
नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन विधेयक पर देशभर में जारी बहस के बीच शरणार्थियों की संख्या को लेकर दो अलग-अलग आधिकारिक आंकड़े हैं। पहला आंकड़ा संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जनवरी 2019 की रिपोर्ट में है। इसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो ने कहा था कि विधेयक के कानून बन जाने के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए 31,313 अल्पसंख्यक शरणार्थियों काे तुरंत भारत की नागरिकता मिल जाएगी। वहीं, दूसरा आंकड़ा मार्च 2016 का है, जो तत्कालीन गृह राज्य मंत्री किरणरिजिजू ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया था। इसमें कहा गया था कि 31 दिसंबर 2014 की स्थिति के अनुसार इन तीनों देशों से आए शरणार्थियों की संख्या 1 लाख 16 हजार 85 है। इस रिपोर्ट में शरणार्थियों के धर्म का जिक्र नहीं किया गया था। अगर गृह मंत्रालय के आंकड़ों में से आईबी के अल्पसंख्यक शरणार्थियों के आंकड़ों को घटा दें तो माना जा सकता है कि देश में रह रहे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए 84,772 (यानी 1,16,085-31,313) शरणार्थी मुस्लिम हैं।
जेपीसी की जनवरी 2019 की रिपोर्ट : तीन देशों के 31,313 शरणार्थी लॉर्न्ग टर्म वीजा पर
संसद ने 2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक को जेपीसी के पास भेजा था। इसमें लोकसभा से 19 और राज्यसभा से 9 सदस्य थे। आईबी और रॉ के प्रतिनिधियों को भी इसमें शामिल किया गया था। समिति के अध्यक्ष भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल थे। जेपीसी की रिपोर्ट को 7 जनवरी 2019 को संसद में पेश किया गया। इसमें आईबी की तरफ से कहा गया कि नागरिकता संशोधन विधेयक के लागू होते ही पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए 31,313 शरणार्थियों को तुरंत भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। ये ऐसे लोग हैं, जो अपने देश में धार्मिक आधार पर प्रताड़ना का शिकार हुए और इसी आधार पर भारत ने उन्हें लॉन्ग टर्म वीजा दिया। इन 31,313 शरणार्थियों में 25,447 हिंदू हैं। दूसरे नंबर पर सिख हैं, जिनकी संख्या 5807 है। ईसाई 55, पारसी और बौद्ध 2-2 हैं।
गृह मंत्रालय का संसद में मार्च 2016 में दिया जवाब : तीन देशों के एक लाख से ज्यादा शरणार्थी भारत में
लोकसभा के छह सांसदों ने शरणार्थियों की संख्या पर सवाल किया था। 1 मार्च 2016 को तत्कालीन गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इसका जवाब दिया था। उन्होंने 31 दिसंबर 2014 के स्थिति के अनुसार देश के राज्यों में रह रहे शरणार्थियों की संख्या के बारे में बताया था। इसके मुताबिक, देश में 2,89,394 शरणार्थी थे, जिनमें से 1,16,085 शरणार्थी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए थे। हालांकि, तत्कालीन मंत्री के जवाब में यह नहीं बताया गया था कि ये शरणार्थी किस धर्म के हैं।
पड़ोसी देशों में बांग्लादेश से सबसे ज्यादा शरणार्थी भारत आए
देश | शरणार्थियों की संख्या |
पाकिस्तान | 8,799 |
बांग्लादेश | 1,03,817 |
अफगानिस्तान | 3,469 |
म्यांमार | 12,434 |
श्रीलंका | 1,02,467 |
तिब्बत | 58,155 |
(आंकड़े 31 दिसंबर 2014 की स्थिति के अनुसार)
सबसे ज्यादा शरणार्थी तमिलनाडु में, छत्तीसगढ़ दूसरे नंबर पर
राज्य | शरणार्थियों की संख्या |
तमिलनाडु | 1,02,478 |
छत्तीसगढ़ | 62,890 |
महाराष्ट्र | 47,663 |
कर्नाटक | 34,348 |
जम्मू-कश्मीर | 10,538 |
बिल पर सबसे ज्यादा विरोध और विवाद असम और बंगाल में, लेकिन यहां सिर्फ 13 और 21 शरणार्थी
असम के राजनीतिक दलों का कहना है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बनने के बाद उनकी पहचान, भाषा और संस्कृति खतरे में पड़ जाएगी। हालांकि, किरेन रिजिजू के मार्च 2016 के जवाब में कहा गया था कि 31 दिसंबर 2014 की स्थिति के अनुसार असम में सिर्फ 13 शरणार्थी ही रह रहे थे। वहीं, पांच साल बाद जब राज्य में नेशनल सिटीजन रजिस्टर तैयार किया गया तो उसकी अंतिम लिस्ट से भी 19,06,657 लोग बाहर थे। हालांकि, इनमें दूसरे राज्यों के ऐसे लोग भी थे जो अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए। उधर, पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भी बिल का विरोध किया। वहां 31 दिसंबर 2014 से पहले सिर्फ 21 शरणार्थी थे। जबकि बांग्लादेश से भारत आने वाले शरणार्थियों की संख्या 1,03,817 है।
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