
वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प देश के इतिहास में तीसरे ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं, जिन पर संसद के निचले सदन (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) में महाभियोग की कार्रवाई की गई। ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग के लिए सदन में दो प्रस्ताव पेश किए गए थे। पहले प्रस्ताव में ट्रम्प पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप था। दूसरे प्रस्ताव में उनके खिलाफ महाभियोग सुनवाई के दौरान संसद के काम में अड़चन डालने का आरोप लगाया गया। दोनों ही प्रस्तावों पर वोटिंग के दौरान डेमोक्रेट्स ने ट्रम्प के खिलाफ और रिपब्लिकन ने ट्रम्प के पक्ष में वोटिंग की।
जब संसद में ट्रम्प के महाभियोग पर वोटिंग चल रही थी, तब वह मिशिगन के बैटल क्रीक में सभा को संबोधित कर रहे थे। यहां उन्होंने कहा, “हम लोगों के लिए नौकरियां पैदा कर रहे हैं और मिशिगन के लोगों के लिए लड़ रहे हैं। वहीं कट्टरपंथी और वामपंथी कांग्रेस (संसद) मेरे खिलाफ ईर्ष्या, नफरत और गुस्से से भरी है। आप देख रहे हैं क्या हो रहा है।
आगे क्या...
ट्रम्प सीनेट में महाभियोग प्रस्ताव का सामना करने वाले तीसरे राष्ट्रपति होंगे
- 1868 में अमेरिकी राष्ट्रपति एंड्रू जॉनसन के खिलाफ अपराध और दुराचार के आरोपों पर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में महाभियोग प्रस्ताव पास हुआ। उनके खिलाफ संसद में आरोपों के 11 आर्टिकल्स पेश किए गए। हालांकि, सीनेट में वोटिंग के दौरान जॉनसन के पक्ष में वोटिंग हुई और वे राष्ट्रपति पद से हटने से बच गए।
- 1998 में बिल क्लिंटन के खिलाफ भी महाभियोग लाया गया था। उन पर व्हाइट हाउस में इंटर्न रही मोनिका लेवेंस्की ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। उन्हें पद से हटाने के लिए हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में मंजूरी मिल गई थी, लेकिन सीनेट में बहुमत नहीं मिल पाया।
- वॉटरगेट स्कैंडल में पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन (1969-74) के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई होने वाली थी, लेकिन उन्होंने पहले ही इस्तीफा दे दिया। उन पर अपने एक विरोधी की जासूसी का आरोप लगा था।
ट्रम्प पर शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप
ट्रम्प पर आरोप है कि उन्होंने दो डेमोक्रेट्स और अपने प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए यूक्रेन पर दबाव डाला था। निजी और सियासी फायदे के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए 2020 राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने पक्ष में यूक्रेन से विदेशी मदद मांगी थी। जांच कमेटी के सदस्यों ने कहा था कि ट्रम्प ने राष्ट्रपति चुनाव की अखंडता को कमजोर किया। उन्होंने अपने पद की शपथ का भी उल्लंघन किया। अमेरिका की संवैधानिक प्रणालियों जैसे जांच और संतुलन, शक्तियों का पृथक्ककरण और कानून के नियमों को चुनौती दी।
प्रतिनिधि सभा में वोटिंग के बाद प्रस्ताव को सीनेट में भेजा जाएगा
प्रतिनिधि सभा में वोटिंग के बाद यह तय किया जाएगा कि ट्रम्प पर लगे आरोपों को स्वीकार किया जाए। साथ ही उन्हें पद से हटाने का मामला चलाने के लिए रिपब्लिकन के नेतृत्व वाली सीनेट में भेजा जाए या नहीं। 435 सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा में महाभियोग प्रस्ताव के पारित होने की उम्मीद है। क्योंकि, यहां डेमाक्रेट्स बहुमत में हैं। हालांकि, 100 सीटों वाली सीनेट में 53 पर रिपब्लिकन है। ऐसे में महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की उम्मीद कम ही है। क्योंकि राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी।
लोगों ने ट्रम्प के खिलाफ रैलियां निकाली
प्रतिनिधि सभा में महाभियोग प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले लोगों ने ट्रम्प के खिलाफ रैलियां निकाली। ये रैलियां वॉशिंगटन डीसी से न्यूयॉर्क सिटी और सेंट पॉल मिनेसोटा से फीनिक्स (एरिजोना) तक निकाली गईं। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने ट्रम्प पर महाभियोग चलाए जाने की मांग की। लोगों के हाथों में ‘कानून से ऊपर कोई नहीं’ जैसे स्लोगन थे।
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