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केन्द्रीय मंत्री घुसपैठियों को देश से खदेड़ने की बात कह रहे, पर जम्मू में रोहिंग्याओं को स्थानीय लोगों पर तरजीह मिल रही

जम्मू से मोहित कंधारी. मोदी सरकार म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान करने और उन्हें वापस भेजने की लगातार बात कर रही है, लेकिन जम्मू म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (जेएमसी) में स्थानीय लोगों के मुकाबले ऐसे अवैध प्रवासियों को तरजीह मिल रही है। करीब 200 रोहिंग्या मुसलमान जम्मू म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन में दिहाड़ी मजदूर हैं, जो नालियों की सफाई का काम करते हैं। इन्हें हर रोज 400 रुपए मिलते हैं। जबकि, इसी काम के लिए स्थानीय मजदूरों को 225 रुपए ही मिलते हैं। ठेकेदारों ने इन रोहिंग्याओं को लाने-ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट व्हीकल का इंतजाम भी किया है। काम पर जाने से पहले ये मजदूर स्थानीय जेएमसी सुपरवाइजर के ऑफिस में अटेंडेंस भी लगाते हैं।


दैनिक भास्कर से बातचीत में जेएमसी के सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रिंकू गिल बताते हैं, ‘‘जम्मू में नालों की सफाई के लिए ठेकेदारों के पास करीब 200 रोहिंग्या काम कर रहे हैं। स्थानीय भाषा में इन्हें "नाला गैंग' कहते हैं। इन्हें 3 से 5 फीट की गहरी नालियों की सफाई करनी होती है। इसके लिए हर व्यक्ति को रोज 400 रुपए दिए जाते हैं।’’रोहिंग्या पर सरकार के बयानों का जिक्र करते हुए गिल कहते हैं, "एक तरफ सरकार रोहिंग्याओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताती है। दूसरी ओर जेएमसी में स्थानीय लोगों की अनदेखी कर इन्हें रखा जा रहा है।’’स्थानीय मजदूरों के समर्थन पर गिल आगे कहते हैं "अगर ठेकेदार बाहरी लोगों को काम पर रख रहे हैं, तो सभी को समान मजदूरी दी जानी चाहिए। स्थानीय मजदूरों से डबल शिफ्ट में काम कराया जाता है, लेकिन उन्हें मजदूरी रोहिंग्याओं की तुलना में कम मिलती है।"


इस बारे में जब जेएमसी के मेयर चंदर मोहन गुप्ता से बात की गई, तो उन्होंने कहा- जिस तरह से सरकार रोहिंग्या और अन्य सभी अवैध अप्रवासियों को बाहर करना चाहती है, उसी तरह से हम भी जम्मू से इन्हें बाहर कर रहे हैं। गुप्ता दावा करते हैं कि जेएमसी में किसी भी रोहिंग्या को काम पर नहीं रखा गया है। वे कहते हैं कि हम मजदूरों-कर्मियों की जांच करते हैं और यहां तक कि जेएमसी से जुड़े एनजीओ भी मजदूरों का रिकॉर्ड रखते हैं।


देशभर में 40 हजार से ज्यादा रोहिंग्या

हजारों की संख्या में रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग क्षेत्रों में अपने शिविर बनाकर रह रहे हैं। ये बिना किसी रोकटोक के आर्मी कैम्प, पुलिस लाइन या रेलवे लाइन्स के नजदीक अपने तम्बू लगाते जा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, देशभर में 40 हजार से ज्यादा रोहिंग्या रह रहे हैं, इनका एक चौथाई हिस्सा यानी 10 हजार से ज्यादा अकेले जम्मू और इससे सटे साम्बा,पुंछ, डोटा और अनंतनाग जिले में हैं। पिछले एक दशक में म्यांमार से बांग्लादेश होते हुए ये रोहिंग्या जम्मू को अपना दूसरा घर बना चुके हैं।


गृह विभाग ने रोहिंग्याओं पर जारी रिपोर्टकी थी

2 फरवरी 2018 को राज्य विधानसभा में पेश हुई जम्मू-कश्मीर गृह विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के 5 जिलों के 39 अलग-अलग स्थानों पर रोहिंग्याओं के तम्बू मिले थे। इनमें 6,523 रोहिंग्या पाए गए थे। इनमें से 6,461 जम्मू में और 62 कश्मीर में थे। इस रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू के बाहरी इलाके सुंजवान क्षेत्र में मिलिट्री स्टेशन के पास भी रोहिंग्याओं के तम्बू थे। इनमें 48 रोहिंग्या परिवारों के 206 सदस्य पाए गए। 10 फरवरी, 2018 को जब आतंकवादियों ने सेना के सुंजवान कैम्प पर हमला किया, तब सुरक्षा बलों ने गंभीर चिंता जताई थी कि इन आतंकवादियों को अवैध प्रवासियों ने शरण दी होगी। हालांकि, सबूत नहीं मिले और किसी भी अवैध अप्रवासी की जांच नहीं की गई। गृह विभाग की रिपोर्ट बताती है कि 150 परिवारों के 734 रोहिंग्या जम्मू के चन्नी हिम्मत क्षेत्र में पुलिस लाइन्स के सामने अस्थायी शेड बनाकर रह रहे हैं। नगरोटा में सेना के 16 कोर मुख्यालय के आसपास भी कम से कम 40 रोहिंग्या रह रहे हैं। जम्मू के नरवाल इलाके में एक कब्रिस्तान में भी 250 रोहिंग्या रह रहे हैं। इनकी संख्या धीरे-धीरे इस क्षेत्र में बढ़ती ही जा रही है।


