जयपुर.राजस्थान में विभागाें की आपसी खींचतान, अफसरों की लेटलतीफी और कानूनी दांवपेच के चलते भारत भ्रमण पर आए मॉरिशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपनसामोद वीर हनुमानजी के दर्शन नहीं कर पाए। वे अपने परिवार के साथ रविवार काे कड़ी सुरक्षा के बीच सामोद पैलेस व बांसाबाग आए थे। यहां हनुमान मंदिर तक पहुंचने के लिए रोप-वे का इस्तेमाल करना चाहा तो यह बंद मिला। जब कारण पूछा तो अधिकारियों ने बताया- कोर्ट का आदेश है। वन विभाग की आपत्ति है। आपको सीढ़ियों से चढ़कर ही मंदिर जाना पड़ेगा। इससे बाद राष्ट्रपति नीचे से ही हाथ जोड़कर लौट गए।
एसपी ज्ञानचंद यादव ने बताया कि हमने पीडब्लूडी के तकनीकी सहायकों से राष्ट्राध्यक्ष के लिए रोप-वे चालू कराने की अनुमति मांगी थी, लेकिन पीडब्लूडी ने लिखित में दिया- उच्च प्रशासन ने मना किया है। इसके बाद पूरे परिवार ने पहाड़ी के नीचे से ही वीर हनुमान मंदिर की ओर हाथ जोड़े और कहा- जब रोप-वे चालू हो जाएगा, तब एक बार जरूर वीर हनुमान के दर्शन करने के लिए आएंगे। मंदिर तक पहुंचने के लिए 750 सीढ़ियां हैं, रोप-वे बंद होने के कारणबुजुर्ग, बच्चे और महिलाओं को ऊपर पहुंचने के में काफी दिक्कत होती है।
विधायक भी आहत, सरकार से हस्तक्षेप की मांग
स्थानीयविधायक रामलाल शर्मा ने कहा- सरकार रोप-वे में आ रही तकनीकी खामियों को दूर करवाकर चालू कराने को गंभीर नहीं है। रोप-वे चालू होता तो मॉरिशस राष्ट्राध्यक्ष परिवार सहित भगवान के दर्शन करता। पधारो म्हारा देश का नारा सार्थक नहीं हो पाया।
रोप-वे तैयार है लेकिन संचालन में गहरा पेंच फंसा
राेप-वे का निचला स्टेशन नांगल भरड़ा की खसरा 2772 जमीन और ऊंचाई पर बालाजी मंदिर के पास गैर मुमकिन पहाड़ की खातेदारी मूर्ति मंदिर के बालाजी के नाम पर है। मंदिरों में मूर्तियों काे अल्प वयस्क माना गया है। पुजारी काे मूर्ति संरक्षक बताया है। मंदिरों की जमीनें अल्प वयस्क मूर्तियों के नाम हाेने के कारण अल्प वयस्क काे अचल संपत्ति के बारे में निर्णय का अधिकार नहीं है। हिंदू अल्प वयस्क की अचल संपत्ति के संबंध में काेई भी निर्णय का उत्तरदायित्व न्यायालय काे है। हिंदू अभिभावक अधिनियम 1956 के प्रावधान के अनुसार सिविल न्यायालय मूर्ति के हित में अनुमति देता है ताे मंदिर माफी की भूमि पर एकल ट्रस्ट संपत्ति का वाणिज्यिक उपयोग के लिए किसी से अनुबंध कर सकता है। इसी के चलते राजस्व विभाग के उप शासन सचिव ने प्रशासन से इस बारे में नियमानुसार निर्णय करने काे कहा है।
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