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मजबूरी को-रोना: अस्पताल परिसर में 100 से ज्यादा परिजन रोज ऐसे ही सोते हैं; झारखंड में बस सेवा चालू नहीं होने से सीटों पर घास उग आई

रायपुर के डीकेएस अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन ऐसे ही रोज एम्बुलेंस पार्किंग शेड के नीचे सोते हैं। कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग के नियम-कायदे के बीच भी कोई आश्रय व व्यवस्था नहीं हैं। करीब 100 करोड़ रुपए खर्च कर बने इस अस्पताल में ऐसे ही 100 से ज्यादा मरीजों के परिजन रात बिताते हैं।

पहाड़ों पर बारिश से आदिबद्री में आया पानी

पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश से बुधवार को मैदानी इलाकों में अचानक पानी आ गया। पानी आबादी में नहीं, बल्कि यमुनानगर के आदिबद्री नारायण मंदिर के नजदीक से तेजी से बहने लगा है। इसमें एक युवक ट्रैक्टर समेत फंस गया। इसे ग्रामीणों की मदद से रस्सा बांधकर बाहर निकाला गया।

खड़ी बस का खर्च भी हर महीने 52 हजार

बिहार में बीते मंगलवार से बसों का परिचालन शुरू होने के बाद झारखंड में भी बस सेवा चालू करने की मांग तेज हो गई है। झारखंड में करीब 7500 बसों के चक्के 23 मार्च से ही थमे हुए हैं। झारखंड सरकार ने अनलॉक-3 में भी बसें चलाने की अनुमति नहीं दी है। स्थिति ऐसी है कि रोड टैक्स चुकाने के लिए बस ऑनरों को बैंकों से लोन की चिरौरी करनी पड़ रही है।

278 बस ऑनरों ने बैंकों में लोन के लिए अप्लाई किया है। इनमें से कुछ को लोन मिल चुका है, तो कुछ अपने कागजात ठीक करा रहे हैं। इनकी सबसे बड़ी पीड़ा है कि बसें नहीं चलने के बावजूद राज्य सरकार को हर तीन महीने पर अग्रिम रोड टैक्स भरना पड़ रहा है।

हरियाली ने बेजुबान चेहरों में जान फूंक दी

कहते हैं कुदरत के आगे किसी का बस नहीं चलता। वह अपने रंग खुद ही लोगों की जिंदगी पर चढ़ा देती है। ऐसा ही हुआ सेक्टर-10 में बनाए स्कल्पचर्स के साथ। यहां आर्ट्स कॉलेज में स्टूडेंट्स के बनाए स्कल्पचर पर कुदरत ने अपने रंग बिखेर दिए हैं। पीओपी से बने ये स्कल्पचर स्टूडेंट्स ने प्रैक्टिकल टेस्ट के लिए बनाए थे। इन्हें देखकर नए स्टूडेंट सीखते हैं कि इनमें क्या सही है और क्या गलत। अब हरियाली ने मानो इन बेजुबान चेहरों में जान सी फूंक दी है।

हथिनी ने मादा शावक को दिया जन्म

बेंगलुरु के बनेरघट्‌टा बॉयोलॉजिकल पार्क में सुवर्णा नामक हथिनी ने एक मादा शावक को जन्म दिया। पार्क के अधिकारियों ने शावक को इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधामूर्ति के नाम पर सुधा नाम दिया है। सुधामूर्ति ने 2016-17 में यहां जेब्रा, जिराफ और बाघों के रहने के लिए मदद की थी।

कॉलेज कैंपस में अयोध्या के राम मंदिर की झलक

इंदौर के खालसा कॉलेज में एबीवीपी ने बुधवार रात अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर की 21 हजार दीयों से प्रतिकृति बनाई। प्रतिकृति बनाने में कलाकार साहिल लहरी ने भी योगदान दिया। इसे 2 दिन में तैयार किया गया है। इसमें 100 लीटर तेल लगा और 30 मिनट में दीप जलाए गए।

बुजुर्ग की तबीयत बिगड़ी

धार से करीब 35 किमी दूर गांव भूरियाकुंड के 49 वर्षीय पूनिया पिता धन्ना को 15 दिन से बुखार आ रहा था। तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो परिजन उन्हें कपड़े की गठरी में 14 किमी दूर गांव केश्वी के निजी क्लिनिक लेकर पहुंचे। रास्ते में पहाड़ी नदी भी आई, जिसे पार करने के लिए परिवार के ही दो सदस्यों ने लकड़ी से गठरी को टांगा और पैदल ही उफनती नदी को पार किया।

न श्रद्धालुओं की भीड़, न सैलानियों का जोश

यह दिलकश नजारा है सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच बसे देश के प्रसिद्ध जैन तीर्थ बावनगजा का। हर साल की तरह बारिश के दिनों में इस बार भी पहाड़ी की खूबसूरती खिल गई है। फर्क है तो बस इतना कि इस बार यहां न श्रद्धालुओं की भीड़ है, न पर्यटकों की आवाजाही। दरअसल, इस साल कोरोना संक्रमण के कारण बावनगजा ट्रस्ट ने ही श्रद्धालुओं के आगमन पर रोक लगा दी है।

17,000 करोड़ लीटर पानी से भरी ‘सबसे लंबी’ पक्की नहर

यह दुनिया की सबसे लंबी पक्की सिंचाई नहर है, जिसमें अभी 17 हजार करोड़ लीटर यानी कि कुल क्षमता का 77% पानी है। गुजरात में तेज बारिश के कारण सरदार सरोवर डैम 75% भर गया है। इस डैम के पास से ही 458 किमी लंबी केनाल शुरू होती है। केनाल में इतना पानी है कि अहमदाबाद की सालभर और न्यूयार्क शहर की दो महीने की प्यास बुझा सकता है।

नर्मदा से जुड़े राज्यस्तरीय जलापूर्ति ग्रिड से प्रदेश की 75% आबादी को पीने का पानी पहुंचाया जाता है। नर्मदा नहर द्वारा प्रदेश के कोने-कोने में पहुंचने वाले पानी से 18 लाख हेक्टेयर यानी कि कुल कृषि योग्य क्षेत्र की 15% जमीन की सिंचाई होती है।

रबी की फसल के लिए इतना पानी पर्याप्त

सावन का महीना सूखा बीतने के बावजूद अच्छी खबर ये है कि मानसून अभी रूठा नहीं है। मप्र में हुई अच्छी बारिश से हाड़ौती के किसानों की किस्मत चमक गई है। कैचमेंट एरिया में लगातार बारिश से चंबल का सबसे बड़ा बांध गांधी सागर 81% फुल हो गया है। राणा प्रताप सागर बांध भी 77% पानी के साथ लबालब है।

इतना पानी रबी की फसल के लिए पर्याप्त है। अब खरीफ की फसल की सिंचाई के लिए केवल 8 इंच और बारिश की ही जरूरत है। गांधी सागर की पूर्ण भराव क्षमता 1312 फीट है। बांध में मंगलवार शाम को 1304.58 फीट का जलस्तर बना हुआ था। बांध में लगभग 9000 क्यूसेक पानी की आवक बनी हुई थी।



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Compulsion to cry: More than 100 relatives sleep in the hospital premises like this every day; Due to non-commissioning of bus service in Jharkhand, the seats grew grass


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