
कानपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को उत्तर प्रदेश के कानपुर दौरे पर आएंगे। वे यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ गंगा नदी व एशिया के सबसे बड़े नाले सीसामऊ में नौकायान करेंगे। इससे पहले प्रधानमंत्रीनेशनल गंगा कांउसिल (एनसीजी) की पहली बैठक में हिस्सा लेंगे,जिसमें 12 केंद्रीय मंत्री, नौ केंद्रीय विभागों के सचिव, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के मुख्यमंत्री शामिल होंगे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास को भी इस बैठक में आमंत्रित किया गया है, लेकिन दोनों की तरफ से बैठक में शामिल होने या न होने की सूचना नहीं भेजी गई है।
कानपुर में 4 घंटे रहेंगे मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विमान सुबह चकेरी हवाई अड्डे पर उतरेगा। वहां से पीएम मोदी हेलीकॉप्टर के जरिए चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय पहुंचेंगे। यहां राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक होगी। बैठक बाद पीएम मोदी, यूपी के सीएम के साथ अटल घाट रवाना होंगे। यहां से पीएम जाजमऊ तक गंगा नदी में नौकायान कर नमामि गंगे परियोजना के प्रभाव का निरीक्षण करेंगे। इसके लिए प्रयागराज से डबल डेकर मोटर बोट मंगाई गई है। पीएम कानपुर में करीब चार घंटे रहेंगे।
सबसे ज्यादा कानपुर में प्रदूषित गंगा
गोमुख से गंगा सागर तक 2071 किमी भूभाग में प्रवाहित होने वाली गंगा नदी का कानपुर में पड़ने वाला हिस्सा सबसे अधिक प्रदूषित माना जाता है। कानपुर में होने वाली इस बैठक से सरकार संदेश देना चाहती है कि, वे नमामि गंगे परियोजना के प्रति गंभीर हैं। कारण भाजपा के एजेंडे में राम मंदिर की तरह गंगा व उसकी सहायक नदियों को अविरल बनाना शामिल है। प्रधानमंत्री यहां नमामि गंगे परियोजना को लेकर कुछ घोषणाएं कर सकते हैं।
सीसामऊ नाले को किया गया स्वच्छ
कानपुर में सीसामऊ नाला एशिया के सबसे बड़ा और 128 साल पुराना है। नमामि गंगे परियोजना के तहत इसे साफ किया गया है। इसका निर्माण अंग्रेजों ने शहर के सीवर को बाहर निकालने के लिए किया था। करीब 40 मोहल्लों से सीसामऊ नाले से प्रतिदिन 14 करोड़ लीटर प्रदूषित पानी गंगा में गिरता था। अब नमामि गंगे परियोजना के तहत 28 करोड़ रुपए की लागत से सीसामऊ नाले को पूरी तरह से टैप कर दिया गया है। सीसामऊ नाले को डायवर्ट कर वाजिदपुर और बिनगवां ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जा रहा है। इसकी मॉनिटरिंग खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे थे। शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि कानपुर में नदी में सभी 16 नालों से बहने वाले 300 एमएलडी को गुरुवार रात से स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
क्या है नमामि गंगे प्रोजेक्ट
गंगा व इसकी सहायक नदियों के प्रदूषण खत्म करने और नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए 2014 में केंद्र सरकार ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इसे धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प को दी गई है। परियोजना की अवधि 18 साल है। सरकार ने 2019-2020 तक नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने बजट निर्धारित किया था।
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