(पेरी क्लास, एम.डी).काेराेना संक्रमण के दाैर में एक महीने में लाेगाें की जीवनशैली में शामिल हुए मास्क काे वयस्काें ने ताे अपना लिया है, लेकिन बच्चाें के लिए यह किसी खाैफ से कम नहीं है। कई बच्चाें काे यह डरा सकता है। मुखाैटाें से डरने वाले बच्चे मास्क काे लेकर ऐसी हीप्रतिक्रिया कर सकते हैं। ऐसे में बड़ा संकट है बच्चों को मास्क से परिचित करवाना।हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में साइकाेलाॅजी के लेक्चरर राेबर्टाे ओलिवर्डिया कहते हैं, ‘करीब एक प्रतिशत बच्चे मास्काफाेबिया से पीड़ित हाे सकते हैं। यह ऐसा डर है, जाे बच्चाें में छह महीने तक रह सकता है। यह काॅस्ट्यूम औरसुपरहीराे से भी जुड़ा हाे सकता है।’
हालांकि, कई बच्चे अपने माता-पिता काे मास्क पहने देखकर डर सकते हैं।
छाेटे बच्चाें में चेहरा पहचानने की शक्ति कम हाेती है- प्रो. कांग ली
बच्चाें के चेहरा पहचानने के काैशल के विकास का अध्ययन करने वाले टाेरंटाे यूनिवर्सिटी के प्राे. कांग ली के मुताबिक, मास्क से डरने का एक कारण चेहरा न पहचान पाना हाे सकता है। छाेटे बच्चाें में चेहरा पहचानने की शक्ति कम हाेती है। छह वर्ष की उम्र से बच्चाें में यह काैशल विकसित हाेता है। 14 वर्ष की उम्र तक वे वयस्काें जैसे काैशल तक पहुंच पाते हैं। छह वर्ष से कम उम्र के बच्चे किसी व्यक्ति के पूरे चेहरे काे पहचानने की बजाय चेहरे की किसी विशेषता से याद रखते हैं। जैसे नाक के आकार, आंख के प्रकार आदि।
बच्चों के सामने मास्क उतारें और लगाएं- डायरेक्टर मोंडलोक
ओंटेरियाे स्थित ब्राेक यूनिवर्सिटी में फेस परसेप्शन लैब की डायरेक्टर कैथरीन जे. माेंडलाेक के मुताबिक, बच्चाें के सामने बार-बार मास्क उतारें और लगाएं, ताकि वे पहचान सकें कि आप उनके माता-पिता हैं।
डॉ. विलार्ड ने कहा- फोबिया के इलाज के लिए एक्सपोजर थेरेपी बेहतर
कैंब्रिज में साइकाेथेरेपिस्ट डाॅ. क्रिस्टाेफर विलार्ड कहते हैं, ‘फाेबिया के इलाज के लिए एक्सपाेजर थेरेपी बेहतर है। परिजन मास्क से पहचान कराने का अनाैपचारिक तरीका अपना सकते हैं। मजेदार चित्राें वाले मास्क उन्हें दें। उन्हें अपना मास्क डिजाइन करने दें। इससे जुड़ी क्राफ्ट एक्टिविटी भी करवा सकते हैं। उन्हें मास्क पहनने और उतारने का अभ्यास कराएं। घर में घूमते-खेलते समय भी उन्हें मास्क पहनाएं। मास्क पहने हुए आंखोंके इशाराें से उन्हें समझाएं और उन्हें भी उसी तरह संवाद करने के लिए कहें।’
डॉ. कोपलिवक्ज के मुताबिक,बच्चों को समझा सकते हैं कि डॉक्टर और नर्स हीरोहैं
चाइल्ड माइंड इंस्टीट्यूट के प्रेसिडेंट डाॅ. हाराेल्ड काेपलिवक्ज कहते हैं, ‘सुपरहीराे से संबंध जाेड़ने से भी मदद मिल सकती है। उन्हें समझा सकते हैं कि डाॅक्टर और नर्स हीराे हैं, जाे लाेगाें की सुरक्षा करते हैं और मदद करते हैं। हम भी सुपरहीराे बन सकते हैं और मास्क पहनकर दूसराें की रक्षा कर सकते हैं।’
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