक्टर विशेष के लिए जो घोषणाएं होती हैं उनका सेक्टर विशेष की कंपनियों के शेयरों पर असर पड़ता है। मोदी सरकार के पिछले 6 पूर्ण बजटों की बात करें तो बजट के दिन 4 बार शेयर बाजार नुकसान में रहा। पिछले साल 5 जुलाई को बजट पेश किया गया था। उस दिन सेंसेक्स 1% और निफ्टी 1.14% नुकसान में रहा था। पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सुपर रिच पर सरचार्ज बढ़ाने का ऐलान किया था। विदेशी निवेशकों को भी इसके दायरे में माना गया। इससे बाजार में गिरावट बढ़ गई थी। हालांकि, सरकार ने कुछ दिनों बाद सरचार्ज बढ़ोतरी का फैसला वापस ले लिया था।



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BSE Sensex Today Budget 2020 | Stock Market Nirmala Sitharaman Budget 2020 Announcement News Updates On Share Stock Market Trade BSE, Nifty, Sensex Live News Updates


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दशक का पहला बजट आज, निर्मला सीतारमण दूसरी बार बजट पेश करेंगी; इनकम टैक्स में राहत की उम्मीद

नई दिल्ली. इस दशक का पहला आम बजट आज पेश होने जा रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में 11 बजे बजट भाषण देंगी। वे लगातार दूसरी बार बजट पेश करने वाली पहली महिला वित्त मंत्री होंगी। उनसे पहले इंदिरा गांधी ने एक बार फरवरी 1970 में बजट पेश किया था। 60 वर्षीय निर्मला अपने बजट भाषण में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव का ऐलान कर सकती हैं। टैक्स कंसल्टेंसी फर्म केपीएमजी के प्री-बजट सर्वे के मुताबिक, 18 सेक्टर की 219 कंपनियों में से 82% कंपनियों को लगता है कि इस बार 80सी के तहत डिडक्शन की डेढ़ लाख रुपए की लिमिट बढ़ाई जा सकती है। बजट में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का ऐलान भी हो सकता है।

बजट को अंतिम रूप देने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम।

इनकम टैक्स
मौजूदा दर : पिछले साल अंतरिम बजट की घोषणा के मुताबिक 5 लाख रुपए तक टैक्सेबल इनकम टैक्स फ्री है। यह छूट रिबेट के जरिए मिल रही है, लेकिन टैक्स स्लैब 2.5 लाख रुपए से ही शुरू हो रहा है।
मांग : इनकम टैक्स में छूट की लिमिट मौजूदा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए की जाए। यानी इतनी आमदनी वाले इनकम टैक्स के दायरे से पूरी तरह बाहर हो जाएं। उन्हें रिटर्न भरने की भी जरूरत न पड़े। इसके बाद 5 लाख से 10 लाख रुपए इनकम पर टैक्स 20% से घटकर 10% करने की भी मांग है। ऐसा हुआ तो 10 लाख तक की टैक्सेबल इनकम वालों के सालाना 46,800 रुपए बचेंगे।

सभी डिडक्शन के बाद भी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपए से ज्यादा है तो यह टैक्स स्लैब लागू हो जाता है-

सालाना आय (रुपए) मौजूदा टैक्स रेट
2.5 लाख तक 0%
2.5 लाख से 5 लाख 5%
5 लाख से 10 लाख 20%
10 लाख से ज्यादा 30%

(टैक्स के ऊपर 4% सेस भी लागू)

नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का ऐलान हो सकता है
देश में व्यापारिक ट्रांसपोर्टेशन को आसान बनाने के लिए सरकार बजट में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का ऐलान कर सकती है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों से हवाले से सोमवार को ये जानकारी दी। इसके मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय के लॉजिस्टिक्स डिवीजन ने पॉलिसी पर काम किया है। व्यापारियों के लिए माल ढुलाई का खर्च घटाना इसका मकसद है। इसके लिए एक सेंट्रल पोर्टल बनाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है, ताकि कंपनियों को लॉजिस्टिक्स से जुड़े समाधान मिल सकें।

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में राहत की उम्मीद

  • प्रॉपर्टी बिक्री पर कैपिटल गेन्स टैक्स खत्म किया जा सकता है। शेयर निवेशकों के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का समय 1 साल से बढ़ाकर 2 साल किया जा सकता है। निवेशक एक साल तक शेयर रखने के बाद बेचते हैं तो उन्हें 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना पड़ता है।डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) की देनदारी का नियम कंपनियों की बजाय शेयरधारकों पर लागू हो सकता है।
  • प्रॉपर्टी बिक्री पर कैपिटल गेन्स टैक्स खत्म होता है तो यह रिएल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छा होगा। अभी नियम है कि प्रॉपर्टी की बिक्री से मिली रकम को 3 साल में फिर से प्रॉपर्टी में ही निवेश नहीं किया तो मुनाफे पर 30% कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होता है। दूसरी ओर कोई 24 महीने में ही प्रॉपर्टी को बेच देता है तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना पड़ता है। 24 महीने बाद 20% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है। घर की बिक्री से हुए कैपिटल गेन से अधिकतम दो घर खरीद सकते हैं। लेकिन, टैक्स में छूट का दावा करने के लिए कैपिटल गेन 2 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यह छूट जीवन में सिर्फ एक बार ली जा सकती है।

एक्सपर्ट की राय

ज्योति रॉयडीवीपी (इक्विटी स्ट्रैटजिस्ट),एंजेल ब्रोकिंग अर्थव्यवस्था में सुस्ती को देखते हुए सरकार बड़े ऐलान कर सकती है। पिछले कुछ सालों में सख्त नीतियों और आईएलएंडएफएस जैसे संकटों की वजह से जीडीपी ग्रोथ प्रभावित हुई। सितंबर तिमाही में यह 4.5% रह गई। हालांकि, कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का फैसला अहम था, लेकिन इसके असर से निवेश आने में वक्त लगेगा। सरकार बजट में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव के साथ ही हाउसिंग और ऑटो सेक्टर के लिए बड़े ऐलान कर सकती है।
अनंत पद्मनाभन,चेयरमैन (ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल) सोने के गहनों की खरीद पर पैन नंबर देने का नियम 2 लाख की खरीद की बजाय 5 लाख की खरीद पर लागू होना चाहिए। जेम्स एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री के लिए ईएमआई की सुविधा की दी जानी चाहिए।
जी प्रदीप कुमार,सीईओ (यूनियन एसेट मैनेजमेंट कंपनी) इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने के लिए सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स घटाने समेत कई फैसले लिए। लेकिन, म्यूचुअल फंड और शेयरों से जुड़े टैक्स पर भी ध्यान देना चाहिए। रिएल एस्टेट और फाइनेंशियल एसेट्स में निवेश बढ़ाने के उपाय करने की भी जरूरत है। 10 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री कर दी जाए तो इकोनॉमी को फायदा हो सकता है। हालांकि, टैक्स कलेक्शन के मोर्चे पर नुकसान होगा, लेकिन इसके फायदों का भी आकलन करना चाहिए।
उदय वर्मा,पूर्व सचिव, एमएसएमई बजट में वित्त मंत्री को एमएसएमई सेक्टर पर ध्यान देना होगा। मैन्युफैक्चरिंग में इस सेक्टर का 40%, एक्सपोर्ट में 35% और देश की कुल जीडीपी में 29% से 30% तक योगदान है। इस सेक्टर का ध्यान रखे बिना इकोनॉमिक स्लोडाउन और बेरोजगारी की चुनौती से निपटना संभव नहीं होगा।


