
पटना/भोपाल/जयपुर.सांसद, जो कानून बनाते हैं और जज, जो कानून के तहत सजा देते हैं, दोनों पक्ष हर दुष्कर्मी को फांसी दिए जाने पर अलग-अलग मत रखते हैं। लेकिन, सभी ऐसी घटनाओं का बड़ा कारण बन रही पोर्न साइट्स पर बैन लगाने के लिए सख्त कानून बनाने के पक्षधर हैं।
भास्कर ने गुरुवार को अलग-अलग राज्यों के 48 सांसदों और 22 रिटायर्ड जजों से इस विषय पर बात की। सभी ने कहा- ‘‘पोर्न साइटों को बिना सख्त कानून के बैन करना नामुमकिन है। इसलिए अब ऐसा कानून बनाने का वक्त आ गया है कि देश में पोर्न साइट्स चलाने वाली कंपनियों-फर्मों को कड़ी सजा दी जाए। दूसरी ओर, सभी सांसदों का मानना है कि दुष्कर्म के हर दोषी को सिर्फ फांसी हो, वह भी एक साल के भीतर।’’ 52% रिटायर्ड जजों का मानना है कि हर दुष्कर्मी को फांसी देना सही नहीं होगा।
1. क्या हर दुष्कर्मी को फांसी होनी चाहिए?
सांसद:100% हां रिटायर्ड जज: 52% नहीं
सांसद रमेश बिधूड़ी, गौतम गंभीर, वैद्यनाथ प्रसाद महतो, चुन्नीलाल साहू और अरुण मीणा ने कहा कि उन्नाव जैसे मामलों का संदेश यही है कि हर दुष्कर्मी का एक ही अंजाम होना चाहिए- फांसी।
2. केस की सुनवाई शुरू होने से सजा पर अमल तक की अवधि कितनी होनी चाहिए?
सांसद: 6 माह-1 साल रिटायर्ड जज: 10 माह-1 साल
पटना हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आरएन प्रसाद, नागेंद्र राय ने कहा- सजा पर अमल 10 माह में हो। मप्र हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज कृष्ण त्रिवेदी ने कहा- गिरफ्तारी के बाद 45 दिन में फांसी हो।
3. क्या रेप केसों के विशेष कोर्ट होने चाहिए? पोर्न साइट्स पर बैन का कानून होना चाहिए?
सांसद: 100% हां रिटायर्ड जज: 100% हां
2 अहम फैसले:
- उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने गुरुवार को 14 सदस्यीय समूह बनाया, जो अश्लील कंटेंट रोकने के उपाय सुझाएगा।
- सरकार ने देश के सभी पुलिस थानों में महिला हेल्प डेस्क बनाने के लिए निर्भया फंड से 100 करोड़ रुपए घोषित किए।
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