
अहमदाबाद. कोरोनावायरस और लाॅकडाउन के बाद गुजरात में काम करने वाले राजस्थान के हजारों श्रमिकों के लिए रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। गुजरात के विभिन्न हिस्सों में काम करने वाले श्रमिक बसें बंद होने के बावजूद पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं। अहमदाबाद में पैदल जा रहे लोगों के जत्थे देखे जा सकते हैं। कुछ लोग साइकिलों पर भी पत्नी-बच्चों के साथ रवाना हो रहे हैं। गुजरात में कंस्ट्रक्शन का काम करने वाले श्रमिकों ने बताया कि सारे काम-धंधे बंद हैं। चूल्हे नहीं जल रहे। घर लौटने के सिवाए कोई चारा नहीं बचा है। इसलिए पैदल ही चल पड़े।
ठेकेदार ने कहा- काम नहीं तो पैसा नहीं
राजस्थान के डूंगरपुर के रहने गोविंद ने बताया- ‘मैं भाई के साथ अहमदाबाद में कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करता हूं। हमारा परिवार साथ ही है। ठेकेदार ने कह दिया है कि काम नहीं तो पैसा नहीं।’ इसी तरह मेरीवाडा गांव के हितेश नाथ ने बताया- ‘हम हर माह 9-10 हजार रुपए कमाते हैं। जो कुछ पैसा बचा है, उसे बचाकर रखने के लिए हमें घर निकलना पड़ रहा है। यहां रहेंगे तो सब खर्च हो जाएगा।’
बेटे की तरह रखता था परिवार, कोरोना ने सबकुछ बदला
विजयनगर के कोड़ीवाड़ा के कांतिभाई रावल ने बताया- ‘मैं शहर में एक सेठ के घर पर काम करता हूं। वे लोग मुझे परिवार के सदस्य के तरह ही रखते थे। लेकिन, अब काेरोना की वजह से सबकुछ बदल गया है। इसलिए मुझे गांव जाना पड़ रहा है।’
रास्ते में पुलिस श्रमिकोंको खाना भी खिला रही है
उदयपुर के मांगी लाल 100 लाेगाें के समूह के साथ मेहसाणा से निकले हैं। उन्हाेंने बताया कि रास्ते में पुलिस ने उन्हें खाने-पीने का सामान मुहैया करवाया है। राधेश्याम पटेल कहते हैं कि बिना कमाई अहमदाबाद में रुकने का काेई मतलब नहीं। ज्यादातर साथी चाय के ठेलाें और खाने-पीने की दुकानाें पर काम करते हैं।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/39nRHpf
0 Comments:
Post a Comment