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Nirmala Sitharaman Budget News Today | Nirmala Sitharaman Union AAM Budget 2020 Parliament Live Latest News and Updates On Finance Minister Full Speech, Narendra Modi Government Budget 2020


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5 साल बाद शनिवार को बीएसई पर ट्रेडिंग होगी, बजट की वजह से बाजार खुलेगा

मुंबई. बजट की वजह से आज शेयर बाजार में शनिवार होने के बावजूद ट्रेडिंग होगी। बताया जा रहा है कि बाजार से जुड़े लोगों की अपील पर यह फैसला लिया गया। क्योंकि, बजट की घोषणाओं से बाजार में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं। 2015 में भी बजट के दिन शनिवार होने के बावजूद बीएसई पर ट्रेडिंग हुई थी। सामान्य तौर पर शनिवार-रविवार को शेयर बाजार बंद रहता है।

शेयर बाजार से जुड़े ऐलान संभव
सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में राहत दे सकती है। शेयर खरीदने के एक साल बाद बेचने पर अगर एक लाख रुपए से ज्यादा मुनाफा होता है तोउस पर अभी 10% टैक्स लगता है। ऐसी अटकलें हैं कि इस टैक्स को खत्म किया जा सकता है या फिर इसका समय बढ़ाकर 2 साल किया जा सकता है। डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स के नियमों में भी बदलाव किए जा सकते हैं।

पिछले साल सरकार ने सुपर रिच पर सरचार्ज बढ़ाया, बाद में फैसला वापस लिया
बजट के दिन सेक्टर विशेष के लिए जो घोषणाएं होती हैं उनका सेक्टर विशेष की कंपनियों के शेयरों पर असर पड़ता है। मोदी सरकार के पिछले 6 पूर्ण बजटों की बात करें तो बजट के दिन 4 बार शेयर बाजार नुकसान में रहा। पिछले साल 5 जुलाई को बजट पेश किया गया था। उस दिन सेंसेक्स 1% और निफ्टी 1.14% नुकसान में रहा था। पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सुपर रिच पर सरचार्ज बढ़ाने का ऐलान किया था। विदेशी निवेशकों को भी इसके दायरे में माना गया। इससे बाजार में गिरावट बढ़ गई थी। हालांकि, सरकार ने कुछ दिनबाद सरचार्ज बढ़ोतरी का फैसला वापस ले लिया था।



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दशक का पहला बजट आज, निर्मला सीतारमण दूसरी बार बजट पेश करेंगी; इनकम टैक्स में राहत की उम्मीद

नई दिल्ली. इस दशक का पहला आम बजट आज पेश होने जा रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में 11 बजे बजट भाषण देंगी। वे लगातार दूसरी बार बजट पेश करने वाली पहली महिला वित्त मंत्री होंगी। उनसे पहले इंदिरा गांधी ने एक बार फरवरी 1970 में बजट पेश किया था। 60 वर्षीय निर्मला अपने बजट भाषण में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव का ऐलान कर सकती हैं। टैक्स कंसल्टेंसी फर्म केपीएमजी के प्री-बजट सर्वे के मुताबिक, 18 सेक्टर की 219 कंपनियों में से 82% कंपनियों को लगता है कि इस बार 80सी के तहत डिडक्शन की डेढ़ लाख रुपए की लिमिट बढ़ाई जा सकती है। बजट में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का ऐलान भी हो सकता है।

बजट को अंतिम रूप देने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम।

इनकम टैक्स
मौजूदा दर : पिछले साल अंतरिम बजट की घोषणा के मुताबिक 5 लाख रुपए तक टैक्सेबल इनकम टैक्स फ्री है। यह छूट रिबेट के जरिए मिल रही है, लेकिन टैक्स स्लैब 2.5 लाख रुपए से ही शुरू हो रहा है।
मांग : इनकम टैक्स में छूट की लिमिट मौजूदा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए की जाए। यानी इतनी आमदनी वाले इनकम टैक्स के दायरे से पूरी तरह बाहर हो जाएं। उन्हें रिटर्न भरने की भी जरूरत न पड़े। इसके बाद 5 लाख से 10 लाख रुपए इनकम पर टैक्स 20% से घटकर 10% करने की भी मांग है। ऐसा हुआ तो 10 लाख तक की टैक्सेबल इनकम वालों के सालाना 46,800 रुपए बचेंगे।

सभी डिडक्शन के बाद भी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपए से ज्यादा है तो यह टैक्स स्लैब लागू हो जाता है-

सालाना आय (रुपए) मौजूदा टैक्स रेट
2.5 लाख तक 0%
2.5 लाख से 5 लाख 5%
5 लाख से 10 लाख 20%
10 लाख से ज्यादा 30%

(टैक्स के ऊपर 4% सेस भी लागू)

नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का ऐलान हो सकता है
देश में व्यापारिक ट्रांसपोर्टेशन को आसान बनाने के लिए सरकार बजट में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का ऐलान कर सकती है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों से हवाले से सोमवार को ये जानकारी दी। इसके मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय के लॉजिस्टिक्स डिवीजन ने पॉलिसी पर काम किया है। व्यापारियों के लिए माल ढुलाई का खर्च घटाना इसका मकसद है। इसके लिए एक सेंट्रल पोर्टल बनाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है, ताकि कंपनियों को लॉजिस्टिक्स से जुड़े समाधान मिल सकें।

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में राहत की उम्मीद

  • प्रॉपर्टी बिक्री पर कैपिटल गेन्स टैक्स खत्म किया जा सकता है। शेयर निवेशकों के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का समय 1 साल से बढ़ाकर 2 साल किया जा सकता है। निवेशक एक साल तक शेयर रखने के बाद बेचते हैं तो उन्हें 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना पड़ता है।डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) की देनदारी का नियम कंपनियों की बजाय शेयरधारकों पर लागू हो सकता है।
  • प्रॉपर्टी बिक्री पर कैपिटल गेन्स टैक्स खत्म होता है तो यह रिएल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छा होगा। अभी नियम है कि प्रॉपर्टी की बिक्री से मिली रकम को 3 साल में फिर से प्रॉपर्टी में ही निवेश नहीं किया तो मुनाफे पर 30% कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होता है। दूसरी ओर कोई 24 महीने में ही प्रॉपर्टी को बेच देता है तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना पड़ता है। 24 महीने बाद 20% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है। घर की बिक्री से हुए कैपिटल गेन से अधिकतम दो घर खरीद सकते हैं। लेकिन, टैक्स में छूट का दावा करने के लिए कैपिटल गेन 2 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यह छूट जीवन में सिर्फ एक बार ली जा सकती है।

