लखनऊ. 6 दिसंबर 1992 को उत्तरप्रदेश की सियासत ने अचानक करवट बदल ली थी। कारसेवकों की बेकाबू भीड़ ने यहां का ढांचा गिराया था। ढांचा गिरने के साथ उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों की सरकारें भी गिर गई थीं। कारसेवा करने के लिए पहुंचे लोगों को जब उनके नेताओं ने बताया कि वह यहां सिर्फ चबूतरे की धुलाई-सफाई करेंगे तो वह भड़क गए और ढांचे पर चढ़कर उसे गिराने लगे। उस दिन अयोध्या में रिपोर्टिंग करने पहुंचे पत्रकार बताते हैं कि 5 दिसंबर की शाम को ही तय हो गया था कि कारसेवक ढांचा गिरा देंगे।
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