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आईबी ने संसदीय समिति से कहा- कुछ राज्यों की खुफिया एजेंसियां सूचना साझा करने में हिचकिचाती हैं, हर जिले में नेटवर्क जरूरी

नई दिल्ली. इंटेलिजेंस ब्यूरो के मुताबिक, देश में कुछ राज्य ऐसे हैं जो मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी या मैक) से गोपनीय सूचना साझा करने में कतराते हैं। न्यूज एजेंसी के अनुसार, यह जानकारी आईबी डायरेक्टर ने एक संसदीय समिति को दी। आईबी के मुताबिक, जानकारी साझा न करने की कुछ ही घटनाएं सामने आईं। आंतरिक सुरक्षा पुख्ता करने के लिए इस खुफिया एजेंसी ने जिला स्तर पर यूनिट तैयार करने का भी सुझाव दिया।

ज्यादातर राज्य सहयोग करते हैं
राज्यसभा में संसदीय समिति की यह रिपोर्ट पेश की गई है। इसमें आईबी चीफ के सुझावों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, “जब आईबी चीफ से राज्यों की ओर से मिलने वाली सूचनाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा- ज्यादातर राज्य इस मामले में मैक से सूचनाएं साझा करते हैं। हालांकि, कुछ घटनाएं ऐसी भी हैं जहां, कुछ राज्यों की खुफिया एजेंसियों ने जानकारी साझा करने में हिचकिचाहट दिखाई।” बता दें कि देश की आंतरिक सुरक्षा में आईबी का अहम रोल है। यह गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है। इसकी सूचनाओं के आधार पर ही पुलिस और दूसरी सुरक्षा एजेंसियां काम करती हैं।

समिति ने गंभीर सवाल पूछे
रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने यह महसूस किया कि बीते कुछ साल में राज्यों की खुफिया एजेंसियों से मैक को सूचनाएं मिलने में कमी आई है। इस बारे में पैनल ने आईबी और मैक की कार्य प्रणाली पर विस्तार से जानकारी दी है। गृह मंत्रालय के अधीन मैक दिल्ली में काम करती है। इस सेंटर में कुल 28 सदस्य हैं। इसमें आतंकवाद से जुड़ी जानकारियां आती हैं और साजिशों को विफल करने की रणनीति बनाई जाती है। संबंधित सुरक्षा एजेंसियों के साथ ही राज्यों को भी जानकारी दी जाती है। हर राज्य में एस-मैक की शाखा है।

हर जिले में यूनिट तैयार करने की सलाह
आंतरिक खुफिया तंत्र को मजबूत करने के लिए होम मिनिस्ट्री देश के हर जिले में इंटेलिजेंस यूनिट तैयार करने जा रही है। मैक हर दिन खुफिया सूचनाओं की समीक्षा करती है। इसके बाद कार्रवाई पर फैसला होता है। अगर कोई पुख्ता खुफिया जानकारी मिलती है तो उसे संबंधित राज्य या सुरक्षा एजेंसी से फौरन साझा किया जाता है। हर हफ्ते एनएसए खुफिया सूचनाओं की उच्च स्तर पर समीक्षा करते हैं। इसके अलावा आईबी सेना की इंटेलिजेंस यूनिट के प्रमुखों से हर पंद्रह दिनों में मीटिंग करती है। इसमें ज्यादातर सीमावर्ती राज्यों के सुरक्षा हालात पर रिपोर्ट पेश की जाती है।

मित्र देशों को भी सहयोग
सेना और आईबी की समीक्षा में अगर कुछ ऐसा निकलता है जो मित्र देशों से साझा किए जाने लायक होता है तो यह पूरी गंभीरता के साथ अंजाम दिया जाता है। समिति ने महसूस किया कि देश में आईबी, रॉ, सीएपीएफ, आर्मी और राज्य खुफिया एजेंसियां हैं। सबसे जरूरी बात इन सभी के बीच सर्वश्रेष्ठ समन्वय तैयार करना है। ताकि, सटीक और कार्रवाई लायक सूचनाएं जुटाई जा सकें।



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आईबी ने आंतरिक सुरक्षा पुख्ता करने के लिए जिला स्तर पर यूनिट तैयार करने का सुझाव दिया है। (प्रतीकात्मक)


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