
पाकिस्तान एयरफोर्स में पहली बार एक हिंदू पायलट बना है। नाम है राहुल देव और वे सिंध इलाके के थरपरकर से हैं। राहुल पाकिस्तान एयरफोर्स में दूसरे हिंदू होंगे, उनसे पहले एयर कमोडोर बलवंत कुमार दास पाकिस्तानी एयरफोर्स में भर्ती हुए थे, लेकिन वह एयर डिफेंस का हिस्सा था, जिसके जिम्मे ग्राउंड ड्यूटी से जुड़े काम होते थे।
राहुल बतौर जीडी पायलट भर्ती हुए हैं। जनरल ड्यूटी (जीडी) के जो पायलट होते हैं वह कोई भी एयरक्राफ्ट उड़ा सकते हैं, फिर चाहे वह फाइटर हो या ट्रांसपोर्ट। पाकिस्तान एयरफोर्स में जीडी पायलट अहम होता है और वह ज्यादा ताकतवर एयरक्राफ्ट उड़ता है।
16 अप्रैल को 143 जीडी पायलट, 89 इंजीनियरिंग, 99 एयर डिफेंस और बाकी कोर्स की ग्रेजुएशन सेरेमनी पाकिस्तान एयरफोर्स एकेडमी रिसालपुर में थी। जहां वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल मुजाहिद अनवर खान चीफ गेस्ट थे।
राहुल से जुड़ी इस खबर को सबसे पहले प्रिंसिपल स्टाफ ऑफिसर रफिक अहमद खोकर ने जासूस से राजनेता बने इंटीरियर मिनिस्टर रिटायर्ड ब्रिगेडियर एजाज शाह से ट्वीट के जरिए साझा की थी -
Congratulations to Rahul Dev on his selection as GD Pilot in Pakistan Air Force (PAF). He hails from a remote village of Tharparkar, Sindh. All our love and prayers for him. 💕 pic.twitter.com/3swnqJI9Cr
— Rafique Ahmed Khokhar (@RafiqueKhokhar) May 1, 2020
पाकिस्तान फोर्सेस में अल्पसंख्यकों की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब कमोडोर बलवंत कुमार दास के बारे में पता करने की कोशिश की तो बस इतना ही पता चला की वह ग्राउंड ड्यूटी ऑफिसर थे और उन्होंने युद्ध में हिस्सा लिया था। इससे ज्यादा कुछ भी नहीं।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति कोई रहस्य नहीं है। बार-बार इल्जाम लगता है कि पाकिस्तान हिंदुओं को वह जिंदगी नहीं देता जो इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान में मिले संविधान के तहत उनका हक है। बावजूद इसके हाल ही में यूनाइटेड स्टेट्स कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम ने यह कहा था कि पाकिस्तान के हिंदू और सिक्ख के लिए मुल्क पहले आता है।
हाल ही के दिनों में पाक मिलिट्री में भर्ती होने वाले हिंदुओं और सिक्खों कि संख्या बढ़ गई है। जबकि, पाकिस्तान बनने से लेकर दशकों तक मिलिट्री में सिर्फ मुसलमानों का एकाधिकार रहा है। वहीं ईसाइयों को पाकिस्तानी फोर्सेस में जगह भी दी गई और ओहदा भी।
2000 तक हिंदुओं की सेना में शामिल होने पर भी पाबंदी थी। जनरल परवेज मुशर्रफ के मिलिट्री रूल के वक्त वह पहली बार सेना में शामिल हो पाए। 2006 में कैप्टन दानिश पाकिस्तान सेना के पहले हिंदू ऑफिसर बने।
ब्रिगेडियर एजाज के साथ काम करने वाले इंटीरियर मिनिस्ट्री के एक ऑफिसर के मुताबिक राहुल देव का इंडक्शन इसलिए भी खास है क्योंकि वह सिंध के थरपरकर जैसे कमजोर इलाके से आते हैं।
सिंध के अंदरूनी इलाकों में हिंदुओं की ठीक-ठाक आबादी है। इस इलाके में जरूरी सुविधाएं भी मौजूद नहीं हैं। हाल के कुछ सालों में यहां भूख और कुपोषण से मौत की कई खबरें आई हैं जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। महेश मलानी इसी थरपरकर इलाके से नेशनल असेंबली में सीट जीतने वाले पहले हिंदू हैं।
अधिकारी के मुताबिक, पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के लिए सबसे खराब देश है। यहां जबरन धर्म परिवर्तन आम है, ईशनिंदा के मामले और धर्म के नाम पर हत्याएं भी होती रहती हैं। यहां कानून के जरिए समुदायों को ठगा जाता है। हांलाकि यह बदल रहा है।
इंटीरियर मिनिस्ट्री के अधिकारी इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए कि हिंदू और सिक्ख ऑफिसर के कमिशन की शुरूआत करने में इस देश को इतना वक्त क्यों लगा।
सीनियर जर्नलिस्ट नसीम जेहरा का ये ट्वीट पढ़िए -
That smile reads sheer joy Rahul...all our love and prayers for a long, thrilling and outstanding career Pilot. Spread your wings far and wide...conquer those skies son ! @RafiqueKhokhar
