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मजदूर कह रहे- किराया हमसे लिया, भाजपा का दावा- रेलवे 85% सब्सिडी दे रही; रेल मंत्रालय की गाइडलाइन में लिखा है टिकट का पैसा मजदूर देंगे

'25 मार्च को लॉकडाउन लगा, तो हम पैदल ही घर के लिए निकल पड़े। लेकिन, नासिक में ही पुलिस ने हमें पकड़ लिया और क्वारैंटाइन सेंटर भेज दिया। वहां हम 20-25 दिन रहे। 1 मई को पता चला कि ट्रेन निकलनी वाली है। हमें बताया गया कि घर जाना है तो टिकट तो खरीदना ही पड़ेगा। नासिक से लखनऊ तक की टिकट 470 रुपए की थी। मेरे पास पैसे नहीं थे। मैंने अपने रिश्तेदारों से मांगे। जब मैंने टिकट खरीदा, तभी मुझे वहां से आने को मिला। ऐसा सिर्फ मेरे साथ ही नहीं, कई लोगों के साथ हुआ।'

ये बात लखनऊ के रहने वाले जगत सिंह की है। जगत नासिक में मजदूरी करते हैं। और 3 मई को स्पेशल श्रमिक ट्रेन से अपने घर लौटे हैं। जगत ही नहीं, यूपी के श्रावस्ती में रहने वाले इलियास भी कुछ ऐसी ही बात बताते हैं।

इलियास बताते हैं, 'मुझे नासिक से लखनऊ आना था। मेरे पास पैसे नहीं थे। लेकिन, फिर भी मुझसे 420 रुपए की टिकट खरीदने को कहा गया। मैंने साथियों से मांगे, लेकिन उनके पास भी नहीं थे। फिर मैंने अपने घर वालों से पैसे खाते में मंगवाए। अचानक से बताने की वजह से पैसे का इंतजाम करना भी मुश्किल था। फिर भी घर वालों ने मेरे खाते में पैसे भेजे। तब जाकर मैं घर आ सका।'

25 मार्च से लॉकडाउन लगने के बाद से अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे प्रवासी मजदूर पैदल ही घर को जाने को मजबूर थे। कुछ घर पहुंचे भी। तो कुछ ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

पैदल चलने की वजह से करीब 50 मजदूरों की मौत होने के बाद 29 अप्रैल को गृह मंत्रालय ने दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को मूवमेंट करने की इजाजत दी। 1 मई से रेल मंत्रालय ने लॉकडाउन में फंसे मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए स्पेशल श्रमिक ट्रेनें चलाईं। अब तक 160 से ज्यादा ट्रेनों से 1.60 लाख से ज्यादा मजदूर घर आ चुके हैं।

लेकिन, अभी भी एक कन्फ्यूजन जिस बात को लेकर हो रहा है, वो है किराया। कई मजदूरों का कहना है कि उनसे किराए के पैसे लिए गए हैं। लेकिन, भाजपा का कहना है रेलवे मजदूरों को किराए पर 85% की सब्सिडी दे रही है। और बाकी के बचे 15% राज्य सरकार दे रही है।

जबकि, 2 मई को रेल मंत्रालय ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर 19 पॉइंट की एक गाइडलाइन जारी की थी। इस गाइडलाइन में एक 11वां पॉइंट है, जिसमें लिखा है 'सेल ऑफ टिकट' यानी 'टिकट की बिक्री'। इस पॉइंट में तीन सब पॉइंट में भी हैं।
a) स्पेशल श्रमिक ट्रेनों में कम से कम 1200 या 90% यात्री होने चाहिए।
b) राज्य सरकारें रेलवे को मजदूरों के नाम और उनके डेस्टिनेशन की डिटेल्स देंगी। उस आधार पर रेलवे तय डेस्टिनेशन की टिकट प्रिंट करके स्टेट अथॉरिटी को देगी।
c) इसके बाद स्टेट अथॉरिटी पैसेंजर को टिकट देंगे। इनसे टिकट का पैसा लेंगे और उसके बाद ये पैसा रेलवे को देंगे।