एक्सपर्ट की राय

ज्योति रॉयडीवीपी (इक्विटी स्ट्रैटजिस्ट),एंजेल ब्रोकिंग अर्थव्यवस्था में सुस्ती को देखते हुए सरकार बड़े ऐलान कर सकती है। पिछले कुछ सालों में सख्त नीतियों और आईएलएंडएफएस जैसे संकटों की वजह से जीडीपी ग्रोथ प्रभावित हुई। सितंबर तिमाही में यह 4.5% रह गई। हालांकि, कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का फैसला अहम था, लेकिन इसके असर से निवेश आने में वक्त लगेगा। सरकार बजट में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव के साथ ही हाउसिंग और ऑटो सेक्टर के लिए बड़े ऐलान कर सकती है।
अनंत पद्मनाभन,चेयरमैन (ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल) सोने के गहनों की खरीद पर पैन नंबर देने का नियम 2 लाख की खरीद की बजाय 5 लाख की खरीद पर लागू होना चाहिए। जेम्स एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री के लिए ईएमआई की सुविधा की दी जानी चाहिए।
जी प्रदीप कुमार,सीईओ (यूनियन एसेट मैनेजमेंट कंपनी) इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने के लिए सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स घटाने समेत कई फैसले लिए। लेकिन, म्यूचुअल फंड और शेयरों से जुड़े टैक्स पर भी ध्यान देना चाहिए। रिएल एस्टेट और फाइनेंशियल एसेट्स में निवेश बढ़ाने के उपाय करने की भी जरूरत है। 10 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री कर दी जाए तो इकोनॉमी को फायदा हो सकता है। हालांकि, टैक्स कलेक्शन के मोर्चे पर नुकसान होगा, लेकिन इसके फायदों का भी आकलन करना चाहिए।
उदय वर्मा,पूर्व सचिव, एमएसएमई बजट में वित्त मंत्री को एमएसएमई सेक्टर पर ध्यान देना होगा। मैन्युफैक्चरिंग में इस सेक्टर का 40%, एक्सपोर्ट में 35% और देश की कुल जीडीपी में 29% से 30% तक योगदान है। इस सेक्टर का ध्यान रखे बिना इकोनॉमिक स्लोडाउन और बेरोजगारी की चुनौती से निपटना संभव नहीं होगा।


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वुहान से 324 भारतीयों को लेकर एयर इंडिया का विमान दिल्ली पहुंचा, मानेसर के शिविर ले जाया जाएगा

बीजिंग/नई दिल्ली. कोरोनावायरस के डर के बीच चीन के वुहान में फंसे भारतीयोंको लेकर एयर इंडिया का डबल डेकर जंबो 747 विमान शनिवार सुबहदिल्ली पहुंच गया। बोइंगने शुक्रवार देर रातवुहान से उड़ान भरी थी।विमान में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के 5 डॉक्टरों की टीम भी मौजूद थी। भारतीयों को निकालने के लिए चीन के प्रयास की भारत ने सराहना की है।

उधर, चीन में कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या 259 हो गई है वहीं 11,791 लोग इस संक्रमण की चपेट में हैं। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने शनिवार को यह जानकारी दी। आयोग ने कहा, “31 जनवरी की मध्यरात्रि तक स्वास्थ्य आयोग को 31 प्रांतों से 11,791 लोगों में कोरोनावायरस का संक्रमण पाए जाने की सूचना मिली है जिसमें से 1,795 लोगों की हालत गंभीर है। 17,988 से अधिक लोगों में कोरोनावायरस का संदेह पाया गया है। पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोनावायरस के 2,100 के नये मामले सामने आए हैं।”

गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए सफदरजंग में 50 बेड की व्यवस्था

स्वास्थ्य मंत्रालय में विशेष सचिव संजीव कुमार ने बताया कि चीन से सभी भारतीय छात्रशनिवार को भारत पहुंचेंगे। उन्हें एहतियातन 14 दिनों तक दिल्ली के छावला में स्थित आईटीबीपी सेंटर में रखा जाएगा। वहीं, सफदरजंग अस्पताल में भी गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए अलग से 50 बेड का इंतजाम किया गया है।

हरियाणा के मानेसर में सेना ने शिविर बनाया

हरियाणा के मानेसर में भी चीन से लौटने वाले भारतीयों के लिए सेना ने एक शिविर बनाया है, जिसमें करीब 300 लोगों को रखा जा सकता है। सभी लोग डॉक्टरों की टीम और स्टाफ की निगरानी में रहेंगे। भारतीय सेना के मुताबिक, वुहान से लाए गए सभी भारतीय छात्रों की एयरपोर्ट पर आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज (एएफएमएस) और एयरपोर्ट हेल्थ अथॉरिटी की संयुक्त टीम द्वारा स्क्रीनिंग की जाएगी। इसके बाद उन्हें मानेसर के शिविर ले जाया जाएगा। कोरोनावायरस से संक्रमित होने पर मरीज को दिल्ली कैंट के बेस अस्पताल में भर्ती किया जाएगा।

डब्ल्यूएचओने शुक्रवार को ग्लोबल इमरजेंसी की घोषणा कीथी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को ग्लोबल इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी। हालांकि, चीन की यात्रा और किसी भी प्रकार के व्यापार पर रोक नहीं लगाई गई थी। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, भारत समेत 21 देशों में कोरोनावायरस संक्रमण के 100 मामले सामने आए हैं। इनमें चीन, हॉन्गकॉन्ग, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, भारत, श्रीलंका, नेपाल, थाइलैंड, मलेशिया, कंबोडिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, ताइवान, मकाऊ, वियतनाम, यूएई, रूस और ब्रिटेन शामिल हैं।



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Air India aircraft carrying 324 Indians from Wuhan reached Delhi; Will be taken to manesar camp


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5 साल बाद शनिवार को बीएसई पर ट्रेडिंग होगी, बजट की वजह से बाजार खुलेगा

मुंबई. बजट की वजह से आज शेयर बाजार में शनिवार होने के बावजूद ट्रेडिंग होगी। बताया जा रहा है कि बाजार से जुड़े लोगों की अपील पर यह फैसला लिया गया। क्योंकि, बजट की घोषणाओं से बाजार में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं। 2015 में भी बजट के दिन शनिवार होने के बावजूद बीएसई पर ट्रेडिंग हुई थी। सामान्य तौर पर शनिवार-रविवार को शेयर बाजार बंद रहता है।