— Nasim Zehra (@NasimZehra) May 1, 2020
#RahulDev https://t.co/eARb64OJRh
ट्विटर पर जहां राहुल के लिए सरहद के दोनों ओर से बधाईयों का ढेर लग गया वहीं एक शहीद हिंदू सैनिक का परिवार इस मसले पर बात करने राजी हुआ। 27 साल के लालचंद रबारी बेहद भावुक व्यक्ति थे और उनका सपना था देश की रक्षा। 2017 में मंगला फ्रंट पर लड़ते हुए उनकी मौत हुई।

रबारी इस्माइल खान नौटकानी गांव बादिन जिले के रहनेवाले थे। गरीब चरवाहे पिता और किसान मां की पांचवी औलाद। उनके भाई कहते हैं रबारी की पोस्टिंग फाटा इलाके के वजीरीस्तान में हुई थी। वह देश को तबाह करने वाले आतंकियो को कुचलना चाहता था। वह कहते हैं मेरे भाई की तकदीर में लिखा था कि वह देश के लिए लड़ते शहीद होगा।
रबारी के मुताबिक जिस देश में हम रहते हैं वह हमारा घर है। जो भी उसपर हमला करेगा उसे हम जवाब देंगे, अपनी आखिरी सांस तक। वह ये भी कहते हैं कि हम राजपूत हैं जो हमेशा दुश्मन से खून के आखिरी कतरे तक लड़ते हैं।
कराची के एक रिसर्चर जो हिंदू हैं कहते हैं, ‘अगर हमारी पाकिस्तान के साथ वफादारी पर कोई शक है तो उसे आंकड़ों से साबित करो। बताओ कितने पाकिस्तानी हिंदू हैं जिन्होंने देश को धोखा दिया या जिनपर धोखेबाजी के केस कोर्ट में चल रहे हैं? यह सिर्फ झूठा प्रपोगेंडा है जो बंद होना चाहिए और पाकिस्तान को हमें अपना मानना चाहिए। सरकार ने हम गैर मुसलमानों की उपलब्धियों को कभी माना ही नहीं।’
एयर कमोडोर बलवंत कुमार दास पाकिस्तान एयरफोर्स के पहले सीनियर हिंदू ऑफिसर थे। उन्होंने 1948 और 1965 की जंग में हिस्सा भी लिया लेकिन उनकी कहानी को सालों पहले भुला दिया गयाा है।
कैजाद सुपारी वाला पहले पारसी और गैर मुसलमान पाकिस्तानी जनरल हैं। 1965 और 1971 की जंग में उनकी काबीलियत के किस्से सब जानते हैं लेकिन सरकार, मीडिया या लोग कभी उनका जिक्र तक नहीं करते।
एक और हिंदू सैनिक अशोक कुमार हैं जिन्होंने 2013 में वजीरीस्तान में आतंकवादियों से लड़ते अपनी जान दी। उन्हें तमगा-ए-शुजात दिया गया। लेकिन आश्चर्य की बात यह कि उनके नाम के आगे शहीद की जगह महरूम लिखा गया। जबकि मुसलमान शहीदों के साथ ऐसा नहीं होता।
हैदराबाद के डॉक्टर कैलाश गरवड़ा पिछले साल पहले हिंदू मेजर बने। उन्होंने युगांडा, मिस्त्र, दुबई, स्पेन, फ्रांस, नीदरलैंड, बेल्जियम, इटली और स्विट्जलैंड में पाकिस्तान को रिप्रजेंट किया। 36 दिन भारत पाकिस्तान के बीच विवादित के-2 के पास बाल्त्रो सेक्टर में दुनिया की सबसे ऊंचाई पोस्ट पर रहने के बाद उन्होंने तमगा-ए-दफा हासिल किया।
ये मेडल सियाचिन में पोस्टिंग पाने वाले सैनिकों को दिया जाता है। वह वजीरिस्तान में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन एमीजन और स्वात में ऑपरेशन राहे निजात का हिस्सा भी थे।

वहीं मेजर हरचरण सिंह ने 2007 अक्टूबर में सेना के पहले सिक्ख अफसर बनकर इतिहास रचा। ननकाना साहिब में 1986 में पैदा हरचरण ने पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी से पास होते वक्त कहा था, ‘ये मेरे लिए गर्व की बात है कि आज आपके सामने खाकी वर्दी पहने खड़ा हूं, मुझे बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। पगड़ी पहने सरदार को बलूच रेजिमेंट का बैच लगाए देखना सचमुच फक्र की बात है।’
पाकिस्तान की आबादी 22 करोड़ है। उसमें से हिंदू 80 लाख हैं। पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के आंकड़े तो यही कहते हैं हालांकि जबरन धर्मपरिवर्तन को लेकर सही आंकड़े बताना मुश्किल है। सबसे ज्यादा हिंदू सिंध में हैं जहां आबादी में हिंदु 94 प्रतिशत हैं।
वहीं पाकिस्तान की सेना में 12 लाख 40 हजार सैनिक हैं। इनमें से 6 लाख एक्टिव हैं। बाकी रिजर्व। इनमें कुल 100 भी हिंदू नहीं हैं। कितने हैं इसका कोई हिसाब नहीं है। न पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के पास न ही इंटीरियर मिनिस्ट्री की फाइलों में। खबर सिर्फ उनकी है जो या तो मशहूर हुए या मारे गए।
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