
नई दिल्ली. थलसेना उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे देश के नए सेनाध्यक्ष होंगे। नरवणे, एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और नौसेना अध्यक्ष करमबीर सिंह तीनों ने एनडीए का 56वां कोर्स एक साथ किया था। भारतीय सेना के इतिहास में यह दूसरी बार है, जब तीनों सेनाओं के प्रमुख एनडीए के एक ही कोर्स से होंगे। इससे पहले 1991 में ऐसा हुआ था, जब तत्कालीन सेना प्रमुख सुनीत फ्रांसिस रोडरिग्ज, नौसेना प्रमुख एडमिरल लक्ष्मी नारायण रामदास और एयर चीफ मार्शल निर्मल चंद्र सूरीतीनों एनडीए के पहले कोर्स में साथ थे।
एनडीए से निकले कैडेट में से अभी तक 12 सेना, 11 नौसेना और 9 वायुसेना के प्रमुख रह चुके हैं। लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे 13वें सेना प्रमुख हैं, जिन्होंने एनडीए से कोर्स किया है। बाकी प्रमुख भारतीय सैन्य अकादमी, वायुसेना अकादमी और नौसेना अकादमी से सीधे आए हैं।
तीनों सेना प्रमुखों के पिता वायुसेना अधिकारी रहे
31 दिसंबर को सेना प्रमुख का पद संभालने जा रहे नरवणे के पिता मुकुंद नरवणे वायुसेना की लॉजिस्टिक ब्रांच के रिटायर्ड अधिकारी हैं। वहीं, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के पिता गुरमजीत सिंह विंग कमांडर रह चुके हैं। जबकि, एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया के पिता सूरजपाल सिंह भदौरिया भी वायुसेना में मास्टर वारंट अधिकारी थे। आरकेएस भदौरिया के दोनों बच्चे भी पायलट हैं।
4 बार दो सेना प्रमुख एक ही एनडीए कोर्स से रहे
दिसंबर 2013 से दिसंबर 2016 तक वायुसेना प्रमुख रहे अरुप राहा और जुलाई 2014 से दिसंबर 2016 तक सेना प्रमुख रहे दलबीर सिंह सुहाग ने एनडीए का 44वां कोर्स साथ किया था। उससे पहले पूर्व वायुसेना प्रमुख एवाईटिपणिस और सेना प्रमुख एस पद्मनाभन एनडीए के 15वें कोर्स में साथ में थे। उनके अलावा जनरल वीपी मलिक और एडमिरल विष्णु भागवत, एयर चीफ मार्शल एसके कौल और जनरल बीसी जोशी ने भी साथ में एनडीए का कोर्स किया था।
सेना प्रमुखों की नियुक्ति विवादों में भी रही, क्योंकि वरिष्ठता को नजरअंदाज करने का आरोप लगा
- तीनों सेनाओं का प्रमुख वही होता है, जो सबसे वरिष्ठ होता है। लेकिन, मौजूदा सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति पर उस वक्त विवाद हो गया, जब सरकार पर वरिष्ठता को नजरंदाज करने का आरोप लगा। कहा जाता है कि लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और पीएम हारिज सबसे वरिष्ठ थे, फिर भी उनकी जगह बिपिन रावत को चुना गया।
- इसी तरह से नौसेना प्रमुख के लिए करमबीर सिंह वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर थे और वाइस एडमिरल बिमल वर्मा पहले नंबर पर थे। लेकिन, बिमल वर्मा की जगह करमबीर सिंह नौसेना प्रमुख बने। बाद में बिमल वर्मा ने करमबीर सिंह की नौसेना प्रमुख के तौर पर नियुक्ति को कोर्ट में चुनौती भी दी थी। हालांकि, वायुसेना प्रमुख के लिए आरकेएस भदौरिया की नियुक्ति करते समय वरिष्ठता का ध्यान रखा गया।
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