शेयर बाजार से जुड़े ऐलान संभव
सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में राहत दे सकती है। शेयर खरीदने के एक साल बाद बेचने पर अगर एक लाख रुपए से ज्यादा मुनाफा होता है उस पर अभी 10% टैक्स लगता है। ऐसी अटकलें हैं कि इस टैक्स को खत्म किया जा सकता है या फिर इसका समय बढ़ाकर 2 साल किया जा सकता है। डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स के नियमों में भी बदलाव किए जा सकते हैं।

पिछले साल सरकार ने सुपर रिच पर सरचार्ज बढ़ाया, बाद में फैसला वापस लिया
बजट के दिन सेक्टर विशेष के लिए जो घोषणाएं होती हैं उनका सेक्टर विशेष की कंपनियों के शेयरों पर असर पड़ता है। मोदी सरकार के पिछले 6 पूर्ण बजटों की बात करें तो बजट के दिन 4 बार शेयर बाजार नुकसान में रहा। पिछले साल 5 जुलाई को बजट पेश किया गया था। उस दिन सेंसेक्स 1% और निफ्टी 1.14% नुकसान में रहा था। पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सुपर रिच पर सरचार्ज बढ़ाने का ऐलान किया था। विदेशी निवेशकों को भी इसके दायरे में माना गया। इससे बाजार में गिरावट बढ़ गई थी। हालांकि, सरकार ने कुछ दिनों बाद सरचार्ज बढ़ोतरी का फैसला वापस ले लिया था।



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पहला आयकर कानून 160 साल पहले बना था; तब 200 रुपए से ज्यादा की कमाई पर टैक्स लगता था, सेना-पुलिस अफसरों को छूट थी

नई दिल्ली.देश में इनकम टैक्स का पहला कानून 160 साल पहले आया था। 1860 में अंग्रेज अफसर जेम्स विल्सन ने पहला बजट पेश किया था। इसी में इनकम टैक्स कानून को जोड़ा गया था। देश के पहले बजट में 200 रुपए तक की सालाना कमाई वालों को इनकम टैक्स में छूट दी गई थी।अभी देश में 1961 का आयकर कानून लागू है। इसमें समय-समय पर संशोधन होते रहते हैं।


1860 में 200 रुपए से ज्यादा की कमाई पर 4% तक टैक्स लगता था
देश के पहले बजट में 200 रुपए से 500 रुपए तक की सालाना आय वालों पर 2% और 500 रुपए से ज्यादा कमाई पर 4% टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया था। इनकम टैक्स कानून में सेना, नौसेना और पुलिस कर्मचारियों को छूट दी गई थी। हालांकि, उस समय ज्यादातर कर्मचारी अंग्रेज ही थे। सेना के कैप्टन का वेतन 4,980 रुपए और नौसेना के लेफ्टिनेंट का 2,100 रुपए था। हालांकि, इनकम टैक्स का कानून का उस समय कड़ा विरोध हुआ था। उस समय के मद्रास प्रांत के गवर्नर सर चार्ल्स टेवेलियन ने भी विरोध किया था। विल्सन का ये कानून ब्रिटेन के इनकम टैक्स कानून की तरह ही था। ब्रिटेन में 1798 में तत्कालीन प्रधानमंत्री विलियम पिट ने भी सेना का खर्च निकालने के लिए इनकम टैक्स कानून बनाया था।


1858 में भारत में ब्रिटिश सरकार का राज शुरू हो गया
1857 में भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का राज था। भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी। इससे देशभर में आंदोलन छिड़ गया। इससे निपटने के लिए अंग्रेजों ने अपनी सेना के खर्च में बेहिसाब बढ़ोतरी कर दी। 1856-57 में अंग्रेजों ने सेना पर 1 करोड़ 14 लाख पाउंड खर्च किए थे। यह खर्च 1857-58 में बढ़ाकर 2 करोड़ 10 लाख पाउंड तक कर दिया गया। उस जमाने में 1 पाउंड 10 रुपए के बराबर हुआ करता था। एक नवंबर 1858 में ब्रिटेन की तत्कालीन महारानी विक्टोरिया ने घोषणा की थी कि अब भारत में ब्रिटिश सरकार की ही हुकूमत होगी। इसी दौरान 'द गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858' आया। इस कानून के प्रावधानों के मुताबिक भारत के सभी आर्थिक मामलों का नियंत्रण भारत के पहले मंत्री (सेक्रेटरी ऑफ स्टेट) चार्ल्स वुड के हाथों में आ गया।


1857 की क्रांति में अंग्रेजों को नुकसान हुआ, तो इनकम टैक्स लगाया
1857 की क्रांति की वजह से 1859 में इंग्लैंड का कर्ज 8 करोड़ 10 लाख पाउंड पहुंच गया। इस समस्या से निपटने के लिए ब्रिटेन ने नवंबर 1859 में जेम्स विल्सन को भारत भेजा। विल्सन ब्रिटेन के चार्टर्ड स्टैंडर्ड बैंक के संस्थापक और अर्थशास्त्री थे। उन्हें भारत में वायसराय लॉर्ड कैनिंग की काउंसिल में फाइनेंस मेंबर (वित्त मंत्री) बना दिया गया। विल्सन ने 18 फरवरी 1860 को भारत का पहला बजट पेश किया। पहले ही बजट में पहली बार तीन टैक्स का प्रस्ताव दिया गया। पहला- इनकम टैक्स, दूसरा- लाइसेंस टैक्स और तीसरा- तंबाकू टैक्स। इन तीनों टैक्सों की घोषणा करते समय विल्सन ने मनुस्मृति का उदाहरण देते हुए कहा कि उनका ये कदम 'इंडियन' नहीं बल्कि 'भारतीय' ही है।

ब्रिटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन। इन्होंने ब्रिटेन में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की स्थापना की थी। वे द इकोनॉमिस्ट मैगजीन के भी फाउंडर थे।


प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है इनकम टैक्स का जिक्र

  • मनुस्मृतिमें आयकर के बारे में लिखा है कि शास्त्रों के अनुसार राजा कर लगा सकता है। करों का संबंध प्रजा की आय और व्यय से होना चाहिए। राजा को हद से ज्यादा कर लगाने से बचना चाहिए। करों की वसूली की ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि प्रजा अदायगी करते समय कठिनाई महसूस न करें।
  • मनुस्मृति के अलावा 2300 साल पहले लिखे गए 'कौटिल्य अर्थशास्त्र' में भी आयकर का उल्लेख मिलता है। कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में लिखा था- सरकार (राजा) की सत्ता, उसके राजकोष की मजबूती पर निर्भर करती है। राजस्व और कर सरकार के लिए आय है, जो उसे अपनी जनता (प्रजा) की सेवा, सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मिलती है।

