काहिरा. मिस्र (इजिप्ट) सरकार अपने यहां 5,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जंगल उगा रही है। पौधों के लिए बहुत बड़ी मात्रा में सीवेज का पानी रीसाइकिल करके रेगिस्तान में छिड़का जा रहा है। आने वाले कुछ समय बाद यहां लाखों पेड़-पौधे नजर आ सकते हैं। छात्र ड्रिप सिंचाई तकनीक से सहारा के रेगिस्तान में पौधे रोप रहे हैं। इस देश का 96 प्रतिशत भू-भाग रेतीला है और यहां बारिश भी बहुत कम होती है।
मिस्र के वैज्ञानिकों ने कहा कि जंगल बसाने का ये प्रोजेक्ट जर्मनी और मिस्र की साझा योजना का हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट के लिए जर्मनी ने बहुत बड़ी राशि की मदद दी है। यह प्रोजेक्ट इस्माइलिया शहर के पास चलाया जा रहा है। इसके लिए बाकायदा एक बड़ी रिसर्च टीम लगी हुई है। दोनों देशों के छात्र इसमें मदद कर रहे हैं। म्यूनिख तकनीकी यूनिवर्सिटी के छात्र सेबास्टियान रासेल भी इसी सिलसिले में यहां पहुंचे हैं।
इसलिए इस्माइलिया के पास पहले वन उगाने का लक्ष्य
इस्माइलिया शहर काहिरा से दो घंटे की दूरी पर बसा है, यहां तपता रेगिस्तान रहवासियों के लिए किसी भट्ठी से कम नहीं है, इसलिए अब रेत के सीने को हराभरा करने की तैयारी हो रही है। रिसर्चर टीम चीड़ तथा अन्य प्रजातियों के ऐसे पेड़ बड़ी संख्या में लगा रही है, जो कम पानी में भी खड़े हो जाते हैं। मिस्र के वन विशेषज्ञ हानी अल कातेब ने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को खड़ा किया है। कातेब ने म्यूनिख टेक्निकल यूनिवर्सिटी से वन विज्ञान की पढ़ाई की। उन्होंने सिंचाई के लिए एक खास तरह का सिंचाई यंत्र भी बनाया है।
सीवेज का पानी सिर्फ जंगलों के लिए ही ठीक
कातेब ने बताया कि मिस्र में प्रति वर्ष 6.3 अरब घन मीटर पानी सीवेज का हिस्सा बन जाता है। वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में इसे पीने लायक बनाना मुमकिन नहीं। फल-सब्जियों की खेती के लिए भी ये पानी ठीक नहीं है, लेकिन निर्माण कार्य या जंगल उगाने में इसका उपयोग बेहतर है। पानी रीसाइकिल करते समय हम उसमें नाइट्रोजन तत्वों को रहने देते हैं, क्योंकि नाइट्रेट आदर्श खाद का काम करता है।
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