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कोरोना की उजली तस्वीरः आबाद हो रहे उत्तराखंड के 1700 भूतिया गांव, 2 लाख से ज्यादा लोग लौट रहे हैं

पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है, लेकिन कोरोना उत्तराखंड के लिए एक सकारात्मक खबर लाया है। जिन लोगों ने रोजगार के लिए वर्षों पहले अपने पहाड़ी गांव छोड़ दिए थे, वे अब लौट रहे हैं। ये वही लोग हैं, जिन्हें वापस लाने के प्रयास सरकार पिछले 10 साल से कर रही थी, लेकिन सफल नहीं रही थी। 10 सालों में राज्य के पर्वतीय जिलों से 5 लाख से ज्यादा लोग पलायन कर चुके हैं।

ग्राम विकास एवं पलायन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, 60 हजार लोगों की घर वापसी हो चुकी है। एक सप्ताह में डेढ़ लाख लोग और लौट आएंगे। इनका रजिस्ट्रेशन हो गया है। ये लोग फिर से पलायन न करें, इसके लिए सरकार ने जतन चालू कर दिए हैं। पूर्व सीएस इंदुकुमार पांडेय के नेतृत्व में हाईपावर कमेटी काम कर रही है। पलायन आयोग ने भी इनसे बात कर सरकार को सिफारिशें देना शुरू कर दी हैं।

अधिकारियों को उम्मीद है कि पूरी तरह खाली हो चुके 1700 भूतिया गांव में से आधे फिर आबाद हो सकेंगे। दो लाख से ज्यादा लोग तो इस हफ्ते ही वापस आ जाएंगे। भविष्य में लॉकडाउन खुलते ही करीब इतने ही लोग और वापस आ सकते हैं।

उत्तरकाशी के डीएम आशीष सिंह कहते हैं कि जिले में लौटे 5 हजार लोगों में आधे से ज्यादा स्किल्ड हैं। उन्हें यहीं रोजगार उपलब्ध करवाने के प्रयास के साथ काउंसिलिंग भी कर रहे हैं, ताकि ये पलायन न करें। समाजसेवी सूरजसिंह रावत कहते हैं किकोरोना से पहाड़ी गांवों में रौनक आ गई है। पौढ़ी जिले के बिलखेत, कनौली जैसे गांवों में जहां एक-दो परिवार ही रहते हैं, आबादी दिखने लगी है।

सालों से पहाड़ी आबादी के लिए काम कर रहे एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल कहते हैं कि आबादी की कमी के कारण पहाड़ी जिलों की 9 विधानसभा सीटें भी कम हो गईं। वापस आए लोगों को समझ आ गया है कि पहाड़ों में भी रोजगार की कमी नहीं है।

2017 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में पलायन आयोग बना था। आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी के नेतृत्व में 7950 ग्राम पंचायतों में पहुंचकर पहली रिपोर्ट तैयार की गई। 2018 में पेश रिपोर्ट में बताया गया कि 2011 में 1034 गांव खाली (भूतिया) थे, जो वर्ष 2018 तक 1734 हो गए।

आयोग की रिपोर्ट : 30% लोग रुकना चाहते हैं
अप्रैल 2020 में लोगों की वापसी के बाद आयोग ने उनसे बात की। इसके मुताबिक अधिकांश लोग हाॅस्पिटेलिटी सेक्टर, टूरिज्म, प्रोफेशनल जैसे आईटी या शेफ, ड्राइवर, स्वरोजगार आदि छोटे व्यवसाय करने वाले हैं। इनमें से 30% लोग उत्तराखंड में रुकना चाहते हैं। जो रुकना नहीं चाहते वो शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की कमी बता रहे हैं। रिपोर्ट में खुलासा किया है कि जो अभी नहीं आ पाए हैं, वे भी लॉकडाउन के बाद पहाड़ी जिलों में लौटना चाहते हैं।

पलायन आयोग की ये हैं सिफारिशें, जिन्हें राज्य सरकार ने माना है

  • पुनर्वास के लिए विशेष आर्थिक पैकेज। लोन और सब्सिडी आसानी से दी जाएगी।
  • विशेष सेल की स्थापना। आजीविका, ऋण, कारोबार में मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर।
  • जो लोग होमस्टे, होटल, टूरिज्म, एडवेंचर गेम जैसे व्यवसाय से जुड़े हैं, उन्हें गांव मेंही ये व्यवसाय शुरू करवाना।
  • वापस आए प्रत्येक व्यक्ति से बात करके उसकी रुचि और अनुभव के हिसाब से डेटाबेस तैयार किया जाए। इसी हिसाब से रोजगार दिया जाए।
  • हर गांव तक बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क जैसी मूलभूत सुविधा की उपलब्धता।


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उत्तरकाशी में 5000 लोग अन्य राज्यों से गांवों में लौट आए हैं। तस्वीर उत्तरकाशी के एक गांव की।


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