द इकोनॉमिस्ट मैग्जीन के फाउंडर थे जेम्स विल्सन
जेम्स विल्सन का जन्म 3 जून 1805 को स्कॉटलैंड में रॉकशायर परगने के होइक गांव में हुआ था। अपने माता-पिता की 15 संतानों में जेम्स चौथे थे। विल्सन का जन्म गरीबी में बीता। इसके बाद जेम्स और उसके छोटे भाई विलियम ने हैट बनाने का बिजनेस शुरू किया जो शुरुआत में सफल रहा। बाद में दोनों भाइयों ने लंदन में काम शुरू किया, लेकिन ज्यादा समय तक नहीं चल सका और कंपनी बंद करनी पड़ी। इसके बाद जेम्स ने 'द इकोनॉमिस्ट' मैग्जीन शुरू की और इसके संपादक-लेखक बन गए। 1844 में जेम्स ने अपनी सारी कमाई द इकोनॉमिस्ट में लगा दी। 'द इकोनॉमिस्ट' आज भी दुनिया की सबसे पॉपुलर मैग्जीन में गिनी जाती है। भारत आने के आठ महीने बाद यानी जुलाई 1860 में जेम्स बीमार हो गए। बीमारी की वजह से 11 अगस्त 1860 को उनका निधन हो गया।


1922 में नया इनकम टैक्स कानून आया, इसके बाद ही आयकर विभाग बना

  • असहयोग आंदोलन के समय 1922 में भारत में नया इनकम टैक्स कानून आया। इसी समय आयकर विभाग के विकास की कहानी भी शुरू हुई। नए कानून में आयकर अधिकारियों को अलग-अलग नाम दिए गए। 1946 में पहली बार परीक्षा के जरिए आयकर अधिकारियों की सीधी भर्ती हुई। इसी परीक्षा को ही 1953 में 'इंडियन रेवेन्यू सर्विस' यानी 'आईआरएस' नाम दिया गया।
  • 1963 तक आय कर विभाग के पास संपत्ति कर, सामान्य कर, प्रवर्तन निदेशालय जैसे प्रशासनिक काम थे। इसलिए 1963 में राजस्व अधिनियम केंद्रीय बोर्ड कानून आया, जिसके तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) का गठन किया गया।
  • 1970 तक टैक्स की बकाया राशि वसूल करने का अधिकार विभाग के राज्य प्राधिकारियों के पास था। लेकिन 1972 में टैक्स वसूली के लिए नई विंग बनाई गई और कमिश्नर नियुक्त किए गए। इनकम टैक्स कानून में समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं।

(सोर्स : https://ift.tt/1cBhzMi, मिलिंद संगोराम की लिखी किताब 'भारतीय इनकम टैक्स की कहानी')



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Income Tax | Income Tax Year History Timeline [Hindi Updated]; Income tax, law came into force 160 years ago


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वुहान से 324 भारतीयों को लेकर एयर इंडिया का विमान दिल्ली पहुंचा, मानेसर के शिविर ले जाया जाएगा

बीजिंग/नई दिल्ली. कोरोनावायरस के डर के बीच चीन के वुहान में फंसे भारतीयोंको लेकर एयर इंडिया का डबल डेकर जंबो 747 विमान शनिवार सुबहदिल्ली पहुंच गया। बोइंगने शुक्रवार देर रातवुहान से उड़ान भरी थी।विमान में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के 5 डॉक्टरों की टीम भी मौजूद थी। भारतीयों को निकालने के लिए चीन के प्रयास की भारत ने सराहना की है।

उधर, चीन में कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या 259 हो गई है वहीं 11,791 लोग इस संक्रमण की चपेट में हैं। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने शनिवार को यह जानकारी दी। आयोग ने कहा, “31 जनवरी की मध्यरात्रि तक स्वास्थ्य आयोग को 31 प्रांतों से 11,791 लोगों में कोरोनावायरस का संक्रमण पाए जाने की सूचना मिली है जिसमें से 1,795 लोगों की हालत गंभीर है। 17,988 से अधिक लोगों में कोरोनावायरस का संदेह पाया गया है। पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोनावायरस के 2,100 के नये मामले सामने आए हैं।”

गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए सफदरजंग में 50 बेड की व्यवस्था

स्वास्थ्य मंत्रालय में विशेष सचिव संजीव कुमार ने बताया कि चीन से सभी भारतीय छात्रशनिवार को भारत पहुंचेंगे। उन्हें एहतियातन 14 दिनों तक दिल्ली के छावला में स्थित आईटीबीपी सेंटर में रखा जाएगा। वहीं, सफदरजंग अस्पताल में भी गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए अलग से 50 बेड का इंतजाम किया गया है।

हरियाणा के मानेसर में सेना ने शिविर बनाया

हरियाणा के मानेसर में भी चीन से लौटने वाले भारतीयों के लिए सेना ने एक शिविर बनाया है, जिसमें करीब 300 लोगों को रखा जा सकता है। सभी लोग डॉक्टरों की टीम और स्टाफ की निगरानी में रहेंगे। भारतीय सेना के मुताबिक, वुहान से लाए गए सभी भारतीय छात्रों की एयरपोर्ट पर आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज (एएफएमएस) और एयरपोर्ट हेल्थ अथॉरिटी की संयुक्त टीम द्वारा स्क्रीनिंग की जाएगी। इसके बाद उन्हें मानेसर के शिविर ले जाया जाएगा। कोरोनावायरस से संक्रमित होने पर मरीज को दिल्ली कैंट के बेस अस्पताल में भर्ती किया जाएगा।

डब्ल्यूएचओने शुक्रवार को ग्लोबल इमरजेंसी की घोषणा कीथी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को ग्लोबल इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी। हालांकि, चीन की यात्रा और किसी भी प्रकार के व्यापार पर रोक नहीं लगाई गई थी। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, भारत समेत 21 देशों में कोरोनावायरस संक्रमण के 100 मामले सामने आए हैं। इनमें चीन, हॉन्गकॉन्ग, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, भारत, श्रीलंका, नेपाल, थाइलैंड, मलेशिया, कंबोडिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, ताइवान, मकाऊ, वियतनाम, यूएई, रूस और ब्रिटेन शामिल हैं।



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Air India aircraft carrying 324 Indians from Wuhan reached Delhi; Will be taken to manesar camp


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कश्मीर आने वाले पर्यटक साल भर में 68% घटे, दिसंबर में आने वाले तो 5 साल में 12 गुना घट गए, 9191 करोड़ का नुकसान भी

गुलमर्ग (इशफाक-उल-हसन).दुनिया की सबसे खूबसूरत पर्वत श्रृंखला, बर्फ से ढंके पहाड़ और सस्ती सुविधाएं दुनिया भर के पर्यटकों को जम्मू-कश्मीर की तरफ आकर्षित करती हैं। हर साल लाखों लोग कश्मीर की वादियों में घूमने आते हैं और कभी न भूलने वाला अनुभव लेकर जाते हैं। लेकिन अब कश्मीर को ये पर्यटक नसीब नहीं हो पा रहे हैं। राजनीतिक उथल-पुथल इसकी बड़ी वजह है।


