World Wide Facts

Technology

मेडल जीतना सबसे बड़ी उपलब्धि नहीं, पैरा स्पोर्ट्स के लिए जागरूकता ला सकी यही मेरी सबसे बड़ी कामयाबी: दीपा  

दिग्गज पैरा एथलीट और पैरालिंपिक मेडलिस्ट दीपा मलिक ने संन्यास की घोषणा कर दी है। 50 साल की दीपा अब बतौर पीसीआई अध्यक्ष युवा खिलाड़ियों के लिए काम करना चाहती हैं। दीपा को भारत के पैरा स्पोर्ट्स का एक बड़ा चेहरा माना जाता है और अब वे पैरालिंपिक कमेटी ऑफ इंडिया (पीसीआई) की अध्यक्ष के तौर पर काम करने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर उनका शरीर साथ देता है तो वे 2022 में एशियन गेम्स से वापसी कर सकती हैं। उनसे इंटरव्यू के अंश...

संन्यास का निर्णय चौंकाने वाला है। कोई इस बारे में सोच नहीं रहा था?
मुझे नहीं पता कि ये फैसला सभी को हैरान क्यों कर रहा है, क्योंकि ये फैसला सितंबर में ही ले लिया जाना था। पैरालिंपिक कमेटी की अध्यक्ष बनने के लिए संन्यास तो लेना ही था।
अब बतौर अध्यक्ष आपकी आगे की क्या योजना है?
हमारा पहला काम यही है कि हम खेल मंत्रालय से मान्यता हासिल करें। ये बड़ा काम है। कोई एक्टिव खिलाड़ी आधिकारिक पद पर नहीं हो सकता। मैंने अपने देश की अभी तक मेडल जीतकर सेवा की है। एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स, पैरालिंपिक में देश को सम्मान दिलाया है। अब मेरी बारी है कि मैं अलग तरह से देश की सेवा करूं। दूसरों को ऐसे ही मेडल जीतने का मौका दूं।
क्या पैरा स्पोर्ट्स को आगे लेकर जाने के लिए दीपा अपने व्हील्स रोक रही हैं?
ये कोई बलिदान नहीं है। मैं 50 साल की हो गई हूं। मुझे लगता है कि पैरा स्पोर्ट्स को आगे लेकर जाने के लिए मेरा अनुभव काम आएगा। मैं अब अपनी ड्यूटी करने पर ध्यान लगा रही हूं। सबकुछ ठीक रहा और शरीर ने साथ दिया तो मैं 2022 एशियन गेम्स में वापसी कर सकती हूं।
आप अपने करिअर को कैसे देखती हैं?
मैंने पूरी ईमानदारी के साथ इस खेल को दिया। जो संकल्प लिया, उसे मेहनत के साथ पूरा किया। किसी फैन को, किसी स्पॉन्सर को निराश नहीं किया। जिस मेडल का देश को इंतजार था, महिला पैरालिंपिक मेडल, वो भी देश के लिए जीता। मैंने वीमन डिसेबिलिटी की परिभाषा को बदला। साबित किया कि इसके साथ भी जिंदगी है। करिअर में पैरा स्पोर्ट्स को दिया भी बहुत कुछ और उससे मुझे मिला भी बहुत कुछ। ये सफर अभी भी जारी रहेगा, सिर्फ रोल बदलेगा, रास्ता वही रहेगा।
करिअर की सबसे बड़ी उपलब्धि किसे मानती हैं?
सबसे बड़ी उपलब्धि कोई मेडल नहीं है, क्योंकि हर मेडल स्पेशल होता है। सबसे बड़ी कामयाबी ये है कि मैं पैरा स्पोर्ट्स के लिए पूरे देश में जागरूकता ला सकी। अच्छा लगता है, जब लोग दीपा मलिक का नाम लेते हैं तो वे पैरा स्पोर्ट्स को भी याद करते हैं। ये गर्व की बात है। खुशी है कि डिसेबिलिटी को पहचान दिला पाई हूं। चाहती हूं कि कई यंग दीपा मलिक देश के लिए मेडल जीतें।
परिवार का बड़ा रोल आपके करिअर में रहा है, इस बारे में क्या कहेंगी?
जो मेडल का सपना आपका होता है, वही पूरी टीम का ड्रीम होता है। कोच, फिटनेस, जिम ट्रेनर, न्यूट्रीशियनिस्ट, सपोर्ट स्टाफ सभी परिवार का हिस्सा हैं, जिन्होंने मेरे साथ कड़ी मेहनत की है। पेरेंट्स, पति, बच्चों ने मेरे ड्रीम को मेरे साथ जिया है और हर कदम पर साथ दिया। मेरे दोस्त जिन्होंने मेरा सपोर्ट किया, मेरे फैंस जिन्होंने मेरे लिए दुआएं मांगी। ये सभी मेरे परिवार का हिस्सा हैं और उनका इस पूरे सफर में अहम योगदान रहा है।

सबसे कठिन कार रैली में भी हिस्सा ले चुकी हैं दीपा

  • पैरालिंपिक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला। 2016 गेम्स में सिल्वर जीता था।
  • खेल रत्न अवॉर्ड (2019) पाने वाली पहली महिला पैरा एथलीट।
  • जैवलिन की एफ-53 कैटेगरी में दुनिया की नंबर-1 महिला हैं।
  • 2012 में अर्जुन अवॉर्ड और 2017 में पद्मश्री मिल चुका है।
  • मोटर स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया की ओर से ऑफिशियल रैली लाइसेंस पाने वाली देश की पहली दिव्यांग थीं।
  • देश की सबसे कठिन कार रैली रेड डि हिमालया और डेजर्ट स्टॉर्म में हिस्सा ले चुकी हैं।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
मदर्स डे पर बेटियों के साथ दीपा।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3dA017T
Share:

Related Posts:

0 Comments:

Post a Comment

Definition List

header ads

Unordered List

3/Sports/post-list

Support

3/random/post-list