
मुंबई/नाशिक (विनोद यादव/ सचिन वाघ).देश इस समय प्याज के बड़े संकट से जूझ रहा है। इसकी मुख्य वजह महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे बड़े प्याज उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश है। इस बार करीब 55 से 60 प्रतिशत प्याज उत्पादक क्षेत्र में फसल को नुकसान पहुंचा है। इससे रिटेल मार्केट में प्याज 60 से 150 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा है। देश में अक्टूबर 2018 में 10.95 लाख टन प्याज की खपत हुई थी। जबकि इस वर्ष अक्टूबर 2019 में 8.01 लाख टन प्याज की ही खपत हुई है। इस तरह हमने एक माह यानी इस वर्ष अक्टूबर में 2.94 लाख टन प्याज कम खरीदा या खाया है। प्याज की खपत कम होने की एक बड़ी वजह कीमतों में आई उछाल रही। प्याज की आवक कम होने का असर भी खपत पर पड़ा है।
4 सवाल-जवाब से समझिए हर तीन-चार साल में क्याें रुलाता है प्याज :
सवाल-प्याज महंगा क्यों है?
जवाब- लासलगांव एपीएमसी के डायरेक्टर जयदत्त होलकर तीन कारण बताते हैं। पहला मार्च-अप्रैल में ज्यादा गर्मी से पैदावार घटी। फिर अत्यधिक बारिश से फसल बर्बाद हुई। मानसून लंबा चला तो बुआई भी लेट हुई।
सवाल- सरकार ने क्या किया?
जवाब-निर्यात नहीं रोका : प्याज उगाने वाले राज्यों में नुकसान की आशंका थी। फिर भी जून-जुलाई-अगस्त में 4.46 लाख क्विंटल निर्यात की गई। सितंबर में जब तक रोक लगती, 423 करोड़ रुपए का प्याज विदेश भेजा जा चुका था। जनवरी से देखें तो 2,509 करोड़ की प्याज बाहर भेज दी गई।
आयात देरी से किया : 9 नवंबर को पहली बार प्याज आयात का फैसला हुआ। यानी दो माह बाद। एग्रीकल्चर मार्केट एक्सपर्ट विजय सरदाना कहते हैं- दाम कम रहते प्याज आयात हो जाता, तो इतना महंगा नहीं होता।
सवाल- कीमतें कब तक घट सकती हैं?
जवाब- फिलहाल तो नहीं घटेंगी। हालांकि, मिस्र से 6,090 टन और तुर्की से 11 हजार टन प्याज मंगाया गया है। तुर्की से ही 4 हजार टन और प्याज आयात होने वाला है। सरकारी कंपनी एमएमटीसी विदेश से प्याज मंगा रही है। दस-पंद्रह दिन में नई फसल बाजार में आने लगेगी। नए साल तक जाकर कीमतें सामान्य होंगी।
4. मैं, ग्राहक अगर इतना दाम चुका रहा हूं, तो किसान का फायदा होगा?
नहीं, क्योंकि उनके पास प्याज बचा ही नहीं है। सिर्फ एक से दो प्रतिशत ही फायदे की स्थिति में हैं। फायदा बिचौलिए उठा रहे हैं।
किसान को क्या मिला?
वर्ष |
औसत कीमत | किसान को |
हमने चुकाई | मिली कीमत | |
2013 | 33.33 | 23.45 |
2014 | 23.17 | 16.92 |
2015 | 31.90 | 24.21 |
2016 | 16.79 | 12.54 |
2017 | 22.41 | 17.95 |
2018 | 23.64 | 18.86 |
2019 | 28.32 | 19.25 |
भास्कर एक्सपर्ट-देवेंद्र शर्मा, कृषि विशेषज्ञ -सरकार के मिसमैनेजमेंट से बढ़ी कीमतें
भावों में अनियमितता सरकार के फूड मिसमैनेजमेंट के कारण है। सरकार ने अभी तक कोई योजना ही नहीं बनाई। सरकार ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए 500 करोड़ रु. का प्राइस सस्टेनेबल फंड बनाया है, जो उपभोक्ताओं के लिए हैं। जबकि किसानों के लिए भी यह होना चाहिए। टमाटर, आलू और प्याज इन तीनों का सब्जियों की खपत में 50% का योगदान है। इसके लिए सरकार को सहकारी नेटवर्क तैयार करना पड़ेगा जिससे इनका उत्पादन और दाम दोनों स्थिर हो सकें। जैसा कि दूध के लिए अमूल और मदर डेयरी में हुआ। मोटे तौर पर प्याज के भाव किसानों के उगाने और मौसम पर निर्भर करते हैं। मौसम खराब होने से फसल खराब हो जाती है और फिर भाव बढ़ जाते हैं। वर्ष विशेष में बढ़े हुए भावों को देखकर सभी किसान अगले वर्ष प्याज उगाते हैं पर प्याज सस्ता हो जाता है।
दुनिया का 25 फीसदी प्याज भारत उगाता हैं
- 45 हजार मीट्रिक टन प्याज हम रोज खा जाते हैं।
- 12.85 लाख हैक्टेयर में होती है सालाना बुआई
सबसे ज्यादा प्याज
- महाराष्ट्र 5.08 लाख हेक्टेयर
- महाराष्ट्र के अलावा मप्र, बिहार, कर्नाटक, गुजरात और आंध्र प्रदेश में भी प्याज की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है। महाराष्ट्र में तीन मौसम में प्याज की फसल ली जाती है।
कौनसा प्याज ज्यादा टिकता है
रबी की फसल का प्याज चार से छह महीने अच्छा रहता है लेकिन खरीफ की फसल का प्याज (लाल प्याज) 15-20 दिन से ज्यादा नहीं टिकता। इस वजह से प्याज उत्पादक सिर्फ रबी की फसल को गोदामों में रखते हैं।
उत्पादन पर औसत खर्च कितना?
किसानों को एक एकड़ प्याज पर उत्पादन के लिए 40 से 45 हजार रुपए खर्च आता है।
किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देना होगा
एनएचआरडीएफ के पूर्व संचालकडॉ. सतीश बोंडे ने बताया किदेश में प्याज की कमी को दूर करना है तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देना होगा। अंगूर की तरह प्याज उत्पादक किसानों को भी प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है।
तुर्कमेनिस्तान का प्याज आने से भारतीय प्याज को आगे नुकसान
प्याज इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट के विकास सिंह ने बताया किभारत में प्याज की कमी रहने से मिस्र और तुर्कमेनिसतान से प्याज आयात करना पड़ा है। इस समय तुर्कमेनिस्तान में ही प्याज उपलब्ध है। इस वजह से वहां से पहली बार प्याज भारत आ रहा है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में ग्राहकों के सामने तुर्कमेनिस्तान का प्याज स्पर्धा में आने से भारतीय प्याज को आगे नुकसान पहुंचेगा।
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