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ब्रिटेन में छात्र और किरायेदार रेंट स्ट्राइक पर, कहा- लॉकडाउन में किराया कैसे चुकाएं, हमारे लिए संघर्ष जीवन बचाने का है

लंदन के टर्नपाइक लेन स्टेशन के बाहर लिखा है- अब से किराए की हड़ताल। लंदन की ज्यादातर सड़कों के किनारे ऐसे ही संदेश लिखे हैं। यह हड़ताल उन छात्रों की है, जिनके लिए जीवन यापन का संघर्ष बना हुआ है और वे किराया चुका पाने की स्थिति में नहीं हैं। छात्रों के विरोध में अब सामान्य किराएदार भी शामिल हो गए हैं।

किराया न चुका पाने से जूझ रहे कुछ छात्र अपने दूसरे साथियों के साथ शिफ्ट हो गए हैं, जहां मकान मालिक अब दोगुना किराया मांग रहे हैं। इसके चलते लंदन में रेंट स्ट्राइक या किराए की हड़ताल शुरू हो गई है, जिसमें हजारों लोग शामिल हो चुके हैं। जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग है कि लॉकडाउन खत्म होने तक उन्हें किराए से छूट मिले।

छात्रों ने कहा- हमने मकान मालिकों से बातचीत शुरू की है

छात्रों के मुताबिक, हमारे लिए यह समय जीवन बचाने का है। इन्होंने अपने मकान मालिकों के साथ किराया कम करने या बिल्कुल न लेने के लिए बातचीत भी शुरू की है।24 साल के एक कनाडाई छात्र ने कहा, ‘हम उन छात्रों के लिए लड़ रहे हैं, जो यूनिवर्सिटी से निकाले गए हैं और बाहर किराए पर रह रहे हैं। उनके लिए भी लड़ रहे हैं, जिनकी नौकरियां चली गई हैं और उनके लिए भी जिन्हें अपने परिवार को बचाने के लिए सेल्फ आइसोलेट होना पड़ा है।’

निजी मकान मालिकों ने किराया माफ करने से इनकार कर दिया
हालांकि, ज्यादातर यूनिवर्सिटी में अंतिम वर्ष के छात्रों का किराया माफ कर दिया है, लेकिन निजी मकान मालिकों ने किराया माफ करने से इनकार कर दिया है। आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ 19 प्रतिशत छात्र ही यूनिवर्सिटी कैंपस में इस वक्त रह रहे हैं। वहीं, हाउसिंग एसोसिएशन सेंचुरी के प्रवक्ता का कहना है कि हमें पता है कि छात्रों और अभिभावकों में नाराजगी है, लेकिन हम सिर्फ छात्रों को छूट नहीं दे सकते।

बाहरी छात्रों पर ज्यादा असर

सबसे ज्यादा दिक्कत उन छात्रों को हैं, जिन्होंने स्टूडेंट लोन लिए हैं। मेंटेनेंस लोन लेने वाले भी पीड़ित हैं, क्योंकि उसमें मकान किराया शामिल नहीं होता। विदेशी छात्र, जो पार्ट टाइम काम कर खर्चे पूरे करते थे, उनके लिए मकान किराया चुका पाना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि उनकी आय बंद हो गई है। कनाडा से आई छात्रा टामा नाईट कहती हैं, हमें यूनिर्वसिटी, मकान मालिकों और सरकार ने अकेला छोड़ दिया है, ऐसे में हम कैसे इन हालातों से निपटें।



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आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ 19 प्रतिशत छात्र ही यूनिवर्सिटी कैंपस में इस वक्त रह रहे हैं।


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