
नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत किसकी होगा, फैसला मंगलवार को होना है। 70 विधानसभा सीटों के लिए 8 फरवरी को 62.59% वोट डाले गए। हालांकि, चुनाव आयोग ने वोटिंग के आंकड़े मतदान के करीब 24 घंटे बाद जारी किए। आम आदमी पार्टी ने इस पर हैरानी जताई और कहा कि भीतर ही भीतर खेल चल रहा है। आप ने ईवीएम की सुरक्षा पर भी सवाल उठाए। इसी के चलते दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी ने हर स्ट्रॉन्ग रूम पर अपने 10-10 कार्यकर्ता तैनात कर दिए हैं। दिल्ली में अभी आम आदमी पार्टी की सरकार है। भाजपा 22 साल और कांग्रेस 7 साल से सत्ता से दूर है।
गिनती के लिए तैयारियां
- वोटों की गिनती 672 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेगी, इनमें से 593 पुरुष और 79 महिला प्रत्याशी हैं। 1.46 करोड़ मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
- चुनाव आयोग ने दिल्ली के 11 जिलों की 21 लोकेशन पर वोटों की गिनती के इंतजाम किए हैं। सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
- कॉमनवेल्थ गेम्स स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, एनएसआईटी द्वारका, मीराबाई इंटस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, जीबी पंत इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सर सीवी रमन आईटीआई, धीरपुर, राजीव गांधी स्टेडियम भी वोटों की गिनती वाली 21 जगहों में शामिल हैं। 33 काउंटिंग ऑब्जर्वर्स होंगे।
- ईवीएम 21 स्ट्रॉन्ग रूम में रखे गए हैं। दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी रनबीर सिंह ने कहा कि सभी ईवीएम का वोटिंग से पहले ही परीक्षण किया गया था। इनसे छेड़छाड़ संभव नहीं है। आप ने ईवीएम की सुरक्षा पर सवाल उठाया था। पार्टी ने हर स्ट्रॉन्ग रूम पर अपने 10-10 कार्यकर्ता तैनात कर दिए हैं।
चुनाव में वोटिंग और ट्रेंड्स
- दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में 62.59% वोट डाले गए। यह पिछली बार के मुकाबले करीब 5% कम हैं। 2015 में चुनाव के दौरान 67.5% वोट डाले गए थे।
- पिछले चुनाव के ट्रेंड बताते हैं कि दिल्ली में जब भी मतदान का प्रतिशत कम रहा, तो सरकार नहीं बदली। 2003 में 53% और 2008 में 58% वोटिंग हुई थी। इन दोनों ही चुनावों में सरकार नहीं बदली थी।
- 2013 में दिल्ली के लोगों ने उस वक्त तक की सबसे ज्यादा 65.63% वोटिंग की थी। जब नतीजे आए, तो 15 साल से सत्तारूढ़ कांग्रेस की विदाई हो गई। हालांकि किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला और त्रिशंकु विधानसभा जल्दी ही भंग हो गई।
- 2015 के चुनाव में अब तक का सबसे ज्यादा 67.12% मतदान हुआ। ऐतिहासिक नतीजों में 70 में से 67 सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती थीं। भाजपा को 3 सीटें मिलीं और कांग्रेस अपना खाता तक नहीं खोल पाई।

2020 में चुनाव प्रचार में किसका पलड़ा भारी
- भाजपा: 14 फरवरी को अधिसूचना जारी होने के बाद 23 दिन तक राजनीतिक दलों ने प्रचार किया। भाजपा के 100 नेताओं ने चुनाव प्रचार किया। मोदी ने दो चुनावी रैलियां कीं। भाजपा ने शाह, योगी समेत 40 स्टार प्रचारक चुनाव प्रचार में उतारे। 4500 नुक्कड़ सभाएं कीं। अमित शाह अधिसूचना से 25 दिन पहले चुनाव प्रचार में जुट गए थे।
- आप: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 3 बड़े रोड शो किए और 23 दिन छोटी-छोटी सभाएं करते रहे। 39 नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया था। इनमें 18 चुनाव में उतरे। केजरीवाल के अलावा उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और संगीतकार विशाल डडलानी स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल थे।
- कांग्रेस: कांग्रेस ने 40 स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की थी। लेकिन, इनमें से कुछ ही चेहरे विधानसभा क्षेत्रों में नजर आए। राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 4-4 चुनावी सभाएं कीं।
2020 चुनाव में विवाद
- केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा पर विवादित बयान देने के लिए चुनाव प्रचार पर बैन लगा दिया गया। इन दोनों के नाम भाजपा की स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल थे।
- वोटिंग के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार अलका लांबा मजनूं का टीला स्थित पोलिंग बूथ पर गई थीं। इस दौरान आप कार्यकर्ता ने उनसे अभद्रता दी। अलका लांबा ने उसे थप्पड़ मारने की कोशिश की। इस दौरान कांग्रेस और आप कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई।
- वोटिंग के कई घंटे बीत जाने के बावजूद वोट प्रतिशत के आधिकारिक आंकड़े नहीं जारी किए गए। आप ने इस पर आश्चर्य जाहिर किया और अंदर ही अंदर खेल चलने का आरोप लगाया। चुनाव आयोग ने वोटिंग के करीब 24 घंटे बाद आंकड़े जारी किए और कहा कि देर रात तक डेटा इकट्ठा कर रहे थे।
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