
हार्ट टू हार्ट की चाैथी कड़ी में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर से कॉमेडियन कपिल शर्मा ने बात की। उन्हाेंने जीवन में सफलता से लेकर सकारात्मकता हासिल करने जैसे कई सवाल किए। उन्हाेंने श्री श्री से जाना कि माेह और प्रेम में क्या अंतर है। मुख्य अंश...
सवाल: हम जीवन में सकारात्मकता चाहते हैं, लेकिन नकारात्मक चीजें ही क्याें आकर्षित करती हैं?
नकारात्मकता से ऊपर उठना ही हमारे लिए चुनाैती है। बच्चाें में ऐसी बात नहीं हाेती। उनमें हमेशा सकारामकता अधिक हाेती है। बड़े हाेकर हम नकारात्मकता में दिलचस्पी लेने लगते हैं, लेकिन यह ज्यादा दिन नहीं टिकती। हमें उसे नजरअंदाज कर देते हैं।
सवाल: किसी के पास बहुत है, कोई खाली हाथ?
यह लेनदेन की दुनिया है। किसी के पास देने के लिए है, ताे किसी काे लेना भी पड़ेगा। जिस तरह फिल्म में सब तरह के भूमिकाएं हाेती हैं, उसी तरह यह दुनिया है। ईश्वर फिल्म के डायरेक्टर हैं। वे साम्यवादी नहीं है, जाे सबकाे एक सा बना दें।
सवाल: क्या देर रात तक काम करना सही है?
रात में काम करने से काेई परेशानी नहीं, लेकिन जब भी जागें, 10 मिनट चिंतन, मनन, ध्यान करें। मैं इसे मेंटल हाइजीन कहता हूं। उठकर तुरंत काम में न लग जाएं। 10 मिनट अपने आपकाे देखें, परखें। इससे दिनभर उत्साह बना रहेगा।
सवाल: माेह और प्रेम एक ही है?
दाेनाें अलग-अलग हैं। प्रेम ताे हाेना चाहिए, लेकिन माेह नहीं। बेटी काे देखकर पिता में प्रेम उमड़े, ताे यह सही है। लेकिन यह साेचना कि 25-30 साल बाद वह ससुराल चली जाएगी, यह माेह है। इसे छाेड़ना चाहिए। अनुराग-प्रेम जीवन का अंग है, यह हाेना ही चाहिए।
सवाल: जीवन का मूल मंत्र क्या है?
हंसाे, हंसाओ। मत फंसाे और मत फंसाओ।
सवाल: सफल व्यक्ति काैन है?
दुख व्यक्ति काे गहराई देता है। इससे आप दूसराें का दुख समझ पाते हाे। जब सब ठीक चलता है, ताे मुस्कुराने वाले लाखाें लाेग हाेते हैं, लेकिन जब सब काम बिगड़े, तब भी हिम्मत न हारने वाला, मुस्कुराने वाला व्यक्ति ही सफल है।
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