हालात ये हैं कि कश्मीर आने वाले पर्यटकों की संख्या 10 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। वही दिसंबर में आने वाले पर्यटकों की संख्या एक साल में 5 गुना तक घट गई है। जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग के आंकड़ों की मानें, तो कश्मीर आने वाले देश-दुनिया के पर्यटकों की संख्या 10 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। इस दौरान पहली बार इनकी संख्या 5 लाख से नीचे रही है। इसकी वजह यहां लगातार बदलते राजनीतिक हालात हैं। इसका नुकसान पर्यटन क्षेत्र और स्थानीय कारोबारियों को भुगतना पड़ा है। कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स के मुताबिक इससे राज्य को कुल 17,800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इनमें 9,191 करोड़ रुपए का नुकसान तो अकेले पर्यटन क्षेत्र को हुआ है।


2012 में 13 लाख पर्यटक पहुंचे थे: कश्मीर पहुंचने वाले पर्यटकों का आंकड़ा एक साल में पिछले 10 साल में सबसे ज्यादा 13 लाख पर्यटक 2012 में घाटी में पहुंचे थे। 2011 में 7.36 लाख, जबकि 2010 में करीब 10 लाख टूरिस्ट यहां पहुंचे थे। 2013 और 2014 में लगातार दो साल 11 लाख से ज्यादा पर्यटक जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे।


ट्रैवल एजेंट्स के मुताबिक कश्मीर में अनिश्चितता और अगस्त से इंटरनेट सेवाओं के बंद होने से भी नुकसान हुआ है। कश्मीर टूरिज्म अलायंस के प्रेसिडेंट मंजूर अहमद पख्तून बताते हैं कि इंटरनेट सेवाओं की कमी की वजह से व्यापारिक गतिविधियां कम हो गई हैं। सर्दी और बर्फ चरम पर होने के बावजूद एडवेंचर स्पोर्ट्स भी नहीं हो पा रहे हैं।

दिसंबर में पर्यटकों की संख्या 5 साल में पहली बार 32,000 से कम
दिसंबर महीने में बर्फबारी, एडवेंचर और कश्मीर की खूबसूरती निहारने सबसे ज्यादा टूरिस्ट आते हैं, लेकिन 2019 में यह भारी निराशाजनक रहा। इतना ही नहीं, 5 साल में दिसंबर में पर्यटकों की संख्या 7 हजार से कम रही है। इससे पहले कभी भी दिसंबर में 32 हजार से कम पर्यटक नहीं आते थे।



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प्रतीकात्मक फोटो।


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5 साल बाद शनिवार को बीएसई पर ट्रेडिंग होगी, बजट की वजह से बाजार खुलेगा

मुंबई. बजट की वजह से आज शेयर बाजार में शनिवार होने के बावजूद ट्रेडिंग होगी। बताया जा रहा है कि बाजार से जुड़े लोगों की अपील पर यह फैसला लिया गया। क्योंकि, बजट की घोषणाओं से बाजार में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं। 2015 में भी बजट के दिन शनिवार होने के बावजूद बीएसई पर ट्रेडिंग हुई थी। सामान्य तौर पर शनिवार-रविवार को शेयर बाजार बंद रहता है।

शेयर बाजार से जुड़े ऐलान संभव
सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में राहत दे सकती है। शेयर खरीदने के एक साल बाद बेचने पर अगर एक लाख रुपए से ज्यादा मुनाफा होता है उस पर अभी 10% टैक्स लगता है। ऐसी अटकलें हैं कि इस टैक्स को खत्म किया जा सकता है या फिर इसका समय बढ़ाकर 2 साल किया जा सकता है। डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स के नियमों में भी बदलाव किए जा सकते हैं।

पिछले साल सरकार ने सुपर रिच पर सरचार्ज बढ़ाया, बाद में फैसला वापस लिया
बजट के दिन सेक्टर विशेष के लिए जो घोषणाएं होती हैं उनका सेक्टर विशेष की कंपनियों के शेयरों पर असर पड़ता है। मोदी सरकार के पिछले 6 पूर्ण बजटों की बात करें तो बजट के दिन 4 बार शेयर बाजार नुकसान में रहा। पिछले साल 5 जुलाई को बजट पेश किया गया था। उस दिन सेंसेक्स 1% और निफ्टी 1.14% नुकसान में रहा था। पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सुपर रिच पर सरचार्ज बढ़ाने का ऐलान किया था। विदेशी निवेशकों को भी इसके दायरे में माना गया। इससे बाजार में गिरावट बढ़ गई थी। हालांकि, सरकार ने कुछ दिनों बाद सरचार्ज बढ़ोतरी का फैसला वापस ले लिया था।



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दशक का पहला बजट आज, निर्मला सीतारमण दूसरी बार बजट पेश करेंगी; इनकम टैक्स में राहत की उम्मीद

नई दिल्ली. इस दशक का पहला आम बजट आज पेश होने जा रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में 11 बजे बजट भाषण देंगी। वे लगातार दूसरी बार बजट पेश करने वाली पहली महिला वित्त मंत्री होंगी। उनसे पहले इंदिरा गांधी ने एक बार फरवरी 1970 में बजट पेश किया था। 60 वर्षीय निर्मला अपने बजट भाषण में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव का ऐलान कर सकती हैं। टैक्स कंसल्टेंसी फर्म केपीएमजी के प्री-बजट सर्वे के मुताबिक, 18 सेक्टर की 219 कंपनियों में से 82% कंपनियों को लगता है कि इस बार 80सी के तहत डिडक्शन की डेढ़ लाख रुपए की लिमिट बढ़ाई जा सकती है। बजट में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का ऐलान भी हो सकता है।

बजट को अंतिम रूप देने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम।

इनकम टैक्स
मौजूदा दर : पिछले साल अंतरिम बजट की घोषणा के मुताबिक 5 लाख रुपए तक टैक्सेबल इनकम टैक्स फ्री है। यह छूट रिबेट के जरिए मिल रही है, लेकिन टैक्स स्लैब 2.5 लाख रुपए से ही शुरू हो रहा है।
मांग : इनकम टैक्स में छूट की लिमिट मौजूदा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए की जाए। यानी इतनी आमदनी वाले इनकम टैक्स के दायरे से पूरी तरह बाहर हो जाएं। उन्हें रिटर्न भरने की भी जरूरत न पड़े। इसके बाद 5 लाख से 10 लाख रुपए इनकम पर टैक्स 20% से घटकर 10% करने की भी मांग है। ऐसा हुआ तो 10 लाख तक की टैक्सेबल इनकम वालों के सालाना 46,800 रुपए बचेंगे।

सभी डिडक्शन के बाद भी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपए से ज्यादा है तो यह टैक्स स्लैब लागू हो जाता है-

सालाना आय (रुपए) मौजूदा टैक्स रेट
2.5 लाख तक 0%
2.5 लाख से 5 लाख 5%
5 लाख से 10 लाख 20%
10 लाख से ज्यादा 30%

