(महिता गजानन)कोरोना महामारी ने मानव जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित किया है। अमेरिका में लोग अकेलापन दूर करने के लिए अपने घरों में जानवरों का स्वागत कर रहे हैं। जिन लोगों ने पहले कभी कोई पशु नहीं पाला था, वे अब उनमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं। ह्यूमेन सोसायटी अमेरिका के सीईओ किटी ब्लॉक ने बताया कि देशभर में पेट्स पालने के आग्रह 90% बढ़े हैं। वे कहते हैं, ‘लोग घर पर अधिक समय बिताते हैं। वहां से काम करते हैं। सामाजिक रूप से अलग-थलग हैं। इसलिए डॉग, बिल्ली, चूहे जैसे जानवर हैमस्टर के साथ रहने से फर्क तो पड़ता है’।
लोग अस्थायी तौर पर जानवर बुला रहे हैं। पिछले साल की तुलना में मार्च, अप्रैल में आश्रय स्थलों से दोगुने कुत्ते और बिल्ली गोद लिए गए हैं। नए पशु प्रेम ने पशु आश्रय और बचाव केंद्रों की सहायता की है। उन्हें महामारी के दौरान दान कम मिलने लगा है। इनके कर्मचारी और स्वयंसेवक भी घरों में बंद हैं। कम जानवर होने के कारण आश्रय स्थलों को दूसरे पशुओं और नए आने वालों पर ध्यान देने का अवसर मिला है।
हमारे पास जितने पेट्स हैं, उससे अधिक मांग आने लगी है- रोबिलोटा
पशु बचाव केंद्र, न्यू ओरलिएंस के वाइस प्रेसीडेंट जिनी बाउमान रोबिलोटा बताते हैं, ‘हमारे पास जितने पेट्स हैं, उससे अधिक मांग आने लगी है। भविष्य के प्रति अनिश्चितता के बावजूद जानवरों के लिए प्रेम से लोगों की जिंदगी बदल जाएगी’। आश्रय स्थल भी सुनिश्चित करते हैं कि इस मौके पर पशु पालने या गोद लेने वाले लोग समझें कि वे लंबे समय के लिए एक नई जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं। उन्होंने बताया,‘ऐसे लोगों को समझाया जाता है कि वे किस तरह की जिम्मेदारी उठाने वाले हैं’। कई उदाहरण हैं जिनमें लोग किसी डॉग या बिल्ली की देखभाल कर राहत का अनुभव करते हैं।
मुझे पहली बार महसूस हुआ कि मैं किसी की मदद कर रही हूं- अदिति
30 साल की अदिति श्रीवास्तव अपने पति को लेकर चिंतित रहती हैं। उनके पति नर्स हैं। वायरस पीड़ित मरीजों की देखभाल करते समय उनके संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। मार्च के अंत में दक्षिण केरोलिना के ग्रामीण इलाके में उन्हें एक घायल कुत्ता मिला था। वे उसे घर ले आए। अदिति ने पहले एक घायल पशु को बोझ समझा। लेकिन, जल्द ही उनका हृदय परिवर्तन हो गया। वे बताती हैं, ‘क्वारंटाइन के दौरान मुझे पहली बार महूसस हुआ कि मैं किसी की मदद कर रही हूं’। एकांत में अलग रहने वाले लोगों को किसी जानवर का साथ राहत देता है।
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