World Wide Facts

Technology

ब्रज के मंदिरों में वसंत पंचमी से ही होली शुरू हो जाती है, आज बरसाने में लड्‌डुओं और कल से दो दिन लट्‌ठमार होली

जीवन मंत्र डेस्क. ब्रज में बसंत पंचमी पर होली का डंडा गढ़ने के साथ ही ब्रज के लगभग सभी मंदिरों और गांव में होली महोत्सव की शुरुआत हो जाती है। यह40 दिनों तक चलता है,लेकिन खासतौर से होली महोत्सव फाल्गुन शुक्लपक्ष अष्टमी से यानीलड्डू फेक होली से शुरू होता है। यह इस बार 3 मार्च को है। होली के त्योहार को गोकुल, वृंदावन और मथुरा में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां रंग वाली होली से पहले लड्‌डू, फूल और छड़ी वाली होली भी मनाई जाती है। इसके बाद बरसाने और नंदगांव में लठमार होली का आयोजन होता है। ब्रज के होली कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए देश और दुनियाभर से श्रद्धालु आते हैं।

40 दिन पहले सुनाई देने लगते हैं होली के गीत
बांके बिहारी मंदिर में परंपरानुसार वसंत पंचमी से गुलाल की होली शुरू हो जाती है। 40 दिन पहले शुरू होने वाले इस उत्सव के दौरान बांके बिहारी मंदिर में परंपरा के अनुसार सुबह-शाम होली के गीत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मंदिर के पुजारी भगवान को हर दिन गुलाल लगाने के बाद भक्तों पर भी प्रसाद के रूप में गुलाल का छिड़काव करते हैं। इसके लिए केवल प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल होता है,जिन्हें फूलों की मदद से तैयार किया जाता है।

3 मार्च को बरसाने की लड्‌डू होली
लड्‌डू होली की शुरुआत लाडली मंदिर से होती है। देश-विदेश से आए राधा-कृष्ण के भक्त एक दूसरे पर लड्‌डू और अबीर-गुलाल उड़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि लड्‌डू की होली खेलने की परंपरा श्रीकृष्ण के बालपन से जुड़ी है। कहा जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण और नंद गांव के सखाओं ने बरसाना में होली खेलने का न्योता स्वीकार कर लिया था, तब पहले वहां खुशी में लड्‌डू की होली खेली गई थी। यही परंपरा आज भी चली आ रही है। इस परंपरा के तहत भक्त पहले राधा रानी मंदिर के पुजारियोंपर लड्‌डू फेंकते हैं और उसके बाद अपने साथ लाए लड्‌डुओं को एक दूसरे पर फेंकते हैं। वे नाचते गाते गुलाल उड़ाते हैं।

4 और 5 मार्च को लट्ठमार होली - बरसाने और वृंदावन
बरसाने में 4 मार्च को और नंदगांव में 5 मार्च को लठमार होली खेली जाएगी। नंदगांव से सखा बरसाने आते हैं और बरसाने की गोपियां उन पर लाठियां बरसाती हैं। बरसाना के अलावा मथुरा, वृंदावन, नंदगांव में लठमार होली खेली जाती है। बरसाने की गोपियां यानी महिलाएं सखाओं को प्रेम से लाठियों से पीटती हैं और सखा उनसे बचने की कोशिश करते हैं। इस दौरान गुलाल-अबीर उड़ाया जाता है। अगले दिन बरसाने वाले वृंदावन की महिलाओं के संग होली खेलने जाते हैं। इस तरह की होली बरसाने और वृंदावन के मंदिरों में खेली जाती हैं। इस होली की खासियत ये है कि इसमें दूसरे गांव से आए लोगों पर ही लाठियां बरसती हैं। अपने गांव वालों पर लाठियां नहीं चलाई जातीं।

6 मार्च को वृंदावन में फूलों की होली
बांके बिहारी मंदिर में रंगभरनी एकादशी पर फूलों की होली खेली जाती है। ये सिर्फ 15 से 20 मिनट तक चलती है। इस होली में बांके बिहारी मंदिर के कपाट खुलते ही पुजारी भक्तों पर फूलों की वर्षा करते हैं। इस होली के लिए खासतौर से कोलकाता और अन्य जगहों से भारी मात्रा में फूल मंगाए जाते हैं। भगवान बांके बिहारी जिस रंग से होली खेलते हैं उसके लिए एक क्विंटल से ज्यादा सूखे फूलों से रंग तैयार किया जाता है। सबसे पहले भगवान पर रंग का शृंगार होता है। इसके बाद भक्तों पर गेंदा, गुलाब, रजनीगंधा जैसे सुगंधित फूलों की पंखुड़ियां और रंग बरसाए जाते हैं।

7 मार्च को गोकुल की छड़ीमार होली

  • गोकुल बालकृष्ण की नगरी है। यहां उनके बालस्वरूप को ज्यादा महत्व दिया जाता है। इसलिए श्रीकृष्ण के बचपन की शरारतों को याद करते हुए गोकुल में छड़ीमार होली खेली जाती है। यहां फाल्गुन शुक्लपक्ष द्वादशी को प्रसिद्ध छड़ीमार होली खेली जाती है। जिसमें गोपियों के हाथ में लट्ठ नहीं, बल्कि छड़ी होती है और होली खेलने आए कान्हाओं पर गोपियां छड़ी बरसाती हैं। मान्यता के अनुसार बालकृष्ण को लाठी से चोट न लग जाए, इसलिए यहां छड़ी से होली खेलने की परंपरा है।
  • गोकुल में होली द्वादशी से शुरू होकर धुलेंडी तक चलती है। दरअसल, कृष्ण-बलराम ने यहां ग्वालों और गोपियों के साथ होली खेली थी। कहा जाता है कि इस दौरान कृष्ण भगवान सिर्फ एक दिन यानी द्वादशी को बाहर निकलकर होली खेला करते थे। गोकुल में बाकी दिनों में होली मंदिर में ही खेली जाती है।

8 से 10 मार्च तक रंगों की होली
8 मार्च यानी चतुर्दशी से 3 दिन तक रंग वाली होली खेली जाती है। रंगों का ये उत्सव मंदिरों में भी मनाया जाता है। इसमें सूखे फूलों के रंगों के साथ ही अबीर, गुलाल और अन्य रंग भी उड़ाए जाते हैं। ब्रज के फालेन गांव में होलिका दहन पर पुरोहित बिना कपड़ों के नंगे पैर जलती होली के बीच में से निकलता है। इस तरह ब्रज का होली उत्सव मनाया जाता है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Braj Holi 2020 Date | Braj Holi Mahotsav Festival Complete Dates Time On Mathura, Vrindavan, Gokul, Barsana, Nandgaon


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3aeNFk6
Share:

0 Comments:

Post a Comment

Blog Archive

Definition List

header ads

Unordered List

3/Sports/post-list

Support

3/random/post-list