
दिल्ली.22 जनवरी 2020 को पूरी दुनिया में कोराेनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या महज 580 थी। 6 मार्च को यह आंकड़ा 1,02,050 पर पहुंच गया। अगले 12 दिनों में यानी 18 मार्च को संक्रमित लोगों की संख्या दुनिया भर में 2 लाख के पार पहुंच गई। साफ है कि लोगों के मेलजोल ने कोरोना संक्रमण की रफ्तार को बेहद तेज कर दिया। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नाइल्स बेकर ने अपनी किताब ‘माॅडलिंग टू इंफाॅर्म इंफेक्शियस डिसीज कंट्रोल’ में इस बीमारी से लड़ने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को सबसे बड़ा हथियार बताया है। उन्होंने दावा किया है कि यदि 25 फीसदी लोग भी मेलजोल आधा कर दें तो संक्रमण को 81 फीसदीतक कम किया जा सकता है। अमेरिका के रोग नियंत्रण और राेकथाम केंद्र ने 50 या उससे ज्यादा लोगों के एकत्रित होने पर अगले आठ सप्ताह तक रोक लगाने की अनुशंसा की है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 22 मार्च को लोगों से घरों से बाहर न निकलने की अपील की है, इसे जनता कर्फ्यू का नाम दिया गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार 25 प्रतिशत कोरोना संक्रमण के मामलों में लोगों को यह पता ही नहीं था कि वे इसकी चपेट में हैं। ऐसे लोगों ने अनजाने में ही दूसरों को संक्रमित कर दिया। बच्चों के मामले में यह और भी चिंताजनक है, क्योंकि बड़ों की तुलना में उनमें इसके लक्षण बहुत देर से नजर आते हैं। लोगों के संपर्क में आकर होने वाले संक्रमण से बचने के लिए सामूहिक आयोजन, कार्यक्रम, प्रतियोगिताएं रद्द कर दी गई हैं। आइए जानते हैं वास्तव में सोशल डिस्टेंसिंग किस तरह फायदेमंद है।
पीड़ित लोग अनजाने में दूसरों को भी संक्रमित कर रहे हैं
- 25% कोरोना संक्रमण के मामलों में लोगों को यह पता ही नहीं था कि वे इसकी चपेट में हैं। ऐसे लोग अनजाने में दूसरों को संक्रमित कर रहे हैं। यह दावा ब्रिटेन के सेंटर फॉर मैथेमेटिकल मॉडलिंग ऑफ इन्फेक्शियस डिसीज ने किया है।
- कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति औसतन 3.3 लोगों को संक्रमित कर रहा है। इस संख्या को वायरस का रीप्रोडक्टिव नंबर भी कहते हैं।
- यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन फ्रांसिस्को के महामारियों के विशेषज्ञ डॉ. जेफ मार्टिन कहते हैं कि ये रीप्रोडक्टिव नंबर जैसे-जैसे बढ़ेगा, बीमारी उतनी ही तेजी से फैलेगी।
बीमारी बढ़ने के 4 कारण, दो पर हम रोक लगा सकते हैं
डॉ. जेफ मार्टिन कहते हैं कि ऐसे वायरस से संक्रमण के चार कारण होते हैं। पहला- वायरस कितना अधिक संक्रमित कर सकता है, दूसरा- लोगों को इससे कितनी जल्दी संक्रमण हो सकता है, तीसरा- लोग आपस में कितना मिल रहे हैं और चौथा- लोग कितनी देर तक आपस में मिल रहे हैं। ऐसे में पहले दो कारण तो वायरस के स्वभाव पर निर्भर करते हैं, लेकिन अंतिम दो कारणों को हम लोगों से मिलना-जुलना कम करके खत्म कर सकते हैं।
मजबूरी में बाहर किसी से मिलें तो एक मीटर की दूरी रखें
कोरोनावायरस के आने के बाद सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चित शब्दों में से एक है ‘सोशल डिस्टेंसिंग’। सामान्य शब्दों में इसका अर्थ है किसी बीमारी को फैलने से रोकने के लिए स्वस्थ और अस्वस्थ व्यक्ति के बीच संपर्क की आशंका को कम करना।

घर में कैद रहना, किसी को आने-जाने ना देना सोशल डिस्टेंसिंग नहीं है
1. घर में हमेशा बंद रहना
सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब घर में बंद रहना नहीं, बल्कि अन्य लोगों से निर्धारित दूरी बनाए रखना है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यात्रा करने से बचें जब तक आवश्यक न हो, यात्रा न करें। घर से ही काम करें और सामाजिक समारोह में न जाएं। जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के डॉ. गेरार्डो चाॅवेल के अनुसार, लोग जितना आपसी संपर्क घटाएंगे, वायरस का संक्रमण उतना कम होगा।
2. घर पर किसी को न आने देना
यह निर्भर करता है कि आपके परिवार के सदस्य कौन हैं और कितने स्वस्थ हैं। दो पहलुओं का ध्यान रखना है। पहला: जो सदस्य घर आ रहे हैं, वे बीमार न हों या उन्हें संक्रमण का खतरा/संभावना न हो। दूसरा: वह वृद्ध न हों। अगर परिवार के युवा और स्वस्थ सदस्य आना चाहते हैं तो इसमें कोई समस्या नहीं है। यह ध्यान रखें की गैदरिंग छोटी ही हो।
3. बच्चों को खेलने न देना
फिलहाल आउटडोर एक्टिविटी से बचना चाहिए। हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल की मनोवैज्ञानिक डॉ. नेहा चौधरी कहती हैं, यह ध्यान रखना जरूरी है कि बच्चे अधिक ट्रैफिक या भीड़भाड़ वाले इलाके में खेलने न जाएं। फिर भी अगर बच्चे जाना चाहते हैं तो खुली और साफ जगह पर भेजें। बच्चे बार-बार हाथों से चेहरे को छूते हैंइसलिए उन्हें हैंड सैनेटाइजर जरूर दें।
4. बाजार न जाना
बाजार जाएं, लेकिन जरूरत का सारा सामान खरीद लें, ताकि बार-बार जाने की आवश्यकता ना पड़े। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी की एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. केटलिन रिवर्स के अनुसार, शॉपिंग के दौरान फोन का इस्तेमाल करना भी हानिकारक हो सकता है। हैंड सैनेटाइजर साथ रखें और घर आकर साबुन या हैंडवॉश से हाथ जरूर धोएं। वृद्ध शॉपिंग से बचें।
बड़ा उदाहरण :समझिए घर में रहना कितना जरूरी है
केस-1 :ऐसा करना खतरनाक
1918 में फैली महामारी के दौरान अमेरिका के फिलाडेल्फिया शहर के हेल्थ कमिश्नर विल्मर क्रूसेन ने 28 सितंबर को परेड की इजाजत दे दी। इसके बाद संक्रमण तेजी से फैला। 12 हजार के करीब मौतेंहुईं।
केस-2:ऐसा करना फायदेमंद
इसी समय अमेरिका के सेंट लुइस शहर में हेल्थ कमिश्नर मैक्स स्टार्कलॉफ ने विरोध के बावजूद स्कूल, सिनेमा और खेल आयोजनों को बंद कर दिया था। संक्रमण कम हुआ, करीब 1700 लोगों की मौत हुई।
बच्चे और सोशल डिस्टेंसिंग: 13% बच्चों को कोरोना था, पर लक्षण दिखे ही नहीं
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के एक अध्ययन के मुताबिक, चीन में जिन 2143 छोटे बच्चों में कोरोनावायरस पाया गया, उनमें 13 फीसदी में इसके लक्षण ही नजर नहीं आए थे। यानी छोटे बच्चों में सोशल डिस्टेंसिंग और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि उनके वायरस के संक्रमित होने पर हो सकता है कि लक्षण समझ ही न आएं।बच्चों को खेलने ले जाने या रिश्तेदारों के घर भेजने में सावधानी बरतना जरूरी है। इस दौरान उनके सैनेटाइजेशन और साफ-सफाई पर विशेष जोर दें।
खतरे को समझिए
पहली स्थिति : अगर सामान्य मेलजोल जारी रहे तो
एक संक्रमित व्यक्ति अगर सामान्य सामाजिक मेलजोल रखता है तो 5 दिन में 2.5 लोगों को बीमारी दे सकता है, जिससे इसी दर पर 30 दिन में 406 लोग संक्रमित हो सकते हैं।
दूसरी स्थिति : 50% कम मेलजोल यानी एक व्यक्ति से 15 लोग बीमार
तीसरी स्थिति :75% कम मेलजोल यानी एक व्यक्ति से 2.5 लोग बीमार
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