रेलवे ने ये गाइडलाइन 2 मई को जारी की थी। पूरी गाइडलाइन देखने के लिए क्लिक करें


इससे तो यही लग रहा है कि जो जाएगा, किराया भी वही देगा। जा कौन रहा है? मजदूर। तो किराया कौन देगा? मजदूर।

इन स्पेशल ट्रेनों का किराया कितना लग रहा है?
रेल मंत्रालय ने 1 मई को स्पेशल ट्रेन के किराए को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था। इस सर्कुलर के मुताबिक, किसी एक जगह से दूसरी जगह जाने पर जितना किराया लगता है, उतना तो लगेगा ही। इसके अलावा 30 रुपए सुपरफास्ट चार्ज और 20 रुपए एक्स्ट्रा चार्ज देना होगा। यानी, किराए के ऊपर 50 रुपए एक्स्ट्रा लगेंगे।

ये रेल मंत्रालय का 1 मई को जारी किया गया सर्कुलर है।


तो फिर 85:15 वाली बात कहां से आई?
जब श्रमिक ट्रेनें चलनी शुरू हुईं तो ये खबरें भी आईं कि ट्रेन का किराया मजदूरों से ही लिया जा रहा है। इस पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 4 मई को ट्वीट किया और लिखा, 'एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रही है। वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है। जरा ये गुत्थी सुलझाइए!'

राहुल गांधी के ट्वीट पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने जवाब दिया। संबित पात्रा ने श्रमिक ट्रेन को लेकर जारी गृह मंत्रालय की गाइडलाइन दिखाई। इस गाइडलाइन में लिखा था 'No tickets being sold at any station' यानी 'किसी भी स्टेशन पर टिकट नहीं बेची जाएंगी।'

इसमें उन्होंने ये दावा भी किया कि, मजदूरों के किराए पर 85% की सब्सिडी रेलवे दे रही है और बाकी के 15% राज्य सरकार देगी।

सिर्फ संबित पात्रा ही नहीं, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष ने भी ट्वीट कर यही दावा किया।

इतना ही नहीं, 4 मई को स्वास्थ्य मंत्रालय की डेली ब्रीफिंग में भी स्वास्थ्य सचिव लव अग्रवाल ने भी कहा कि टिकट का 85% खर्च रेलवे और 15% खर्च राज्य सरकार दे रही है।

रेलवे सच में कितनी सब्सिडी देती है?
रेल मंत्रालय ने पिछले साल 18 जून को 100 दिन का एक्शन प्लान बनाया था। इस प्लान में रेलवे ने बताया था कि वो यात्रियों से 53% किराया ही वसूलती है। यानी, अगर एक जगह से दूसरी जगह तक जाने का किराया 100 रुपए है, तो उसमें से यात्री सिर्फ 53 रुपए ही देते हैं।

इस पूरे एक्शन प्लान को पढ़ने के लिए क्लिक करें

कन्फ्यूजन क्यों हो रहा है?
1)
रेलवे ने श्रमिक ट्रेन को लेकर 2 मई को गाइडलाइन जारी की थी। लेकिन, इसमें कहीं भी ये नहीं लिखा कि किराए पर 85% सब्सिडी मिलेगी और बाकी 15% किराया राज्य सरकार देगी। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी इस पर कुछ नहीं बोला।
2) कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि मजदूरों से किराए के पैसे लिए जा रहे हैं। भास्कर के ही गुजरात एडिशन में 5 मई को खबर छपी थी कि, सूरत से गईं 9 ट्रेनों के 10 हजार 800 मजदूरों से 76 लाख रुपए वसूले गए थे।



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वैसे तो एक कोच में 72 सीट होती है. लेकिन श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो, इसके लिए एक कोच में सिर्फ 54 लोगों को ही बैठाया जा रहा है।


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