रोहिंग्याओं की संख्या अनुमान से कहीं ज्यादा: दावा

स्थानीय लोग रोहिंग्याओं को वापस भेजने की मांग लगातार कर रहे हैं। इनका कहना है कि रोहिंग्याओं की संख्या सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा है। इनका बायो मैट्रिक्स डेटा भी अब तक नहीं लिया गया है। पिछले साल रोहिंग्याओं की वास्तविक संख्या का डेटा जुटाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक विशेष अभियान शुरू किया था। केंद्र सरकार के निर्देश पर यह अभियान शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य रोहिंग्याओं को उनके देश वापस भेजने के लिए उनका बायोमैट्रिक्स डेटा लेना था। यह डेटा जुटाने के दौरान पुलिसकर्मियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्हें इन रोहिंग्याओं के विरोध का सामना करना पड़ा।


सीवरेज लाइन बिछाने का काम करते हैं रोहिंग्या

ज्यादातर रोहिंग्या कचरा बीनने और साफ-सफाई के काम करते हैं। ठेकेदार इन्हें केबल और सीवरेज लाइन बिछाने के लिए मजदूरी पर रखते हैं। महिलाएं फैक्ट्रियों में काम करती हैं। भटिंडी क्षेत्र में इनका अपना बाजार है। यहां युवा एक साथ बैठे अपने मोबाइल फोन पर गेम खेलते और टीवी देखते देखे जाते हैं। युवा यहां इलेक्ट्रॉनिक सामान और मोबाइल फोन सुधारने की दुकानें भी चलाते हैं। कुछ रोहिंग्या सब्जी के ठेले और मांस की दुकानें लगाते हैं। इनके शिविरों में मस्जिदें भी हैं और कश्मीरी एनजीओ द्वारा संचालित स्कूल भी खुले हुए हैं। बच्चे सरकारी स्कूलों और स्थानीय मदरसे में भी पढ़ते हैं।

जम्मू में रोहिंग्या दिहाड़ी मजदूर साफ-सफाई के अलावा केबल और सीवरेज लाइन बिछाने का काम भी करते हैं।


केन्द्रीय मंत्री रोहिंग्याओं को बाहर करने के बयान देते रहे हैं

मोदी सरकार में कई सीनियर मंत्री यह दावा करते रहे हैं कि उनकी सरकार देश के कोने-कोने से अवैध घुसपैठियों की पहचान कर अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक,उन्हें वापस उनके देश भेजेगी। गृह मंत्री अमित शाह इस मामले में सबसे आगे रहे हैं। पिछले साल उन्होंने चुनावी रैलियों में घुसपैठियों को बाहर करने की बात लगातार कही। संसद में भी वे इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार का रुख साफ कर चुके हैं। 17 जुलाई, 2019 को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा था कि यह एनआरसी था, जिसके आधार पर भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता में आई है। शाह ने कहा था, "असम में हुई एनआरसी की कवायद असम समझौते का हिस्सा है और देशभर में एनआरसी लाना यह लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के घोषणापत्र में शामिल था। इसी आधार पर हम चुनकर दोबारा सत्ता में आए हैं। सरकार देश के एक-एक इंच से घुसपैठियों की पहचान करेगी और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक उन्हें बाहर करेगी।"


हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान पर 22 दिसंबर को हुई रैली में कहा था, ‘‘हमारी सरकार बनने के बाद से आज तक एनआरसी शब्द की कभी चर्चा तक नहीं हुई। असम में भी हमने एनआरसी लागू नहीं किया था, जो भी हुआ वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ।’’ केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने 3 जनवरी को दिए बयान में कहा था, ‘‘नागरिकता संशोधन कानून से रोहिंग्याओं को किसी तरह का फायदा नहीं होगा। वे किसी भी तरह से भारत केनागरिक नहीं हो सकते। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में रहने वाले हर रोहिंग्या को वापस जाना ही होगा।’’



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Kashmir Rohingya Muslims | Jammu Kashmir Rohingya Muslims Earning Ground Report Latest News and Updates On Narendra Modi Govt, Amit Shah


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