(टैक्स के ऊपर 4% सेस भी लागू)

नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का ऐलान हो सकता है
देश में व्यापारिक ट्रांसपोर्टेशन को आसान बनाने के लिए सरकार बजट में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का ऐलान कर सकती है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों से हवाले से सोमवार को ये जानकारी दी। इसके मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय के लॉजिस्टिक्स डिवीजन ने पॉलिसी पर काम किया है। व्यापारियों के लिए माल ढुलाई का खर्च घटाना इसका मकसद है। इसके लिए एक सेंट्रल पोर्टल बनाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है, ताकि कंपनियों को लॉजिस्टिक्स से जुड़े समाधान मिल सकें।

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में राहत की उम्मीद

  • प्रॉपर्टी बिक्री पर कैपिटल गेन्स टैक्स खत्म किया जा सकता है। शेयर निवेशकों के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का समय 1 साल से बढ़ाकर 2 साल किया जा सकता है। निवेशक एक साल तक शेयर रखने के बाद बेचते हैं तो उन्हें 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना पड़ता है।डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) की देनदारी का नियम कंपनियों की बजाय शेयरधारकों पर लागू हो सकता है।
  • प्रॉपर्टी बिक्री पर कैपिटल गेन्स टैक्स खत्म होता है तो यह रिएल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छा होगा। अभी नियम है कि प्रॉपर्टी की बिक्री से मिली रकम को 3 साल में फिर से प्रॉपर्टी में ही निवेश नहीं किया तो मुनाफे पर 30% कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होता है। दूसरी ओर कोई 24 महीने में ही प्रॉपर्टी को बेच देता है तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना पड़ता है। 24 महीने बाद 20% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है। घर की बिक्री से हुए कैपिटल गेन से अधिकतम दो घर खरीद सकते हैं। लेकिन, टैक्स में छूट का दावा करने के लिए कैपिटल गेन 2 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यह छूट जीवन में सिर्फ एक बार ली जा सकती है।

एक्सपर्ट की राय

ज्योति रॉयडीवीपी (इक्विटी स्ट्रैटजिस्ट),एंजेल ब्रोकिंग अर्थव्यवस्था में सुस्ती को देखते हुए सरकार बड़े ऐलान कर सकती है। पिछले कुछ सालों में सख्त नीतियों और आईएलएंडएफएस जैसे संकटों की वजह से जीडीपी ग्रोथ प्रभावित हुई। सितंबर तिमाही में यह 4.5% रह गई। हालांकि, कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का फैसला अहम था, लेकिन इसके असर से निवेश आने में वक्त लगेगा। सरकार बजट में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव के साथ ही हाउसिंग और ऑटो सेक्टर के लिए बड़े ऐलान कर सकती है।
अनंत पद्मनाभन,चेयरमैन (ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल) सोने के गहनों की खरीद पर पैन नंबर देने का नियम 2 लाख की खरीद की बजाय 5 लाख की खरीद पर लागू होना चाहिए। जेम्स एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री के लिए ईएमआई की सुविधा की दी जानी चाहिए।
जी प्रदीप कुमार,सीईओ (यूनियन एसेट मैनेजमेंट कंपनी) इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने के लिए सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स घटाने समेत कई फैसले लिए। लेकिन, म्यूचुअल फंड और शेयरों से जुड़े टैक्स पर भी ध्यान देना चाहिए। रिएल एस्टेट और फाइनेंशियल एसेट्स में निवेश बढ़ाने के उपाय करने की भी जरूरत है। 10 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री कर दी जाए तो इकोनॉमी को फायदा हो सकता है। हालांकि, टैक्स कलेक्शन के मोर्चे पर नुकसान होगा, लेकिन इसके फायदों का भी आकलन करना चाहिए।
उदय वर्मा,पूर्व सचिव, एमएसएमई बजट में वित्त मंत्री को एमएसएमई सेक्टर पर ध्यान देना होगा। मैन्युफैक्चरिंग में इस सेक्टर का 40%, एक्सपोर्ट में 35% और देश की कुल जीडीपी में 29% से 30% तक योगदान है। इस सेक्टर का ध्यान रखे बिना इकोनॉमिक स्लोडाउन और बेरोजगारी की चुनौती से निपटना संभव नहीं होगा।


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5 साल बाद शनिवार को बीएसई पर ट्रेडिंग होगी, बजट की वजह से बाजार खुलेगा

मुंबई. बजट की वजह से आज शेयर बाजार में शनिवार होने के बावजूद ट्रेडिंग होगी। बताया जा रहा है कि बाजार से जुड़े लोगों की अपील पर यह फैसला लिया गया। क्योंकि, बजट की घोषणाओं से बाजार में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं। 2015 में भी बजट के दिन शनिवार होने के बावजूद बीएसई पर ट्रेडिंग हुई थी। सामान्य तौर पर शनिवार-रविवार को शेयर बाजार बंद रहता है।

शेयर बाजार से जुड़े ऐलान संभव
सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में राहत दे सकती है। शेयर खरीदने के एक साल बाद बेचने पर अगर एक लाख रुपए से ज्यादा मुनाफा होता है तोउस पर अभी 10% टैक्स लगता है। ऐसी अटकलें हैं कि इस टैक्स को खत्म किया जा सकता है या फिर इसका समय बढ़ाकर 2 साल किया जा सकता है। डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स के नियमों में भी बदलाव किए जा सकते हैं।

पिछले साल सरकार ने सुपर रिच पर सरचार्ज बढ़ाया, बाद में फैसला वापस लिया
बजट के दिन सेक्टर विशेष के लिए जो घोषणाएं होती हैं उनका सेक्टर विशेष की कंपनियों के शेयरों पर असर पड़ता है। मोदी सरकार के पिछले 6 पूर्ण बजटों की बात करें तो बजट के दिन 4 बार शेयर बाजार नुकसान में रहा। पिछले साल 5 जुलाई को बजट पेश किया गया था। उस दिन सेंसेक्स 1% और निफ्टी 1.14% नुकसान में रहा था। पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सुपर रिच पर सरचार्ज बढ़ाने का ऐलान किया था। विदेशी निवेशकों को भी इसके दायरे में माना गया। इससे बाजार में गिरावट बढ़ गई थी। हालांकि, सरकार ने कुछ दिनबाद सरचार्ज बढ़ोतरी का फैसला वापस ले लिया था।



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यूरोपीय यूनियन से अलग होने वाला पहला देश बना ब्रिटेन, 47 साल का नाता खत्म

लंदन. ब्रिटेन आधिकारिक तौर पर शनिवार को यूरोपीय संघ (ईयू) से अलग हो गया। 47 साल के बाद ईयू से अलग होने वाला ब्रिटेन पहला देश बन गया। ईयू संसद ने ब्रेग्जिट समझौते को अपनी मंजूरी दे दी है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ब्रेक्सिट से ठीक पहले राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में ब्रिटेन के लिए एक नए युग की शुरुआत के रूप में इस क्षण कोऐतिहासिक बताया।

