
नई दिल्ली. ‘आई होप कि अपनी परफॉर्मेंस से मैं पूरे देश के लोगों को प्राउड फील करा पाई हूं। पहली बार मैं अपने देश से बाहर निकली। विश्व मंच पर 130 देशों की सुंदरियों के बीच अपने देश को रिप्रेजेंट करने का मौका मिला। बेहद खुश हूं कि पहली बार में ही मिस वर्ल्ड सेकंड रनर अप रही और मिस वर्ल्ड एशिया का टाइटल मिला। हजारों मैसेज आ रहे हैं। महिलाएं लिख रही हैं, चर्चा कर रहीं कि वो सिर्फ घर पर खाना बनाने के लिए नहीं हैं। मुझे देखकर उन्हें लग तो रहा होगा कि उनका भी वजूद है। मेरे लिए यही सबसे बड़ी जीत है कि मैं महिलाओं की सोच को बदल पा रही हूं। मुझे सिर्फ 2 साल पहले मिस वर्ल्ड के बारे में पता चला। वुमन ओपिनियन को रखने का यह सबसे बेस्ट प्लेटफार्म लगा। मुझे ऐसे ही एक प्लेटफार्म की तलाश थी। फिर जी जान से जुट गई। तैयारी की और फिर मंजिल के करीब पहुंच गई। सबको यही कहना चाहूंगी कि आप कुछ करना चाह रहे तो मंजिल तक पहुंचने के रास्ते ढूंढिए। यह सोच कर मत बैठिए कि यह मुझसे नहीं होगा क्योंकि जहां चाह है वहां राह है। मैं बहुत ही सिंपल फैमिली से बिलॉन्ग करती हूं। ऐसी कम्युनिटी से आती हूं जहां फीमेल को ब्यूटी कंटेस्ट में भाग लेने की आजादी बहुत नहीं है। मैं पैदा राजस्थान के राजसमंद के जिस अईडाना गांव में हुई हूं, वहां आज भी कभी जाती हूं तो देखकर लगता है कि फीमेल को भी मेल की तरह आजादी मिलनी चाहिए। वहीं से फीमेल ओपिनियन को लेकर काम करने के बारे में सोचा, लेकिन कभी प्लेटफार्म नहीं मिला। पहली बार इस बारे में सोचा तो सबसे पहला सवाल दिमाग में यही था कि यह करूंगी कैसे? लेकिन मैंने यह कभी नहीं सोचा कि यह मैं नहीं कर पाऊंगी। सपने जैसा था। लेकिन मैंने सपना देखा और पूरे करने के रास्ते ढूंढे। हां, थोड़ा सा डर था कि इसमें मेरा कोई बैकग्राउंड नहीं है। इससे कोई कनेक्शन नहीं है। लेकिन यह सब ज्यादा सोचने के बजाय मैंने यह सोचा कि यह करना कैसे है? आगे कैसे बढ़ना है? किस तरीके से मैं अपने सपनों तक पहुंच सकती हूं? रास्ते ढूंढने पर मैंने ज्यादा ध्यान लगाया, ना कि एक्सक्यूज ढूंढने और कारण गिनाने में। फिर मिस वर्ल्ड के बारे में 2 साल पहले तब पता चला जब मानुषी छिल्लर ने मिस वर्ल्ड का क्राउड जीता था। मेरा मकसद फीमेल ओपिनियन के लिए मंच पाना था। और इससे बेहतर मंच कोई नहीं हो सकता जहां से आप दुनिया की महिलाओं की आवाज बन सको। फिर मिस वर्ल्ड को लेकर एक-एक चीज को जाना। सभी मिस वर्ल्ड को पढ़ा और उनके बारे में जाना। इसके बाद तैयारी शुरू हुई। आज मैं महिलाओं को लेकर जिस प्रोजेक्ट पर काम कर रही उसमें हजारों महिलाएं जुड़ी हैं। अब ऐसा प्लेटफार्म मिला है जहां से महिलाओं की आवाज को अच्छे से उठा सकूंगी।’
(जैसा कि सुमन राव ने लंदन से
मुकेश महतो को बताया)
उसने अपना लक्ष्य और रास्ते खुद तलाशे और तय किए हैं - रतन सिंह राव
सुमन के पिता रतन सिंह राव ने भास्कर को बताया कि हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी बेटी कभी 130 देश की प्रतिनिधियों के बीच मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करेगी। सुमन ने अपना लक्ष्य और रास्ते खुद तलाशे और तय किए हैं। मुझे इस बात का फक्र है कि बेटी अपने दम पर दुनिया भर में देश का नाम कर रही है। एक पिता के लिए इससे बड़ी खुशी की बात और कुछ नहीं हो सकती।
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from Dainik Bhaskar /national/news/miss-world-2019-second-runnerup-suman-rao-126308961.html
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