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पीड़ित ने कहा- कोरोना संक्रमण के केवल 3% मामलों में मौत होती है, 97% मरीज ठीक हो जाते हैं इसलिए मैं डरा नहीं

इंदौर (संजय गुप्ता).कोरोनावायरस के तीन दिन में कई संक्रमित सामने आने और दो मौतों के बाद लोग डरे हुए हैं। भास्कर ने कोरोना से संक्रमित अस्पताल में भर्ती एक मरीज से बात की। उन्होंने कोरोना से पीड़ित होने की कहानी और इससे लड़ने के लिए क्या करना है, इसे साझा किया...

निजी अस्पताल में भर्तीकोरोना पॉजिटिव ने बताया, "मैं जिस प्रोफेशन में हूं, उसमें मरीजों से संपर्क निरंतर चलता है। पिछले हफ्ते मुझे बुखार आया और गले में खराश हुई तो शक हुआ। चेकअप करवाया। इसी बीच मुझे आशंका थी, इसलिए मैंने खुद को घर में आइसोलेट कर लिया। दोनों बच्चे और पत्नी अलग कमरे में और मैं अलग कमरे में। मैंने चीजें भी अलग यूज करना शुरू कर दिया। पहली रिपोर्ट में कुछ साफ नहीं हुआ, फिर सीटी स्कैन में कोरोना के लक्षण दिखे। सैंपल जांच से इसकी पुष्टि हुई। पांच दिन पहले मुझे अस्पताल में भर्ती किया,अब खुद को ठीक महसूस कर रहा हूं, लेकिन एक बात जो मैंने समझी है, वह यह है कि इस वायरस को हराने का एक ही तरीका है कि घर पर रहें और सरकार के निर्देशों का सख्ती से पालन करें।

इंदौर में ये कम्युनिटी संक्रमण की तीसरी स्टेज पर

उन्होंने बताया, '' मैं न विदेश गया, न ही किसी ऐसे संक्रमित के संपर्क में रहा, फिर भी मुझे कोरोना हुआ, यानी इंदौर में ये कम्युनिटी संक्रमण की तीसरी स्टेज पर आ गया है। बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ हो तो आप भी तुरंत डॉक्टर को दिखाएं, जांच करवाएं। हां, इसमें मरीज का हौसला बढ़ाना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसको लेकर पैनिक ज्यादा हो गया है। मैं निपानिया में जिस बिल्डिंग में रहता हूं, वहां परिवार भी आइसोलेट हो गया है। पत्नी, बच्चे नॉर्मल हैं, उनकी स्क्रीनिंग हो चुकी है। अस्पताल में उपचार के साथ मैं टीवी देखता हूं, दोस्तों और रिश्तेदारों से फोन पर बात करता हूं, सब मुझे हिम्मत दे रहे, मेरे साथ खड़े हैं। मैं सबसे यही कहूंगा कि ये अन्य फ्लू की तरह का वायरस है, जिसमें मृत्यु दर महज 3 फीसदी है। यानी 97 फीसदी लोग ठीक हो जाते हैं। इसलिए डरने की जरूरत बिलकुल नहीं है। मैं भी नहीं डरा। हां, जिन लोगों को डायबिटीज है, हार्ट और सांस से जुड़ी परेशानी है, उम्र अधिक है तो उन्हें देखभाल की ज्यादा जरूरत है। खूब लिक्विड लें, अच्छा भोजन लें तो ऐसी बीमारी से बचा जा सकता है। "

पत्नी बोलीं- हम डरे नहीं, दूसरों को बचाने का सोचा

लोग घर बैठे बेवजह के मैसेज सोशल मीडिया पर डालने के बजाय जागरूक बनें, खुद की इम्यून पॉवर बढाएं और रचनात्मक काम करें। यह किसी व्यक्ति की नहीं, बल्कि समाज की लडाई है। अन्य सर्दी, खांसी, फ्लू की तरह ये भी खत्म हो जाएगा। मेरे पति को हुआ है, पर हम डरे नहीं हैं। बच्चों के साथ मैंने खुद को आइसोलेट कर लिया है, ताकि दूसरों को इससे बचा सकें। -(कोरोना पीड़ित की पत्नी)



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कोरोना पीड़ित मरीज का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है- प्रतीकात्मक फोटो।


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