World Wide Facts

Technology

पिछले एक साल से बंद है कश्मीर की रेल, हर दिन 3 लाख का नुकसान, 1000 कर्मचारियों को घर बैठे 8 महीने में 24 करोड़ रु सैलरी दी

कश्मीर घाटी में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए 2017 में उस समय के रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने कहा था कि यहां 'विस्टाडोम' कोच चलाए जाएंगे। तीन साल से ज्यादा का वक्त गुजर गया है, कोच तो दूर की बात है, कश्मीर में रेल सेवाएं पिछले एक साल में 8 महीने से ज्यादा समय तक बंद रहीं और अभी भी ठप्प ही पड़ी हैं।

इससे विभाग को करोड़ों रुपए का घाटा हो रहा है। इधर जम्मू कश्मीर के प्रशासन को भी एक हजार से ज्यादा रेलवे कर्मचारियों को हर महीने करोड़ों रुपए सैलरी के रूप में देना पड़ रहा है। घाटी में जो रेल सेवाएं चल रही हैं, वह जम्मू से कश्मीर के बीच की रेल सेवाओं का तीसरा और आखिरी चरण है।

पहला जम्मू-उधमपुर है, दूसरा उधमपुर-बनिहाल (जो अभी तक शुरू नहीं हुआ है) और तीसरा बनिहाल-बारामूला, जो आंशिक रूप से 2008 में शुरू हुआ था और अभी भी जारी है। बनिहाल-बारामूला रेल लाइन कुल 135 किमी की है। कश्मीर में 19 स्टेशन हैं, जिसमें से 9 दक्षिण कश्मीर में बनिहाल और श्रीनगर के बीच हैं।

दक्षिण कश्मीर में कभी प्रदर्शन तो कभी एनकाउंटर को लेकर आए दिन बनिहाल और श्रीनगर के बीच रेल सेवाएं रोक दी जाती थीं।

बनिहाल-बारामूला रेल लाइन कुल 135 किमी की है। कश्मीर में 19 स्टेशन हैं, जिसमें से 9 दक्षिण कश्मीर में बनिहाल और श्रीनगर के बीच हैं।

एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने बताया कि पिछले साल 4 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाए जाने से एक दिन पहले जब यहां लॉकडाउन लगा, तो प्रशासन ने रेल सेवाएं बंद कर दीं। और अभी कोरोना के चलते लॉकडाउन लगा तो सिर्फ दक्षिण कश्मीर में ही नहीं, बल्कि पूरे कश्मीर में ही रेल सेवा बंद कर दी गईं।

रेलवे अधिकारी कहते हैं कि पिछले साल 11 नवंबर को रेल सेवा शुरू करने की अनुमति मिली। जिसके बाद 4 महीने तक बिना किसी पाबंदी के ट्रेनें चलती रहीं, लेकिन इस साल 20 मार्च को कश्मीर घाटी में कोरोना न फैले, इसलिए लॉकडाउन लगा दिया गया और फिर से रेल सर्विस बंद हो गई।

तब से लेकर अभी तक हम बस बैठे रहते हैं, दफ्तर में गप्पे लड़ाते हैं और शाम को घर वापस लौट जाते हैं। रेलवे अधिकारी ने बताया कि एक दिन ट्रेन बंद रहने के चलते विभाग को करीब 3 लाख रुपए का घाटा होता है।

साल 2016 में यहां ट्रेन सेवा करीब 4 महीने बंद रही, फिर 2017 में 56 दिन और 2018 में 40 दिन।

गर्मी के दिनों में रेवेन्यू 3 लाख से ज्यादा होता है। कुल मिलाकर सिर्फ रेवेन्यू की बात करें तो अभी तक इन 8 महीनो में 7.2 करोड़ का घाटा विभाग को उठाना पड़ा है। यह घाटा विभाग को गर्मियों में 26 ट्रेन और सर्दियों में 24 ट्रेन न चलाने से उठाना पड़ा है। इससे पहले साल 2016 में ट्रेन सेवा करीब 4 महीने बंद रही, फिर 2017 में 56 दिन और 2018 में 40 दिन रेल सेवा बंद रही।

इसके अलावा ऊपर से वो घाटा भी है जो रेलवे को हर महीने देना पड़ता है, वेतन के रूप में। कश्मीर घाटी में रेलवे के 2800 कर्मचारी हैं। इनमें 25 ऐसे लोग हैं जो हर महीने करीब 1.5 लाख रुपए सैलरी लेते हैं। 1800 ऐसे कर्मचारी हैं जो महीने के 80 हजार रुपए और 600 ऐसे हैं जो 30 हजार सैलरी लेते हैं। कुल मिलाकर करीब 126 करोड़ रुपए होता है जो विभाग को यहां सैलरी पर खर्च करने पड़ते हैं।

कश्मीर घाटी में रेलवे के 2800 कर्मचारी हैं। करीब 126 करोड़ रुपए विभाग को इन्हें वेतन के रूप में देना पड़ता है।

इन सब कर्मचारियों के अलावा एक हजार लोग और हैं, जो स्थानीय हैं और इन्हें विभाग में नौकरी इसलिए मिली थी, क्योंकि इनकी जमीनें रेल लाइन बिछाते वक्त ली गईं थीं। इन लोगों का वेतन जम्मू कश्मीर की सरकार की तरफ से आता है। सूत्र बताते हैं कि यह लोग महीने के करीब 30 हजार रुपए सैलरी के रूप में लेते हैं। इस हिसाब से ये महीने के 3 करोड़ और बीते 8 महीने में 24 करोड़ रुपए होता है। इस सब के अलावा अलग से मेंटेनेंस का खर्च भी करोड़ों रुपए का है।

कश्मीर में एनकाउंटर और विरोध प्रदर्शनों की वजह से भी रेल सेवा रोकनी पड़ती है। इससे भी विभाग को करोड़ों रुपए का घाटा होता है।

अधिकारी बताते हैं कि 2017-18 में प्रदर्शनों के चलते रेलवे लाइंस से करीब 1.5 लाख इलास्टिक रेल क्लिटस (ईआरसी) निकाल लिए गए थे, जो एक 55 रुपए का मिलता है। इस छोटी सी चीज के पीछे भी रेलवे के 82 लाख रुपए खर्च हुए थे। अगर 2016, 2017 और 2018 में प्रदर्शनों के चलते रेलवे को हुए नुकसान का हिसाब लगाएं, तो वो भी करोड़ों में बैठता है। हालांकि, इस समय प्रदर्शन नहीं हो रहे हैं, फिर भी घाटा हो रहा है।

अधिकारियों की मानें तो अभी यह सेवाएं चालू होने की संभावना नहीं दिखती है। इधर कश्मीर में पर्यटन भी लगभग बंद है और 'विस्टाडोम' जैसी चीजें, जो कश्मीर में रेलवे विभाग का रेवेन्यू बढ़ा सकती थीं, उसे शुरू करने का भी कोई मतलब नहीं बनता है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
जम्मू कश्मीर में आए दिन ट्रेन सेवा बाधिर रहती है। पिछले साल आर्टिकल 370 हटाए जाने वक्त तीन महीने रेल सेवा ठप रही और फिर कोरोना के चलते इस साल मार्च में रेल सेवा बंद किया गया जो अभी तक शुरू नहीं हो सकी है।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2EGsyfP
Share:

0 Comments:

Post a Comment

Blog Archive

Definition List

header ads

Unordered List

3/Sports/post-list

Support

3/random/post-list