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यहां के 6500 से ज्यादा गांवों में बुजुर्गों ने संक्रमण रोक दिया, सभी रास्ते सील कर 24 घंटे निगरानी की

पूर्वोत्तर के 8 में से 5 राज्य अब कोरोना मुक्त हैं। लेकिन अरुणाचल और नगालैंड में कोरोना से सीधा लोहा लिया लाल कोट पहने कुछ अनुभवी बुजुर्गों ने, जिन्हें रेड आर्मी भी कहा जाता है। पहाड़ों से कोरोना संक्रमण को दूर रखने के लिए इन्होंने न सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग को गांवों में सख्ती से लागू कराया, बल्कि क्वारैंटाइन लोगों की निगरानी भी की। गांव के लोगों को घर में ही उनकी जरूरत का सामान पहुंचाया।

इन बुजुर्गों को यहां गांव बूढ़ा या गांव बूढ़ी कहा जाता है। दरअसल, पूर्वोत्तर के अधिकांश राज्यों में ग्राम पंचायत की जगह विलेज काउंसिल हैं। सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को मुख्य गांव बूढ़ा या गांव बूढ़ी (जीबी) चुना जाता है। इनकी मदद के लिए तीन से पांच जीबी होते हैं, जो दोबाशी कहलाते हैं। यह परंपरा 1842 से चली आ रही है। सरकार इन्हें हर महीने डेढ़ हजार रुपए वेतन देती है। इनकी जिम्मेदारी गांववालों की सुरक्षा और उनकी जरूरतों का ध्यान रखना है।

जरूरत की चीजों को ही गांव तक आने की इजाजत है
अरुणाचल प्रदेश के सिआंग जिले के लाइलेंग गांव के गांव बूढ़ा तानोम मिबांग बताते हैं कि जब कोरोना संक्रमण शुरू हुआ तो गांव से आने-जाने पर रोक लगा दी गई। हमने गांव की आबादी से 100 मीटर दूर ही रास्ते को बांस लगाकर बंद कर दिया। दूध, राशन, दवाएं जैसी जरूरत की चीजों को ही गांव तक आने की इजाजत है।

5200 से ज्यादा गांवों में यही व्यवस्था इन दिनों लागू हैं
अरुणाचल के 5200 से ज्यादा गांवों में यही व्यवस्था इन दिनों लागू हैं। वहीं नगालैंड के मोकोकचंग जिले के खेनसा गांव के इमनाकुंबा लोंगचार बताते हैं कि जरूरत की चीजों को गांव बूढ़ों के सहयोगी घर-घर पहुंचा रहे हैं। गांव के लोगों को अपने खेत तक जाने की अनुमति है।

इस पाबंदी को अब अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया है
बता दें नगालैंड के 1400 गांवों में करीब ढाई हजार गांव बूढ़ा, गांव बूढ़ी हैं। इधर सिक्किम की बात करें, तो कैलाश मानसरोवर यात्रा रद्द कर दी गई और नाथु ला पास से भारत-चीन कारोबार बंद कर दिया गया। यहां 5 मार्च से ही अंतरराष्ट्रीय पर्यटक और 17 मार्च से भारतीय पर्यटकों के आने पर रोक है। इस पाबंदी को अब अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया है। 5 हजार लोगों ने सिक्किम वापस आने की इच्छा जताई थी, सरकार उन्हें 200-300 के बैच में वापस लाई।

परंपराः दूसरे गांव जाने के लिए इजाजत लेनी होती है
नगालैंड में जनजातियों के अलग गांव हैं। चाकेसंग जनजाति के गांव के व्यक्ति को अंगामी जनजाति के गांव में प्रवेश करना हो, तो उसे पहले अंगामी के गांव बूढ़ा से इजाजत लेनी होती है। इसके बिना प्रवेश नहीं होता।



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अरुणाचल प्रदेश के सिआंग जिले के लाइलेंग गांव के गांव बूढ़ा तानोम मिबांग बताते हैं कि जब कोरोना संक्रमण शुरू हुआ तो गांव से आने-जाने पर रोक लगा दी गई।


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