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हर खिलाड़ी की जीत के पीछे बहुत लोग होते हैं, इसलिए मैं की जगह हम बोलना पसंद है: मारिन

लखनऊ (अभिषेक त्रिपाठी). स्पेन की बैडमिंटन स्टार कैरोलिना मारिन ने सैयद मोदी इंटरनेशनल टूर्नामेंट में महिला सिंगल्स खिताब जीता। वे पहली बार चैंपियन बनीं हैं। मारिन ने भी कहा- ‘भारत में खेलना तो मुझे हमेशा ही अच्छा लगता है। यहां की ऑडियंस बहुत चियर करती है। अभी अगले साल ओलिंपिक खेल लूं, फिर प्रीमियर बैडमिंटन लीग (पीबीएल) में खेलने आने के बारे में भी सोचती हूं।’ मारिन सोशल साइट पर या फिर खेल के बारे में बात करते हुए हमेशा I की जगह We लिखती हैं। वे इसकी वजह बताती हैं- खिलाड़ी की जीत के पीछे बहुत लोग होते हैं, इसलिए मैं की जगह हम बोलना पसंद करती हूं। उनकी टीम में 8-10 लोग हैं। मारिन ने और भी बातें कीं। उनमें से कुछ प्रमुख बातें-

मेरे वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद स्पेन में बैडमिंटन खासा पाॅपुलर हुआ है

जीतना तो हमेशा ही अच्छा लगता है। लेकिन एक बात का हमेशा जिक्र करती रहती हूं कि हर खिलाड़ी की हर एक जीत के पीछे बहुत बड़ी टीम होती है। इसलिए अपने खेल के बारे में बात करते हुए मैं से ज्यादा हम का इस्तेमाल करती हूं। मैं तो सिर्फ कोर्ट पर खेलती हूं, लेकिन मेरी टीम बहुत मेहनत करती है। इनमें मेरे दो साइकॉलजिस्ट शामिल हैं। एक निजी जिंदगी में मेरी मदद करते हैं, दूसरे खेल के लेवल पर। इसके अलावा टेक्निकल असिस्टेंट, फिजियो, वीडियो टीम भी साथ काम करती है। इंजरी के बाद कोर्ट पर वापस आने में इन सबने मेरी मदद की। इंजरी के दौरान बैडमिंटन को मिस तो कर रही थी, लेकिन कोर्ट पर आने की जल्दी नहीं थी। जानती हूं कि चीजें वक्त लेती हैं। मेरा ध्यान रिहैब प्रोसेस पर था। प्रोसेस सही होगा, तो परफॉर्मेंस, रैंकिंग सब चीजें सही रहेंगी।


अब कोर्ट पर वापस आकर अच्छा लग रहा है। खासकर भारत में खेलकर। यहां खेलना हमेशा ही अच्छा लगता है। अभी अगले साल ओलिंपिक खेलने पर फोकस है। उसके बाद मैं अपनी टीम से बात करके और फिटनेस को देखते हुए पीबीएल खेलने के बारे में भी सोचूंगी। भारत में यूं भी खेल को लेकर कई चीजें आसान हैं। स्पेन जैसा देश जहां फुटबॉल और टेनिस का खासा क्रेज है, वहां बैडमिंटन प्लेयर के तौर पर करिअर शुरू करना आसान नहीं होता। लेकिन भारत में चीजें अलग हैं। वैसे जबसे मैंने बड़े-बड़े टूर्नामेंट में मेडल जीते हैं, तबसे वहां भी बैडमिंटन का कल्चर पॉपुलर हुआ है। अब तो हम नेशनल सेंटर बनाकर खिलाड़ी तैयार कर रहे हैं। नए खिलाड़ी भी अब इससे जुड़ रहे हैं। (साइना नेहवाल, पीवी सिंधु में मुश्किल कौन पूछने पर) ये सवाल मुश्किल है। दोनों जबरदस्त खिलाड़ी हैं। खेल में हर खिलाड़ी का अच्छा-बुरा दिन होता है। जब इनका अच्छा दिन हो तो ये किसी को भी हरा सकती हैं।

मारिन का चोट के बाद वापसी करते हुए दूसरा खिताब
ओलिंपिक चैंपियन मारिन ने थाईलैंड की फितियापोर्न चाईवान को 21-12, 21-16 से हराया। मारिन 40 मिनट में जीत गईं। यह उनका चोट के बाद वापसी करते हुए दूसरा खिताब है। इससे पहले, वे सितंबर में चाइना ओपन चैंपियन बनी थीं। मारिन जनवरी में इंडोनेशिया मास्टर्स के फाइनल के दौरान चोटिल हो गई थीं। इसके बाद वे 7 महीने कोर्ट से दूर थीं। वहीं, पुरुष सिंगल्स में सौरभ वर्मा रनरअप रहे। वर्ल्ड नंबर-36 सौरभ को फाइनल में आठवीं सीड ताइपे के वांग जू वेई से 15-21, 17-21 से हार का सामना करना पड़ा। सौरभ 48 मिनट में हार गए। जू वेई और सौरभ के बीच तीन मुकाबले खेले गए हैं। जू वेई ने दूसरी बार सौरभ को हराया। मारिन और जू वेई ने पहली बार इस टूर्नामेंट में खिताब जीते हैं। मिक्स्ड डबल्स रूस की जोड़ी ने, महिला डबल्स कोरिया की जोड़ी ने और पुरुष डबल्स चीन की जोड़ी ने जीता।



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There are many people behind every player's win, so instead of me we like to speak: Marin


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