जोधपुर (मनोज कुमार पुरोहित).जोधपुर देश में वायु प्रदूषण के मामले में दूसरे नंबर पर है। इसकी वजह वहां की मिट्टी है। पर इसी मिट्टी से डॉ. राकेश शर्मा ने वाटर प्यूरीफायर, बायो फ्यूल और दवाएं बना दी हैं। वो 10 साल से इस पर रिसर्च कर रहे हैं। अब तक 12 पेटेंट रजिस्टर्ड करवा चुके हैं। शेखावाटी के रहने वाले आईआईटी के प्रो. शर्मा बताते हैं कि घड़े बनाने वाली मिट्टी में विदेशी बबूल की फलियां और कुछ केमिकल मिलाए गए। इन घड़ों में कुछ छिद्र रखे गए ताकि पानी ओरिगेमी टेक्निक से छनकर बाहर निकल जाए। इससे निकलने वाले पानी से फ्लोराइड, नाइट्रेट, सल्फेट, एसिटेट, कैल्शियम और मैग्निशियम को मिट्टी सोख लेती है।
बायोफ्यूल: मिट्टी की केमिकल प्रोसेसिंग के बाद इसमें मैटल नैनो पार्टिकल डालकर माइक्रो रिएक्टर बनाया। माइक्रो रिएक्टर को तालाबों-रुके पानी से ली गई काई में मिलाकर गर्म किया गया, तो काई बायोफ्यूल में बदल गई।
अल्जाइमर-पार्किंसन की दवा:
मिट्टी में एसिटाइल कोलिन होता है, इससे याद रखने की क्षमता नियंत्रित होती है। मिट्टी में कॉर्बन, सीजियम, बेरिलियम मिलाए गए। इससे एसिटाइल कोलिन बना, इसे सूंघने से इसकी मात्रा मस्तिष्क में बढ़ती है और रोगी को राहत मिलती है।
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