भारतीय समय के अनुसार ब्रिटेन शनिवार सुबह 4.30 बजे ईयू से अलग हुआ। ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के मुख्यालय से ब्रिटेन का झंडा हटा दिया गया है।

‘यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं देश के सभी लोगों को साथ लेकर चलूं’

इस मौके पर जॉनसन ने कहा- 2016 में जिन लोगों ने इस अभियान का नेतृत्व किया, उनके लिए आज नई सुबह है। बहुत सारे लोगों के लिए यह उम्मीद का एक आश्चर्यजनक क्षण है, जिन्होंने इस बारे में कभी नहीं सोचा था। बहुत सारे ऐसे समूह थे, जिन्हें लगता था कि यह राजनीतिक गतिरोध कभी खत्म नहीं होगा। बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो नुकसान जैसा महसूस कर रहे हैं। मैं उन सभी की भावनाओं को समझता हूं। यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं देश के सभी लोगों को साथ लेकर चलूं।

ब्रिटेन 2020 के आखिर तक ईयू की आर्थिक व्यवस्था में बना रहेगा
शिन्हुआ न्यूज एजेंसी के मुताबिक, ईयू से अलग होने के बाद अब ब्रिटेन के लिएअब ट्रांजीशन अवधि शुरू हो गई है,जो इस साल के अंत तक चलेगी। इस दौरान बदलाव के बाद भी कई पुराने कानून पहले की तरह ही रहेंगे। जैसे दिसंबर तक लोगों की आवाजाही बनी रहेगी। इस दौरान ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार व्यवस्था बनाने की कोशिश की जाएगी।ब्रिटेन 2020 के आखिर तक ईयू की आर्थिक व्यवस्था में बना रहेगा, लेकिन उसका नीतिगत मामलों में कोई दखल नहीं होगा।

क्या है ब्रेग्जिट?

ब्रिटेन के ईयू से बाहर होने को ही ब्रेग्जिट कहा गया। ईयू में 28 यूरोपीय देशों की आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए ईयू बना था। सोच यह थी कि जो देश साथ में व्यापार करेंगे, वो आपस में युद्ध से बचेंगे। ईयू की अपनी मुद्रा यूरो है, 19 सदस्य देश इसका इस्तेमाल करते हैं। ब्रिटेन 1973 में ईयू से जुड़ा था।

जरूरत क्यों?

ब्रिटेन की यूरोपियन यूनियन में कभी चली ही नहीं। इसके उलट ब्रिटेन के लोगों की जिंदगियों पर ईयू का नियंत्रण ज्यादा है। वह व्यापार के लिए ब्रिटेन पर कई शर्तें लगाता है। ब्रिटेन के राजनीतिक दलों को लगता है कि अरबों पाउंड सालाना सदस्यता फीस देने के बाद भी ब्रिटेन को इससे बहुत फायदा नहीं होता। इसलिए ब्रेग्जिट की मांग उठी थी।

पारंपरिक गीत के साथ विदाई

ईयू की संसद में ब्रेग्जिट के लिए मतदान के दौरान भावुक करने वाला माहौल रहा। मतदान के बाद सांसदों ने ब्रिटेन के लिए पारंपरिक गीत गाया। ईयू प्रेसिडेंट उर्सुला वॉन ने ब्रिटेन के चर्चित लेखक जॉर्ज इलियट की पंक्तियां दोहराते हुए कहा- ‘‘अलग होने के दुख में ही हम अपने प्रेम की गहराई को देखते हैं।’’ ब्रिटिश सांसदों ने कहा कि हम इस टीम में वापस आएंगे, लॉन्ग लिव यूरोप। वहीं कहीं-कहीं पर ब्रेग्जिट पूरा होने की खुशी भी दिखी।

असर

ब्रिटेन पर: प्रति व्यक्ति बोझ 68 हजार रुपए
ब्रेग्जिट से ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को हर साल 53 हजार करोड़ रु. का नुकसान होगा। थिंक टैंक रैंड यूरोप और जर्मनी के बैर्टेल्समन फाउंडेशन के ताजा शोध में बताया गया है कि ईयू से बाहर होने पर ब्रिटेन में वस्तु और सेवाओं पर टैक्स लगेगा। इससे ये महंगी होंगी। लोगों के खर्च बढ़ेंगे। उनकी आय में कमी होगी। इससे लोगों को 45 हजार करोड़ का नुकसान होगा। ब्रिटेन में इसका प्रति व्यक्ति बोझ 68 हजार रु. आएगा। कुछ दिन पहले ही ब्लूमबर्ग ने रिपोर्ट में 2016 से 2020 तक 18.9 लाख करोड़ के नुकसान का अनुमान जताया है। फिलहाल यह 12 लाख करोड़ रु. तक पहुंचा है।

दुनिया पर: जर्मनी-फ्रांस की जीडीपी बढ़ेगी
ब्रिटेन के अलह होने से यूरोपियन यूनियन की अर्थव्यवस्था पर भी असर होगा। फिलहाल वैश्विक अर्थव्यवस्था में ईयू की हिस्सेदारी 22% है। ब्रिटेन के हटने पर 18% रह जाएगी। ईयू की आबादी में भी 13% की गिरावट आएगी। वहीं ईयू में जर्मनी की जीडीपी 20% से बढ़कर 25% वहीं फ्रांस की 15 से बढ़कर 18% हो जाएगी। अमेरिका भी फायदे में रहेगा। ब्रिटेन ईयू की अर्थव्यवस्था में 1.50 लाख करोड़ रुपए का योगदान देता है। ईयू अब ब्रिटेन को रियायतें भी नहीं देगा।

भारत पर: एफटीए होने से बड़ा बाजार मिलेगा

  • ब्रिटेन में निवेश करने वाला भारत तीसरा बड़ा देश है। ब्रिटेन में 800 से ज्यादा भारतीय कंपनियां हैं, जो 1.10 लाख लोगों को रोजगार देती हैं। ब्रिटिश मुद्रा पाउंड की कीमत घटने से इनके मुनाफे पर असर होगा।
  • यूरोप ने नए नियम बनाए तो भारतीय कंपनियों को नए करार करने होंगे। इससे खर्च बढ़ेगा और अलग-अलग देशों के नियम-कानूनों से जूझना होगा।
  • ब्रिटेन से मुक्त व्यापार समझौता हो सकता है। इससे भारत का निर्यात बढ़ने का अनुमान है। ईयू से इस मामले में सहमति नहीं बनी थी।
  • ब्रिटेन सेंट्रल मार्केट है। पुर्तगाल, ग्रीस जैसे कई देश वहां से सामान ले जाते हैं। ब्रिटेन के साथ एफटीए होने से भारत को विशाल बाजार मिलेगा।


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BREXIT: Britain formally leaves EU, ending 47-year-long membership


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