
नई दिल्ली. मध्य प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने की भाजपा की याचिका पर आज भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। बुधवार को करीब 4 घंटे चली सुनवाई में कांग्रेस, भाजपा, राज्यपाल, स्पीकर और बागी विधायकों की ओर से 5 वकीलों ने दलीलें पेश कीं। कांग्रेस ने कहा कि बागी विधायकों के इस्तीफे सौंपने के पीछे भाजपा की साजिश है। इसकी जांच होनी चाहिए। बहुमत परीक्षण के लिए रातोंरात मुख्यमंत्री और स्पीकर को आदेश देना राज्यपाल का काम नहीं है। स्पीकर इस मामले में सबसे ऊपर हैं, राज्यपाल उन पर हावी हो रहे हैं।
कांग्रेस ने विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई सीटों पर उपचुनाव होने तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराने की मांग की। भाजपा ने इसका विरोध किया। कोर्ट ने कहा कि 16 बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल हों या नहीं, लेकिन उन्हें बंधक नहीं रखा जा सकता। वहीं, विधायकों ने कहा कि स्पीकर को उनके इस्तीफे मंजूर करने का निर्देश दिया जाए। जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच में कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे, भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी, राज्यपाल के वकील तुषार मेहता, स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने पैरवी की।
कोर्ट रूम में बुधवार को हुई जिरह
- सियासी उठापटक कांग्रेस की दलील... दवे ने कहा- प्रदेश की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया था। चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनी कांग्रेस ने उसी दिन विश्वास मत हासिल कर लिया था। बहुमत के साथ 18 महीने सरकार चलाई। भाजपा बलपूर्वक सरकार को अस्थिर कर लोकतंत्र मूल्यों को खत्म करना चाहती है। उसने 16 विधायकों को अवैध हिरासत में रखा है। इस पर बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने कहा- ये झूठ है, कोई हिरासत में नहीं है। हमारे विधायकों से जबरन इस्तीफे लिखवाए गए। होली के दिन भाजपा नेताओं ने जाकर 19 बागी विधायकों के इस्तीफे स्पीकर को सौंप दिए थे। ये बड़ी साजिश है। इसकी जांच जरूरी है। बागी विधायकों को चार्टर्ड विमानों से बाहर ले जाकर भाजपा के द्वारा बुक किए रिजॉर्ट में रखा है।
- फ्लोर टेस्ट पर कांग्रेस की दलील... फ्लोर टेस्ट कराने का निर्णय लेने में स्पीकर सबसे ऊपर हैं। राज्यपाल उन पर हावी हो रहे हैं। रातोंरात मुख्यमंत्री और स्पीकर को फ्लोर टेस्ट का आदेश देना राज्यपाल का काम नहीं है। राज्यपाल को बहुमत परीक्षण का आदेश नहीं देना चाहिए था। जो विधायक इस्तीफा दे रहे हैं, चुनाव में जनता के बीच जाएं। इस पर जस्टिस गुप्ता ने कहा- वही तो कर रहे हैं। उन्होंने सदस्यता छोड़ दी, फिर चुनाव चाहते हैं। दवे ने कहा- खाली हुई सीटों पर उपचुनाव होने तक फ्लोर टेस्ट को टाल दिया जाए। अभी कोई आसमान नहीं गिर पड़ा है कि कमलनाथ सरकार को तुरंत हटाकर शिवराज सिंह को गद्दी पर बैठा दिया जाए। कोर्ट को बाद में विस्तार से मामला सुनना चाहिए।
- फ्लोर टेस्ट पर भाजपा की दलील... रोहतगी ने कांग्रेस की मांग का विरोध करते हुए कहा- हम अभी कोर्ट से कोई अंतरिम आदेश चाहते हैं। कांग्रेस 1975 में सत्ता के लिए देश पर इमरजेंसी थोपने वाली पार्टी है। किसी भी तरह सत्ता में बने रहना चाहती है। सत्ता के लिए अजीब दलीलें दी जा रही हैं। जिसके पास बहुमत नहीं है, वह एक दिन सत्ता में नहीं रह सकता। यहां पहले खाली सीटों पर चुनाव की दलील देकर 6 महीने का प्रबंध करने की योजना है। चुनाव करवाना चुनाव आयोग का काम है। यहां इस पर विचार नहीं हो रहा, फ्लोर टेस्ट पर हो रहा है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने से पहले स्पीकर का संतुष्ट होना जरूरी है।
- बागियों पर कोर्ट की टिप्पणी... बेंच ने कहा- हम कैसे तय करें कि विधायकों के हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं? यह संवैधानिक कोर्ट है। हम संविधान के दायरे में कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। टीवी पर कुछ देखकर तय नहीं कर सकते। 16 बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल हों या नहीं, लेकिन उन्हें बंधक नहीं रखा जा सकता। अब साफ हो चुका है कि वे कोई एक रास्ता चुनेंगे। उन्होंने जो किया उसके लिए स्वतंत्र प्रक्रिया होनी चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने वकीलों से सलाह मांगी कि कैसे विधानसभा में बेरोकटोक आने-जाने और किसी एक का चयन सुनिश्चित हो।
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