वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने खिलाफ संसद में जारी महाभियोग की सुनवाई में शामिल नहीं होंगे। व्हाइट हाउस के वकील ने संसद के निचले सदन (हाउज ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) में न्यायिक कमेटी के अध्यक्ष जेरी नैडलर को पत्र लिखकर कहा कि हम सुनवाई में शामिल नहीं हो सकते, क्योंकि अभी भी कई गवाहों का नाम सामने आने बाकी हैं। इसके अलावा हमें यह भरोसा नहीं है कि न्यायिक कमेटी राष्ट्रपति के लिए अतिरिक्त सुनवाई के जरिए निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाएगी। इसलिए हम बुधवार को सुनवाई में शामिल नहीं होंगे।
ट्रम्प पर आरोप है कि उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडाइमर जेलेंस्की पर डेमोक्रेट नेता जो बिडेन और उनके बेटे हंटर के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले की जांच कराने के लिए दबाव बनाया था। एक व्हिसलब्लोअर ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि, ट्रम्प कह चुके हैं कि वे जेलेंस्की के साथ फोन कॉल में हुई बातचीत का ब्योरा देने के लिए तैयार हैं।
ट्रम्प को अपना पक्ष रखने का अधिकार: न्यायिक कमेटी
इस मामले में हाउज ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने 24 सितंबर को ट्रम्प पर महाभियोग जांच बैठाने को कहा था। पिछले दो महीने से जारी सुनवाई में ट्रम्प एक भी बार शामिल नहीं हुए। कमेटी के अध्यक्ष जेरोल्ड नैडलर ने पिछली सुनवाई में कहा था कि ट्रम्प को अपना बचाव करने का पूरा अधिकार है। उन्हें जानने का हक है कि उनके खिलाफ आरोप लगाने वाले कौन से साक्ष्य पेश कर रहे हैं। इसलिए राष्ट्रपति को यह बताना होगा कि वह सुनवाई में खुद शामिल होंगे या अपने वकील को भेजेंगे
बुधवार को होगी ज्यूडिशियरी कमेटी की बैठक
हाउज ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की ज्यूडिशयरी कमेटी अब बुधवार को बैठक करेगी। इसमें फैसला होगा कि अब तक गवाहों की तरफ से जो साक्ष्य पेश किए गए हैं, वे ट्रम्प के खिलाफ धोखाधड़ी, घूसखोरी और अन्य अपराधों की श्रेणी में आते हैं या नहीं। इसी के आधार पर ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई की दिशा तय होगी।
ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग जांच संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन: व्हाइट हाउस
व्हाइट हाउस के वकील पैट सिपोलोन ने अक्टूबर में ही नैंसी पेलोसी, हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के चेयरमैन एडम शिफ, ओवरसाइट एंड रिफॉर्म कमेटी की प्रमुख एलिजा कमिंग्स और फॉरेन अफेयर्स कमेटी के चेयरमैन इलियट एंगेल को पत्र लिखा। उन्होंने कहा, “आप सभी सम्मानित पद पर हैं। जिस तरह से महाभियोग की जांच चल रही है, उसमें मूल अधिकारों और संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन किया जा रहा है।”
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