मॉस्को. रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने स्वतंत्र पत्रकारों और ब्लॉगरों को विदेशी एजेंट घोषित किए जान वाले एक विवादित कानून पर सोमवार को हस्ताक्षर कर दिया। आलोचकों का कहना है कि यह मीडिया की स्वतंत्रता का स्पष्ट उल्लंघन है। इस कानून के माध्यम से ब्रांड मीडिया संगठनों और एनजीओ को विदशी एजेंट को ठप्पा दिलाने की शक्ति सरकारी अधिकारियों को प्रदान किया जाता है। रूस ने सबसे पहले 2017 में मीडिया संगठनों को विदेशी एजेंट घोषित किए जाने संबंधी कानून पारित किया था।
रूसी सरकार की वेबसाइट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, नए कानून के तहत अब स्वतंत्र पत्रकारों को भी तत्काल प्रभाव से विदेशी एजेंट घोषित किया जा सकता है। विदेशी एजेंट उसे कहा जाता हैजो विदेशों से धन प्राप्त करेगा और देश की राजनीति में शामिल रहेगा। यह साबित होने पर इन्हें विदेशी एजेंट का टैग दिया जाएगा। इसके बाद इन्हें इस संबंध में एक विस्तृत दस्तावेज सरकार को सौंपना होगा, नहीं तो इन पर जुर्माना लगेगा।
नए कानून से मीडिया और विपक्ष की आवाज बंद करने की कोशिश: एनजीओ
एमनेस्टी इंटरनेशनल और रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स समेत कुल नौ मानवाधिकार संगठनों ने नए कानून के प्रभाव में आने पर अफसोस जताया है। इनका कहना है कि इसमें किए गए संशोधनों से न सिर्फ पत्रकारों को बल्कि ब्लॉगरों और इंटरनेट यूजर्स को भी निशाना बनाया गया है। इंटरनेट यूजर्स विभिन्न मीडिया आउटलेट से स्कॉलरशिप और सहायता राशि हासिल करते हैं। पिछले महीने कई एनजीओ ने एक संयुक्त बयान में कहा था कि इस कानून के माध्यम से स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया पर प्रतिबंध लगाने और विपक्ष की आवाज को बंद करने का काम किया जाएगा।
अमेरिका ने रूस समर्थित एक टेलीविजन के विदेशी एजेंट घोषित किया था
रूस का कहना है कि जिस तरह पश्चिमी देशों में पत्रकारों को विदेशी एजेंट कहा जाता है, यह कानून ठीक उसी प्रकार लागू किया गया है। रूस ने यह कदम तब उठाया जब अमेरिका ने रूस समर्थित एक टेलीविजन को विदेशी एजेंट घोषित किया था। रूस के विपक्षी नेता एलेक्सी नवालनी के संगठन को विदेशी एजेंट कहा जाने लगा।
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